अपने आदर्श को भूलना कृतघ्नता ही होगा
अरुण शाण्डिल्य (बेगूसराय)राष्ट्र के अमर नायक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 46 वीं स्मृति दिवस मनाई गई जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखा गया। शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति के तत्वधान में राष्ट्र के अमर नायक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 46 वीं स्मृति दिवस के अवसर पर सुखदेव सिंह सभागार सर्वोदय नगर,बेगूसराय में आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की। इस अवसर पर साहित्यकार चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा कि रामधारी सिंह इतिहास के विद्यार्थी थे लेकिन उनकी आत्मा हिंदी साहित्य के भग्न खंडहरों में भटकती रहती थी।यही कारण है कि उनकी काव्य रचनाओं में राष्ट्रीयता की पुकार स्पष्ट झलकती है। वे आधुनिक हिंदी साहित्य में राष्ट्रीयता के प्राण थे। इस अवसर पर जेपी सेनानी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर का एक सबसे महत्वपूर्ण अंश उनकी भाषा है। ऐसे महान कभी को शत-शत नमन करते हैं। शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आज हम दिनकर कि स्मृति दिवस मना रहे हैं।हमारे लिए गर्व की बात है।दिनकर का जन्म बेगूसराय जिला के सिमरिया गाँव में एक अत्यंत सामान्य किसान परिवार में 23 सितंबर 1908 ईस्वी को हुआ था।और उनकी मृत्यु आज ही के दिन 24 अप्रैल 1974 को हुआ था।मैं ऐसे महान कवि को शत शत नमन करता हूँ।और आज के युवा पीढ़ियों के कवि को उनके रास्ते पर चलने की अपील करता हूँ इस अवसर पर ज्ञान चंद्र पाठक,निलेश सिंह,राजेंद्र महतो अधिवक्ता,अनिकेत कुमार पाठक,अभिषेक कुमार, आलोक कुमार,शुभम कश्यप आदि कई गणमान्य व्यक्ति साहित्यकारों के साथ नगर के बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
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