जमशेदपुर में एसीबी के जरिए घूस लेने का मामला सामने आया था, जिसके बाद आरोपी के बेटे विनय शुक्ला ने एससीबी पर अनके आरोप लगाए थे. इस आरोप को एसीबी ने गलत बताया है.
जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) : टाटानगर रेल थाने में पदस्थापित सहायक अवर निरीक्षक भरत शुक्ला को एसीबी के जरिए रंगे हाथ घूस लेते गिरफ्तार करने का मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है. वहीं भरत शुक्ला के बेटे विनय शुक्ला के जरिए एसीबी की टीम पर फंसाने के आरोप को एसीबी ने गलत और निराधार बताया है इस सबंध में एसीबी के जरिए जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में स्थापित प्रक्रिया है कि परिवादी का आवेदन प्राप्त होने पर पुलिस निरीक्षक और उनसे और यह स्तर के पदाधिकारी के माध्यम से यह भौतिक रूप से सत्यापन कराया जाता है कि रिश्वत सचमुच में मांगा जा रही है या नहीं. वहीं सत्यापन के दौरान उपलब्ध अन्य साक्ष्यों को संकलित कर दिया जाता है. सत्यापन में रिश्वत मांगने की बात सही पाए जाने पर ही प्राथमिक दर्ज की जाती है और वहीं, प्राथमिकी दर्ज होने के बाद धाबा दल का गठन किया जाता है, जिसमें ब्यूरो के कई अधिकारी और आरक्षी शामिल होते हैं. साथ ही निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए छापेमारी दल के साथ दूसरे जिले के दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति भी उक्त जिले के उपायुक्त के आदेश से की जाती है. , वहीं पूरे मामले की छापेमारी दंडाधिकारी के समक्ष होती है. पूरी प्रक्रिया बड़े धावा दल के जरिए स्वतंत्र अधिकारियों की उपस्थिति में की जाती है. एसीबी ने जारी बयान में कहा कि भरत शुक्ला के मामले में भी एसीबी के जरिए उपरोक्त स्थापित प्रक्रिया का पालन किया गया है. साथ ही अनुसंधान के दौरान आरोपी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाए गए हैं. एसीबी ने भरत शुक्ला के पुत्र के आरोप को पूरी तरह गलत बताया है.
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