फडणवीस की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

फडणवीस की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित

stay-on-fadnavis-review-petition
नयी दिल्ली, 18 फरवरी, उच्चतम न्यायालय ने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों को छुपाने के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पुनर्विचार याचिका पर फैसला मंगलवार को सुरक्षित किया। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायालय ने गत वर्ष एक अक्टूबर को श्री फडणवीस को झटका देते हुए कहा था कि निचली अदालत श्री फडणवीस के खिलाफ दायर मुकदमे को नये सिरे से देखे। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त करते हुए यह आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने सतीश उइके की वह याचिका खारिज कर दी थी कि जिसमे उन्होंने श्री फडणवीस द्वारा चुनावी हलफनामों में आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाने के लिए उनका चुनाव रद्द करने की मांग की थी। इसके बाद श्री उइके ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता का आरोप था कि श्री फडणवीस ने 2014 विधानसभा में अपने ऊपर विचाराधीन दो आपराधिक मुकदमों की जानकारी छिपाई थी। गौरतलब है कि श्री फडणवीस पर सन 2014 के चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक मुकदमों की जानकारी छिपाने का आरोप है। ये दो मुकदमे नागपुर के हैं जिनमें एक मानहानि का और दूसरा ठगी का है। याचिका में फड़णवीस को अयोग्य करार देने की मांग की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान श्री फड़णवीस की ओर से कहा गया था कि मुख्यमंत्री एवम् राजनीतिक लोगों के खिलाफ 100 मुकदमे रहते हैं। किसी के चुनावी हलफनामे में न देने पर कार्रवाई नहीं हो सकती। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाई है इसलिए कार्रवाई होनी चाहिए। न्यायालय ने पूछा था कि जानकारी जानबूझकर छिपाई गई या फिर गलती से हुआ, इस मामले को क्यों न ट्रायल के लिए भेजा जाए।  

कोई टिप्पणी नहीं: