बिहार : भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी की बैठक, मंगल पांडेय को बर्खास्त करो - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

बिहार : भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी की बैठक, मंगल पांडेय को बर्खास्त करो

  • भाजपा-जदयू गफलत में न रहे, बिहार की जनता सबक सिखाने को तैयार बैठी.
  • कोरोना से बिहार को बचाने की बजाए वर्चुअल रैलियां करना सरकार की बनी हुई है प्राथमिकता.
  • सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृति - लोकतंत्र व कर्मचारी विरोधी फैसला
  • कोरोना के साथ-साथ बिहार में बाढ़ का भी कहर, सरकार को कोई फिक्र नहीं.
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पटना 24 जुलाई, भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी की एक वर्चुअल बैठक आज जूम ऐप पर हुई, जिसमें पार्टी के महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ पार्टी नेता स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, पूर्व विधायक राजाराम सिंह, धीरेन्द्र झा, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, अरूण सिंह, विधायक सुदामा प्रसाद सहित जिलों के सचिवों व जनसंगठनों पर काम करने वाले पार्टी नेताओं ने भाग लिया. बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि कोरोना और बाढ़ के कारण आज पूरा बिहार तबाह है. कोरोना की स्थिति लगातार विस्फोटक होती जा रही है और राज्य की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था ने पूरी तरह दम तोड़ दिया है. एक तरफ कोरोना का कहर है, तो दूसरी ओर पूरा उत्तरी बिहार बाढ़ की भयावहता झेल रहा है. सरकार ने इस बार तो बाढ़प्रभावितों को नाव तक देना मुनासिब नहीं समझ रही है. ऐसा लगता है कि पूरे राज्य को भाजपा-जदयू ने मरने-खपने के लिए छोड़ दिया है. और खुद वर्चुअल रैलियां करके बिहार चुनाव को जीत जाने का सपना देख रही है. राज्य में दलित-गरीबों के ऊपर सामंती-अपराधी हमलों की भी बाढ़ सी आ गई है. इस अव्वल दर्जे की संवेदनहीनता व गैर जिम्मेदाराना रूख के खिलाफ आज बिहार के हर तबके के भीतर सरकार के खिलाफ तीखा आक्रोश है. भाकपा-माले ने अपनी बैठक में इस आक्रोश को संगठित स्वर देने और कोरोना से लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए घर-घर जाकर संपर्क स्थापित करने का निर्णय किया है. बैठक को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा-जदयू को गलतफहमी हो गई है कि वे वर्चुअल तरीके से चुनाव कराके बिहार चुनाव को हड़प लेंगे. हम उनसे कहना चाहते हैं कि बिहार में जब भी चुनाव होगा, राज्य की जनता उनको उनके विश्वासघात के लिए सबक सिखाने के लिए तैयार बैठी है. लेकिन बिहार में कोरोना के महाविस्फोट को देखते हुए और चुनाव में लगने वाले लाखांे शिक्षकों-कर्मचारियों और उनसे जुड़े लोगों की सुरक्षा का प्रश्न हमारे लिए प्राथमिक प्रश्न है. और इसीलिए विपक्ष की पार्टियों ने चुनाव आयोग से गुजारिश की है कि चुनाव में वह लोगों की जिंदगी की सुरक्षा और चुनाव में व्यापक जनभागीदारी की गारंटी करे. 

यह भी कहा कि चुनाव आयोग इस मसले पर न केवल राष्ट्रीय पार्टियों के प्रतिनिधियों से बल्कि सभी राजनीतिक दलों, चुनाव में लगने वाले कर्मियों, सिविल सोसाइटी और आम लोगों से भी विचार-विमर्श करके ही कोई कदम उठाए. कहा कि यह समय कोरोना के प्रति और भी सावधानी बरतने का समय है. आज जब सरकारों ने अपने दायित्व से किनारा कर लिया है, और बिहार में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण लोगों का इलाज नहीं हो रहा है, तो लोगों की जिंदगी बचाना हम सबका पहला लक्ष्य होना चाहिए. उन्होंने बिहार के नाकारे स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल हटाने की भी मांग की. बैठक में पार्टी के आंदोलनों व विचारों को फैलाने तथा भाजपा-जदयू के विश्वासघात का पर्दाफाश करने के लिए फीजिकल व वर्चुअल कार्यों को मिलाने पर बल दिया गया. भाजपा-जदयू की नाकामी के खिलाफ घर-घर संपर्क स्थापित करने के साथ-साथ माले ने प्रत्येक बूथ पर बूथ कमिटी व व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का निर्णय किया है. अब तक लगभग 20 हजार व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण कर लिया है.

बैठक में तीन माह पहले सूचना देकर अथवा तीन माह के वेतन की समतुल्य राशि देकर 21 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर देने के बिहार सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है और इस तुगलकी फरमान को अविलंब वापस लेने की मांग की है. कहा कि लोग कोरोना व लाॅकडाउन से जूझ रहे हैं, और नीतीश जी मोदी जी के रास्ते चलकर आपदा को ‘अवसर’ में बदल रहे हैं यानि लोगांे की छंटनी के काम में लग गए हैं. 9 अग्रस्त को पूरे देश में किसानों की कर्जा मुक्ति, पूरा दाम किसान विरोधी अध्यादेशों को रद्द करने, डीजल का रेट घटाने, बिजली बिल 2020 वापस लेने, मनरेगा में 200 दिन काम की गारंटी करने आदि मांगों पर 9 अगस्त को किसान मुक्ति दिवस मनाया जाएगा.

सरकार ने विगत 8 साल में बड़े लोगों का 1 लाख 23 हजार करोड़ माफ किया है. इनका 9000 करोड़ से भी कम रिकवर है. लेकिन गरीबों, किसानों, माइक्रों फायनांस संस्थाओं द्वारा गरीबों को दिए गए कर्ज सरकार माफ नहीं कर ही है. 13 अगस्त को छोटे कर्जदार अपने कर्जों की वापसी की मांग पर आवाज उठायेंगे. अपनी जायज मांगों को लेकर एम्स के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. ऐसे समय में जब कोरोना का महाविस्फोट हो रहा है, सरकार को तत्काल पहलकदमी करनी चाहिए और कर्मचारियों की मांगों को पूरी करते हुए उनकी हड़ताल समाप्त करवानी चाहिए. पीडीएस सिस्टम के डीलरों के लिए भी कोराना से बचाव के ठोस उपाय किए जाने चाहिए ताकि पीडीएस सिस्टम फिर से बहाल हो सके.?

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