बिहार : दो महत्वपूर्ण चुनौतियां - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

बिहार : दो महत्वपूर्ण चुनौतियां

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मेहसी. पूर्वी चम्पारण में मेहसी प्रखंड है.इस प्रखंड के  सामाजिक कार्यकर्ता अमर जी कहते हैं कि इस वर्ष (2020) हमलोगों के समक्ष दो महत्वपूर्ण चुनौतियां विकराल रूप धारण कर ली है.पहला वैश्विक महामारी कोविड-19 और दूसरा जानलेवा बाढ़ है. सामाजिक कार्यकर्ता अमर जी कहते हैं कि बाढ़ जो है वह हरेक साल या कभी-कभी अंतराल कर बिहार के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती है.फलस्वरूप खासकर उत्तर बिहार और पूर्वी बिहार के अधिक आबादी के हिसाब से,घनत्व वाले पश्चिम चंपारण से लेकर किशनगंज, कटिहार तक के जिलों को अपने जद में ले लेती है. 2017 के तबाही के बाद इस वर्ष की बाढ़ ने भी खासा तबाही मचाई है. फलस्वरूप कई तटबंध, बांधों, नहरों, पुल-पुलियों के साथ-साथ ग्रामीण सड़कों, राज्य-मार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्गों को भी खासा प्रभावित किया है.इतना ही नहीं, खेतों में लगी हजारों हेक्टेयर धान की फसलों को और मक्का, सब्जी, फल-फूल को भी खासा नुकसान पहुंचाया है.उन्होंने कहा कि इस बार की बाढ़ पशुधन को भी नुकसान पहुंचाया है. निचले इलाकों में बसने वाले लोगों के घरों को और घरों में रखे सामग्रियों को तहस-नहस करके छोड़ दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता अमर जी कहा कि आज भी हजारों परिवार सड़क किनारे सुरक्षित बांधों और ऊंची जगहों पर शरण लेने पर मजबूर हैं.आखिर ऐसा क्यों ? हम कब तक बाढ़ की मुसीबतों को झेलने पर मजबूर होते रहेंगे ? क्या इसके समाधान के, या इसके प्रभाव को कम से कमतर करने का कोई तरीका नहीं निकल सकता ?  मेरी समझ से यदि हम इन समस्याओं को समाधान की दिशा में ले जाना चाहते हैं तो हमें निश्चय ही दृढ़ इच्छाशक्ति की,और राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत होगी. इसके बिना अब काम चलने वाला नहीं है, क्योंकि हर वर्ष इस मुसीबत से जहां लाखों की आबादी प्रभावित होती है, वहीं वर्षों की कमाई भी बाढ़ के कारण आने वाली आपदा से नष्ट हो जाती है.

पिछले 2 दिनों से निकल रहे तेज धूप के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के सामने जीवन संकटपूर्ण हो चुका है, ऊपर से जलजमाव वाले क्षेत्रों में फसलों और कचरो के सड़ांध से फैलने वाले दुर्गंध के कारण लोगों का जीना दूभर हो गया है.  स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को 05 अगस्त की स्वाब सैंपल जांच रिपोर्ट के हवाले से बताया कि पटना जिले में सबसे अधिक 603 पॉजिटिव मिले। इसके बाद कटिहार में 234, पूर्वी चंपारण में 190, वैशाली में 163, समस्तीपुर में 139, भागलपुर में 128, मुजफ्फरपुर में 118, रोहतास में 106, नालंदा में 102, सहरसा में 101, सारण में 94, बक्सर और सीवान में 92-92 तथा भोजपुर में 90 व्यक्ति संक्रमित पाए गए हैं. पूर्वी चम्पारण जिले में वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रहे समुदाय को  काफी नुकसान पहुंचाया है.उनके सामने परिवार को चलाने, उनके भरण-पोषण की गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है.कोविड-19 के प्रभाव स्वरूप, नित्य नए संक्रमितो की संख्या में हो रहे इजाफा और लोगों के जान पर बढ़ता जोखिम, उत्तर पूर्वी बिहार के जिलों में जहां गत दिनों लॉकडाउन के कारण बिहार के निवासियों का बाहरी राज्यों से हुए भारी आगमन के स्वरूप उनकी रोजी-रोटी पर संकट तो उत्पन्न किया ही है, ऊपर से बाढ़ ने रही-सही कसर को पूरा कर दिया है. लोग पहले से ही संकटों का मुकाबला करते आ रहे थे, लेकिन बाढ़ ने उनकी तबाही-बर्बादी को और भी पुख्ता कर दिया है.

गत दिनों बिहार विधान मंडल में मानसून सत्र के अवसर पर बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी द्वारा यह कहते हुए पूर्ण घोषणा की गई कि - सरकार की तिजोरी पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है। विपक्षी दलों का मुंह बंद करने के लिए काफी था. उन्होंने बाढ़ से बेहाल हो रहे बिहारवासियों के लिए अपने  सरकार का संकल्प दोहराते हुए कहा कि -  हम पीड़ितों की हर संभव मदद करने के लिए तत्पर हैं, सरकार के सभी कर्मचारी अधिकारी गण दिन -रात इस कार्य में लगे हैं . समझा जाता है कि उत्तर पूर्व बिहार के निवासियों की धैर्य की परीक्षा का पराकाष्ठा है.हम सरकार से आग्रह पूर्वक निवेदन करना चाहते हैं कि संकट के इस घड़ी में कोई बाढ़ पीड़ित छूटे नहीं और सरकार से भरोसा उठे नहीं, इस पर बारीकी से ध्यान रखना होगा.क्योंकि बाढ़ के कई नए क्षेत्र क्षेत्रों का इस बार अनेकों टटबंध, बांध टूटने के कारण विस्तार हुआ है.संकट पर संकट लोगों के सामने बढ़ता गया लेकिन लोग अभी भी अपने धैर्य की परीक्षा देने में पूरे मन से जुटे हैं. जून-जुलाई माह में सामान्य से अधिक वर्षा होने के फलस्वरूप जहां ग्राउंड वाटर लेबल 10 से 12 फीट तक बढ़ने की बात सामने आ रही है, वहीं राज्य के दर्जनों ऐसी मृतप्राय हो चुकी नदियों में इस बार बहाव का देखा जाना एक शुभ-संकेत के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. सरकार का यह संकल्प हर खेत तक सिंचाई के साधन पहुंचाने का संकल्प इससे कुछ हद तक पूरा होता हुआ दिखने लगा है.सरकार इन समस्याओं का स्थाई और टिकाऊ समाधान निकालने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएं ताकि बाढ़ हमारे लिए अभिशाप ना होकर वरदान साबित हो.

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