दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य प्रो० विनोद कुमार चौधरी ने आज जारी एक बयान में कहा है कि मिथिलांचल में मेधा की कोई कमी नहीं और 2 दिन पूर्व यूपीएससी के परीक्षाफल ने इस बात को साबित कर दिय।।बिहार के युवाओं में ऐसी ऊर्जा एवं मेधा है कि वह जो चाहे हासिल कर सकते हैं। बिहार के सभी सफल छात्र छात्राओं को मैं बधाई देता हूं। भले ही कुछ नेताओं को इस बात पर विश्वास न हो लेकिन सच्चाई तो यही है मिथिलांचल ने पुनः अपने रिकॉर्ड को कायम रखा है तथा मैथिली विषय लेकर परीक्षा देने वाले 4 छात्र-छात्राएं इस परीक्षा में अच्छे रैंक पर है वैसे पूरे मिथिलांचल से कुल 7 छात्र इस वर्ष के यूपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। बावजूद इसके बिहार के राज्यपाल कुलाधिपति एवं मुख्यमंत्री की सहमति से होने वाले कुलपतियों के नियुक्ति में ऐसा नहीं दिखता कि बिहार में भी विद्वान है। बिहार के 17 विश्वविद्यालयों में से 11 विश्वविद्यालय के कुलपति बिहार के बाहर के हैं। यह बिहार के लिए शर्म की बात है। एवं सभी बड़े नेताओं को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए। पिछले सात-आठ वर्ष से देखने में तो यही लगता है कि बिहार में विद्वानों की कमी है तथा बाहर विद्वानों की भरमार है। यह बिहार की अस्मिता पर सवाल उठाता है। बड़े नेता बिहार के हक की बात करते हैं लेकिन उनके हाथ में जो है उस पर बिहार का हक हकूक कहां चला जाता है यह बड़ा सवाल है और बिहार के लोग धीरे धीरे इस बात को महसूस करने लगे हैं।। अभी भी सभी विश्वविद्यालयों की कुलपतियों की संख्या देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं। आने वाले समय में कुलपतियों की जो नियुक्ति होने वाली है उसे भी आप देख लेंगे पुनः पुरानी बात ही दोहराई जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।। बिहार की जनता को फैसला करना है की विद्यापति,अयाची मंडन मिश्र, आर्यभट्ट, गौतम बुध,चाणक्य, रामवृक्ष बेनीपुरी, रामधारी सिंह दिनकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद, मौलाना मजहरूल हक जैसे लोगों की धरती विद्वान विहीन हो गई है?
गुरुवार, 6 अगस्त 2020
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दरभंगा : UPSC परिणाम ने फिर साबित किया कि बिहार में मेधा की कमी नहीं : प्रो० विनोद चौधरी
दरभंगा : UPSC परिणाम ने फिर साबित किया कि बिहार में मेधा की कमी नहीं : प्रो० विनोद चौधरी
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