बिहार : शिशु मृत्यु दर में कमी के साथ बिहार का शिशु मृत्यु दर हुआ राष्ट्रीय औसत के बराबर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 मई 2020

बिहार : शिशु मृत्यु दर में कमी के साथ बिहार का शिशु मृत्यु दर हुआ राष्ट्रीय औसत के बराबर

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पटना,09 मई। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय स्वास्थ्य विभाग के क्रियाकलाप से खुश हैं। यह खुश ख़बरी है कि बिहार में शिशु मृत्युदर में भारी कमी आयी। अब राज्य में शिशु मृत्युदर 35 से घटकर 32 हो गया है। अब राष्ट्रीय औसत के बराबर बिहार का शिशु मृत्युदर हो गया है।यह बिहार के चिकित्सकीय सेवा के लिए बहुत ही बड़ी उपलब्धि है |

स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार को आशातीत सफलता
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के 2020 बुलेटिन में पेश आंकड़े बिहार के लिए बेहद ही ख़ुशी देने वाले है।राज्य में शिशु मृत्यु दर जो 2016 में 38 थी 2017 (जिसका प्रकाशन मई 2019 में हुआ) में घटकर 35 पर आ गयी है। प्रति हजार मृत्यु दर में भी बिहार में कमी आई है और यह 2016 में 6.0 से घटकर 5.8 हो गया है जो कि राष्ट्रीय मृत्यु दर 6.3 से बहुत कम है। इसके साथ ही जन्म दर भी 26.8 से घटकर 26.4 रह गया है। राज्य में शिशु मृत्यु दर जो 2017 में 35 थी 2018 (जिसका प्रकाशन मई 2020 में हुआ) में घटकर 32 हो गई है।इस शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कई आई है। बिहार की शिशु मृत्यु दर में आई यह कमी राज्य के लिए उल्लेखनीय सफलता है क्योंकि अब बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गई है। वही बिहार के अशोधित जन्म दर (प्रति 1 हजार लोगों में जीवित जन्म की वार्षिक संख्या) में भी कमी आई है, जो वर्ष 201 7 में 26.4 थी, वर्ष 2018 में घटकर 26.2 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने एस आर एस द्वारा जारी बुलेटिन में राज्य के शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट पर प्रसन्नता जाहिर की है, एवं राज्य के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से बताया है कि राज्य के शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कमी आई है जिससे बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत (32 ) के बराबर हो गई है। लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ शेष है।राज्य के सामने जन्म दर एवं कुल प्रजनन दर में कमी लाना इन मुख्य चुनौतियों में शामिल है। राज्य में प्रसव पूर्व होने वाले जाँच में आई गुणवतात्मक सुधार एक महत्वपूर्ण कारण है, क्योंकि जाँच के दौरान हीं जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं की पहचान कर ली जाती है और उनका विशेष देखभाल किया जाता है। दूसरी बात यह है कि बिहार में प्रतिरक्षण (टीकाकरण) की सुविधा भी बेहतर हुआ है। इसके साथ ही सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (पिकू) एवं जिला अस्पतालों में बीमार नवजातों के देखभाल के लिए एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) है। लड़कियों के शादी के उम्र में हुई बढ़ोतरी जैसे सामाजिक कारक भी राज्य के इस उपलब्धि में सहायक है।

बिहार में शिशु मृत्यु दर में सुधार हेतु – संस्थागत प्रसव के बाद सभी आवश्यक देखभाल एवं जाँच, रेफेरल एवं जिला अस्पतालों में बीमार नवजातों की देखभाल, घर पर नवजात एवं बच्चों के देखभाल हेतु विशेष कार्यक्रम, माँ कार्यक्रम के अंतर्गत अधिकतम स्तनपान पर जोर, विटामिन ‘ए’ एवं आयरन फोलिक एसिड का ऊपरी खुराक, अतिकुपोषित बच्चों का देखभाल, दस्त एवं स्वांस संक्रमण सम्बन्धी बिमारियों का प्रबंधन, गहन प्रतिरक्षण (टीकाकरण) कार्यक्रम, खसरा एवं जापानीज एन्फेलाईटिस का उन्मूलन, पोलियो का उन्मूलन जैसे प्रयास किये जा रहे हैं। अमानत कार्यक्रम जो कि नर्सों के क्षमतावर्धन पर केन्द्रित है और उनकी दक्षता को विकसित कर मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में बेहतरी लाने के लिए लक्षित है भी इस दिशा में अहम् भूमिका अदा करती है।

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