विशेष : 130 करोड़ भारतीयों के लिए दुआ का समय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

विशेष : 130 करोड़ भारतीयों के लिए दुआ का समय

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भवेश कुमार भारतीय द्वारा प्राप्त यह लेखनी,जिसे लिखा है राष्ट्र सृजन अभियान के राष्ट्रीय  अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय चिंतक एवं विचारक डॉक्टर प्रद्युम्न कुमार सिन्हा ने।श्री सिंह का कहना है कि ईस रमजान के महीनों में आचार विचार की एक ऐसी संस्कृति सभ्यता को विकसित करने पर बल दिया जाए जिसमें न तो संकीर्ण मानसिकता हो, ना ही संकीर्ण विचार हो,ना ही संकीर्ण बर्ताव हो।उन्होंने कहा पैगम्बर मोहम्मद साहब सिर्फ मानव ही नहीं पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव जंतुओं के लिए परमपिता परमेश्वर के अंश माना गया है।ऐसा ही भारतीय संस्कृति एवं हिंदू धर्म के अनुयायी के उपदेश में कहा गया है ।।"वसुधैव कुटुंबकम" ।। 130 करोड़ भारतवासी आज इस कोरोना जैसी महामारी रुपी संकट से जूझ रही है ऐसे संकट की घड़ी में इस महान सोच को बदलए हुए आगे बढ़ाना है,ऐसा संकल्प लें जिससे धारा पर रहने विचरने वाले जीवों के हितकारक हो।इसके लिए हम सभी को अपने सोच को बदलना होगा,हमारे आचार विचार एवं आचरण के प्रति दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ व्यवहार में भी बदलाव लाना होगा।

डॉक्टर सिन्हा ने कहा "मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदोस्तां हमारा" ऐसी परिस्थिति में हम एक दूसरे के काम आयें ये सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात होगी।इस वैश्विक महामारी के समय में एक दूसरे के सुख दुख में काम आना चाहिए, यह पूरी दुनिया उसी समय तक रहने लायक रहेगी जब तक हम आपस में प्रेम,मोहब्बत त्याग,सद्भाव के साथ लगाव के साथ एक दूसरे से स्थाई संबंध बनाने में सफल होंगे । कोई जरूरी नहीं कि इस कार्य को करने के लिए हम सभी का मजहब,धर्म,संप्रदाय विचार एक ही हो।हमारी सोच अलग हो सकती है परंतु हमें कभी यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारी मातृभूमि,राष्ट्रभूमि जन्मभूमि भारत माता ही है।हम सभी 130 करोड़ भारतवासियों का खून भी एक ही रंग का है।हम सभी को पैदा करने वाला, संचालित करने वाला वह परमपिता परमेश्वर भी एक ही है।भले ही हम उसे विभिन्न नामों से जानते,मानते और पुकारते (याद) भी करते हैं।जब परमपिता परमेश्वर कभी किसी का बुरा नहीं चाहता सदैव भला ही चाहता है तो क्यों नहीं हम भी इस रमजान के पावन पवित्र महीने में सभी 130 करोड़ भारतवासियों और सिर्फ भारतवासियों ही क्यों संपूर्ण विश्व के कल्याणार्थ अपने अपने ईश्वर से यही दुआ करें कि हमें इस संकट की घड़ी से उबाड़े । हमारी एकता और अखंडता, Covid-19 के विरुद्ध हमारी जंग,वचनबद्धता,प्रतिबद्धता एवं बचाव से ही हमारी जीत सुनिश्चित है । डॉ सिन्हा ने कहा कि इस वैश्विक महामारी जैसे संकट की घड़ी में अलगाव,भेदभाव,हिंसा की नीति से तो हमारी हार ही होगी।हम सभी 130 करोड़ भारतवासी को यह शपथ लेना चाहिए कि तैरेंगे साथ और डूबेंगे साथ। डॉक्टर सिन्हा ने कहा यह दुआ का समय है,हमें अपने मन में दुश्मनों के प्रति भी गलत विचार नहीं रखना चाहिए,बुरे से बुरा भी  हालात हो जाए तब भी हमें किसी को बद्दुआ नहीं देना चाहिए।

रोजा का मतलब हम सब सिर्फ भोजन और भोग विलास से स्वयं को ना रोके बल्कि रोजा हमारी आन,हमारे शान,और कर्म हमारे व्यवहार,हमारे सद्भाव,हमारे अहिंसक बर्ताव का प्रतीक होना चाहिए।हम सभी को मिलकर रमजान में आचरण के साथ व्यवहार की भी ऐसी सभ्यता को विकसित करना चाहिए जिसमें संकीर्ण मानसिकता नहीं हो,जिसमें कोई पराया नहीं हो,हम सब सुख-दुख में एक दूसरे के साथ हों। इस समय दुनिया जिस महामारी से जूझ रही है, इंसानियत दांव पर लगी है,कोरोना जैसी महामारी कोई क्षेत्र नहीं देखता,कोई धर्म संप्रदाय,समाज,जाति या अमीर गरीब नहीं देखता इसलिए इस दुख की घड़ी में लोग यह सुनिश्चित करें,इबादत प्रार्थना को अपने घर तक ही सीमित रखें और इसे व्यक्तिगत बनाएं।आज पूरे विश्व में सोशल डिस्टेंस ही मात्र इकलौता उपाय है,और इस्लाम इसमें कहीं रुकावट नहीं बनता है,मुसलमानों का पूरे विश्व में तीन पवित्र (पाक) स्थान है।वह है मक्का के काबा दूसरा मदीना में पैगंबर की मस्जिद और तीसरा यरुशलम में वेट अल मकदिस इन तीनों पाक जगहों पर भी पाबंदी लगाई जा चुकी है। इंसानी जिंदगी सबसे अधिक मूल्यवान है इबादत के लिए जिंदा रहना बहुत जरूरी है।इसलिए तमाम मुफ्तियों और मजहबी इल्मदारों ने यही संदेश दिया है कि रमजान के समय अपने अपने घर में रहकर इबादत करें,और संपूर्ण भारतवासियों के कल्याणार्थ,सलामती (हिफाजत) के लिए दुआ करें।

--डॉ० पी० के० सिन्हा--

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