बिहार : पत्रकारिता का रोब दिखा, स्कूल की जमीन पर कब्जा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

बिहार : पत्रकारिता का रोब दिखा, स्कूल की जमीन पर कब्जा




अब तक आप ने दंबगो के द्वारा जमीन कबनाज़े का मामला तो बहुत सुना होगा पर आज हम आपको एक पूर्व मीडिया कर्मी के द्वारा सरकारी जमीन को कब्जाने का मामला बता रहे है । मामला है बिहार के समस्तीपुर जिला के रोसड़ा प्रखंड का जहा पर पूर्व मीडिया कर्मी रहे संजीव सिंह। ने एरौत गांव में हाई स्कूल का जमीन कब्जा किया हुआ है और अब जब स्कूल प्रशाशन उसको जमीन छोड़ने को कहता है तो वह स्कूल को जमीन के फर्जी कागजात पेश कर देता है जबकि इस पर स्कूल प्रसासन का कहना है की संजीव सिंह के पूर्वजों को जितनी उनकी जमीन के एवज में दुगनी जमीन वापस कर गई गई है फिर भी  संजीव सिंह मीडिया के नाम पर प्रखंड के प्रसासन से मिल कर अपनी मन मानी कर रहा है ।


पूर्व पत्रकार रहे संजीव सिंह जो इस जमीन को अपना हक जताने लगे है जो कि ये जमीन उनके पूर्वज इस जमीन को स्कूल को दे चुके है उसके बदले में स्कूल के तरफ से दोगुनी जमीन दूसरे जगह दिया गया है उसके बाद अब फर्जी कागज बना कर इस मामले को लेकर स्कूल प्रशासन पर दवाब दे रहा है कि यह जमीन उसकी है । स्थानीय लोगो ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि संजीव सिंह मीडिया कर्मी के बल पर प्रखंड प्रसासन से मिल कर स्कूल की जमीन पर कब्जा जमा रहा है । दूसरी तरफ स्कूल की ओर से स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकारी महकमे तक मे इस मामले के बारे में बताया गया लेकिन अभी तक कुछ समस्य का समाधान नही हुआ है । स्थानीय लोगो की माने तो उनका कहना है कि संजीव सिंह ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि इस जमीन की वर्तमान कीमत 5 करोड़ है ।  लोगो की माने तो इतना ही है


हाई स्कूल के जमीन का हिस्सा जो सीमांकित नहीं हो पाया था उस पर अवैध दुकानों का संचालन चल भी चल  रहा था की अचानक से 4 साल पहले पत्रकारिता से निलंबित व्यक्ति गांव के सबसे बड़े दलाल के परामर्श और अपने कुछ दलाल मुर्ख सहयोगी के परामर्श पर एक दिन अपना पुस्तैनी दावा करते हुए मिट्टीकरण का कार्य शुरू कर देते है महज 2 दिन तक तक यह कार्य चला और स्कूल की अपील पर अंचल अधिकारी के द्वारा इस  कार्य पर प्रतिबन्ध लग जाता है| आपको लगेगा कहानी खत्म हो गयी जी नहीं हम कुछ ग्रामीणों के सहयोग से अवैध ढंग से रात्रि के अंधेरे में एक गोदाम नुमा दुकान का निर्माण होता है और अगले ही दिन उसमे बिजली की भी व्यवस्था की है|  गांव के लोग इस मामले को विरोध किया कर रहा है। वही इस मामले में जब हमने पूर्व मीडिया कर्मी से संपर्क करनेकी कोशिश की तो उनसे संपर्क नही हो पाया

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