आभासी दुनिया जोड़ रहा साहित्य और कला के तार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

आभासी दुनिया जोड़ रहा साहित्य और कला के तार

  • -    कविताएं, शायरी, जासूसी दुनिया के किस्से तो गंभीर विमर्श। ल़ॉकडाउन में राजकमल प्रकाशन समूह के फ़ेसबुक लाइव से रोज़ हो रही हैं कुछ नई बातें
  • -    जावेद अख़्तर ने फ़ेसबुक लाइव के जरिए दिया संदेश, “ये बिमारी तो चली जाएगी, इंसान   ऐसी मुसीबतों को हरा कर ही दम लेता है। लेकिन ये ख़्याल कि हमारा दूसरों के प्रति भी कोई फ़र्ज है ये हमें नहीं भूलना चाहिए।“   
  • -    “जानी हुई चीज़ों के मोह और अनजाने डर से बाहर निकलने का रास्ता है फ़ेसबुक लाइव”- अंकिता आनंद
-    मृणाल पांडे ने किया अपनी कहानी ‘पार्टिशन’ का पाठ
amrita anand
देश में कोरोना वायरस को लेकर रोज़ की ख़बरे जहाँ चिंताओं को बढ़ा रही है वहीं छोटी-छोटी अच्छी ख़बरे मानवता में विश्वास को बढ़ाने का काम कर रही हैं। शुक्रवार का दिन भी जासूसी किस्से, कहानी पाठ, खान-पान की बातें और कविताओं की सौंदर्य और उम्मीद से भरी दुनिया के नाम रहा। आभासी दुनिया के सभी रंगों से रू-ब-रू कराता राजकमल प्रकाशन समूह का फ़ेसबुक पेज, लॉकडाउन के समय में लोगों को जोड़े रखने की ओर एक सकारात्मक पहल है। सब दूर हैं, लेकिन सब पास हैं। राजकमल प्रकाशन के फ़ेसबुक पेज पर लाइव आकर लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय ने जासूसी दुनिया के कई अनछुए पहलु के बारे में लोगों से बात कर उन्हें अचंभित किया। उन्होंने कहा, “जासूसी बहुत जटिल और कुटील कार्य है। इन्हीं कुटिलता की वजह से चाणक्य का नाम कौटिल्य पड़ा था। यहाँ हर वक्त चौकन्ना रहना पड़ता है।“ त्रिलोकनाथ पांडेय ने शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास ‘चाणक्य का जासूस’ के संबंध में बात करते हुए चाणक्य के विषय में कई रोचक जानकारियां साझा कीं।

कहीं झिझक, कहीं उत्साह
फ़ेसबुक लाइव लेखक-पाठक के रिश्ते को नई तरह से गढ़ रहा है। लेकिन, सभी लेखकों के लिए लाइव आना बहुत आसान नहीं। यहाँ, काग़ज और कलम की दुनिया से निकलर लेखक तकनीक को समझने की कोशिश भी कर रहे हैं। तकनीक को लेकर झिझक, पुराने लेखकों के साथ नए लेखकों में भी देखा जा सकता है। लेखक एवं रंगकर्मी अंकिता आनंद ने फ़ेसबुक लाइव को लेकर अपनी झिझक साझा करते हुए कहा कि, “बार-बार ऐसा लगता है कि एकतरफा बातचीत हो रही है। यह मेरे लिए नया अनुभव है। हम घर से बाहर तो नहीं निकल रहे लेकिन अपने कम्फर्ट ज़ोन से तो बाहर आ सकते हैं।“ अंकिता ने लाइव के दौरान अपनी काव्य रचनाओं का पाठ किया। साथ ही उन्होंने विदेशी लेखिका लिडिया डेविस के गद्य काव्य का हिन्दी अनुवाद ‘यूनिवर्सिटी की नौकरी’ का भी सुंदर पाठ प्रस्तुत किया। साहित्यकार एवं सम्पादक मृणाल पांडे के लिए भी यह एकदम नया माध्यम है। लेकिन, ढ़लती शाम लाइव के जरिए, स्वंय उनसे उनकी कहानी ‘पार्टिशन’ का पाठ सुनना सुकून देने वाला अनुभव था।

कडा प्रसाद से लेकर पुरानी दिल्ली के नागोरी नाश्ते तक
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रोज सुबह ठीक ग्यारह बजे फेसबुक पर लाइव आकर अपने ख़ास खान-पान विशेष कार्यक्रम में पुष्पेश पंत ने, आज कड़ा प्रसाद से बात की शुरूआत की। उसके बाद साउथ के केसरी-बात, तो महाराष्ट्र के शिरा से गुज़रते हुए दिल्ली के नागोरी हलवा की कहानी साझा की। सूजी का हलवा हम सभी के घरों में बहुत पसंद किया जाता है, लेकिन, खाने के साथ उसके इतिहास की जानकार, साथ ही बनाने की विभिन्न विधियों को जानना सोने पर सुहागा है। कई लोगों का कहना है कि यह उनका सबसे पसंदीदा कार्यक्रम है।  हलवा के संबंध में पुष्पेश पंत ने कहा, “अक्सर लोगों का दावा होता है कि हलवा भारतवर्ष में अरबों के साथ आया। लेकिन, हमारी पौराणिक कथाएं जैसे मेनका-विश्वामित्र या च्यवन ऋषि की कथा में हलवा का ज़िक्र है। मध्य एशिया के देशों में जहाँ अरबों का शासन नहीं था वहाँ भी हलवा, व्यंजन के रूप में खाने को मिल जाता है।“ इस कार्यक्रम के जरिए पुष्पेश पंत अबतक पुलाव, खिचड़ी, बासी चावल, कढ़ी, दाल के संबंध में कई रोचक जानाकरियाँ तथा बनाने की विधि साझा कर चुके हैं।

कुछ किस्से कुछ बातें
लॉकडाउन में जहाँ घरों के दरवाज़े हमेशा बंद रहते हैं, वहीं आभासी दुनिया ने नए रास्ते खोल दिए हैं। लेखक –कलाकार जिनसे आमतौर पर मिलना मुश्किल है, उन्हें राजकमल प्रकाशन लाइव कार्यक्रम के जरिए रोज़ घर के अंदर लेकर आ रहा है। बीते गुरूवार की दोपहार मुम्बई में अपने घर से, अपने पाठकों, अपने चाहने वालों से बात करते हुए जावेद अख़्तर ने कहा कि लोग मिलकर देश बनाते हैं। हमारा गली-मोहल्ला ही हमारा देश है। सरकार अपना काम कर रही है, हमारा फ़र्ज़ है कि हम अपने हिस्से के देश को बचाएं।  आभासी दुनिया में दूरियां फिज़िकल हैं लेकिन अहसास और प्यार कतई दूर नहीं। फ़ेसबुक लाइव के जरिए लेखक, पाठकों से सीधे जुड़ रहे हैं। उनसे बातें कर रहे हैं। उनके सवालों का जवाब दे रहे हैं। उन्हें अपनी रचनाएं पढ़कर सुना रहे हैं। किसी के लिए यह सब नॉस्टैलजिक करने जैसा है तो किसी के लिए अपने चहेते चेहरे को अपने फोन या लैपटॉप की स्क्रीन पर देखना रोमांच से भर दे रहा है।

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#StayAtHomeWithRajkamal हैशटैग के साथ साहित्यकार और कलाकरा रोज़ राजकमल प्रकाशन समूह के फेसबुक पेज पर लाइव आकर, गीतों और बातों से आभासी दुनिया में जान डाल रहे हैं। ल़ॉकडाउन के समय में लोगों को साहित्य से जोड़े रखने, किताबों की बातें करने और सकारात्मकता का संचार करने में आभासी दुनिया एक पुल का काम कर रही है। राजकमल प्रकाशन के फेसबुक पेज से अबतक लाइव आ चुके लेखक और कलाकार हैं – विनोद कुमार शुक्ल, ममता कालिया, मैत्रयी पुष्पा, मृदुला गर्ग, मृणाल पांडे, अनामिका, शिवमूर्ति, गीतांजलि श्री, ज्ञान चतुर्वेदी, मंगलेश डबराल, प्रियदर्शन, अल्पना मिश्र, सविता सिंह, हृषीकेश सुलभ, पुष्पेश पंत। जावेद अख्तर, उषा उथुप, सौरभ शुक्ला, स्वानंद किरकिरे, हरप्रीत, अविनाश दास, चिन्मई त्रिपाठी रविकांत, वंदना राग, कैलाश वानखेडे, यतीन्द्र मिश्र, कृष्ण कल्पित, आनंद प्रधान, गौरव सोलंकी, हिमांशु बाजपेयी, विनीत कुमार, प्रभात रंजन, अभिषेक शुक्ल, सोपान जोशी, प्रत्यक्षा, गिरीन्द्रनाथ झा, नवीन चौधरी, रामकुमार सिंह, अनघ शर्मा, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, उमेश पंत, त्रिलोकनाथ पांडेय, अशोक कुमार पांडेय, अश्विनी कुमार पंकज, राकेश तिवारी, अरूण देव, सुजाता, सुधांशु फिरदौस, व्योमेश शुक्ल, अदनान काफिल दरवेश, अंकिता आनंद, राजेश जोशी (पत्रकार), शिराज हुसैन, हिमांशु पंड्या, दारेन साहिदी।


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