बिहार : मसीहा की तलाश में है गांधी मामा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

बिहार : मसीहा की तलाश में है गांधी मामा

इस समय कोरोना का कहर व्याप्त है।उसी तरह का कहर आल्फ्रेड पास्कल उर्फ गांधी मामा को व्याप्त है।वह किसी मसीहा की तलाश में है जो कोरोना काल में राहत दिलवा दें...
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पटना, 10 अप्रैल (आर्यावर्त संवाददाता) । पार्किंसंस रोग (पीडी) रोग से पीड़ित हैं लोकगायक आल्फ्रेड पास्कल। इनका पिताजी का नाम स्व.पास्कल ग्रेगरी है। इनके पिता बेतिया से पलायन करके कुर्जी पल्ली में आने वाले परिवारों में प्रथम व्यक्ति हैं। अभी राजधानी पटना के बांसकोठी, क्रिश्चियन कॉलोनी,दीघा घाट में रहते हैं। इन दिनोम 78 वर्षीय आल्फ्रेड पास्कल बेड का पर्याय बन गये हैं। हाल यह है कि जो लोग आल्फ्रेड पास्कल उर्फ गांधी मामा से लोकगीत गाने के लिए दुखभोग काल में बुलाने आते थे उनका दर्शन सुलभ नहीं हैं। पश्चिम चम्पारण के बेतियामूल के लोग प्रभु येसु ख्रीस्त के ऊपर निर्मित लोकगीत मुसीबत गाने में पारंगत हासिल कर जाते हैं।आल्फ्रेड पास्कल के बाद क्लारेंस हेनरी और एसके लौरेंस मैदान में आ गए हैं। ये लोग भी  एकांतवास गांधी मामा का कुशलक्षेम पूछने नहीं आते हैं। यहीं हाल जनप्रतिनिधि वार्ड पार्षद दिनेश कुमार का भी है। वह हमदर्दी दिखाकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन कागजात पर हस्ताक्षर कराकर ले गया। दो साल हो गया वह लौटा ही नहीं,पेंशन की आस में निरास हो गया है। स्व.पास्कल  ग्रेगरी के पुत्र हैं आल्फ्रेड पास्कल। मिशनरी नीति के कारण संजीवन प्रेस को लॉकअप कर दी गयी। इसके बाद सेवा केंद्र में स्थित पटना महाधर्मप्रांत के बिहार वाटर डेंवलपमेंट सोसाइटी में  2006 निविदा में कार्य करने लगे। मामूली मानदेय दिया जा रहा था। इसके बाद सत्ता परिवर्तन के बाद देशी-विदेशी अनुदान नहीं मिलने के कारण बिहार वाटर डेंवलपमेंट सोसाइटी के द्वारा दूध में पड़ी की तरह नौकरी से निकाल दिया गया। सोसाइटी में कॉन्ट्रेक्ट पर कार्यशील रहने के कारण कुछ भी राशि नहीं मिली। इसके बाद अभाव में जिन्दगी काटने पर मजबूर हो गए। कुछ साल के बाद बीमारी की चपेट में आ गए। कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है।यहां के चिकित्सकों ने कहा कि बुढ़ापे की उम्र से गुजरने वाले लोगों को लाचार कर देने वाली बीमारी है, जो व्यक्ति की चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करती है। इसीलिए इसे मूवमेंट डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इससे दुनिया में एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं और इससे प्रभावित मरीजों में एक प्रतिशत से अधिक 60 वर्ष से ऊपर के होते हैं।यह युवा और बुजुर्गो दोनों में हो सकती है।भारत में, इस स्थिति के बारे में बहुत कम जागरूकता है, जिसके कारण इसे समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।   पार्किंसंस रोग के कुछ प्राथमिक लक्षणों में कंपकंपी, शरीर में जकड़न, सुस्ती और संतुलन बनाने में परेशानी प्रमुख है। पर्किंसंस के मरीजों को अपने आहार में फल, सब्जियां और लीन मीट शामिल करना चाहिए।इसके अलावा अगर आपको विटामिन की खुराक की आवश्यकता है। इसके साथ ही व्यायाम और अच्छे आहार के साथ अपनी उम्र और ऊंचाई के हिसाब से अपना वजन बनाए रखें।फाइबर की जरूरत के लिए ब्रोकोली, मटर, सेब, सेम, साबुत अनाज वाली ब्रेड और पास्ता जैसे खाद्य पदार्थ लें।साथ पानी खूब पिएं। इस बीच कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में कार्यरत आल्फ्रेड पास्कल की पत्नी मार्था आल्फ्रेड भी रिटायर   हो गयी। अब दोनों पुत्र व पुत्रवधु पर निर्भर हैं। जनप्रतिनिधियों ने दोनों बुर्जुगों को गरीबी की गोद में रहने लायक नहीं समझकर गरीबी रेखा के नीचे चिन्हित नहीं किया।फलत:कम कीमत पर जन वितरण प्रणाली की दुकान से कम कीमत पर राशन-किरासन नहीं मिलता है। जनधन योजना का खाता नहीं है। केवल आधार कार्ड है।इसका नम्बर- 6988 33453493 है। उनकी बुर्जुग पत्नी मार्था आल्फ्रेड का कहना है कि पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-22 Aके वार्ड पार्षद दिनेश कुमार हैं।वह बहुत हमदर्दी दिखाकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन कागजात पर हस्ताक्षर कराकर ले गया।उसके कहने पर ही सेंट्रल बैंक इंडिया में तीन हजार रूपये देकर चालू खाता खोलवाएं।अकाउंट नम्बर- 3626108572 है। आईएफएससी कोड सीबीआई नं.281668 है।अकाउंट खोले दो साल हो गया है,उसमें फूटी कौड़ी भी टपका नहीं। हमलोगों का पेंशन की आस में आंख पत्थरा सी गई है। इस समय कोरोना का कहर व्याप्त है।उसी तरह का कहर आल्फ्रेड पास्कल उर्फ गांधी मामा को व्याप्त है।वह किसी मसीहा की तलाश में है जो कोरोना काल में राहत दिलवा दें।

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