बिहार : छोटे कर्जों की वसूली पर रोक की मांग को लेकर ऐपवा ने मनाया कर्ज मुक्ति दिवस. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

बिहार : छोटे कर्जों की वसूली पर रोक की मांग को लेकर ऐपवा ने मनाया कर्ज मुक्ति दिवस.

  • एमसीआई व प्राइवेट बैंक महिलाओं को सशक्त बनाने की बजाए कर्ज के फंदे में डाल रहे हैं - मीना तिवारी
  • बड़े लोगों के कर्जों को सरकार माफ कर बेल आउट पैकेज दे रही, लेकिन छोटे कर्जदारों पर जुल्म ढा रही है.
  • पटना में प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष किया प्रदर्शन.
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माइक्रो फायनांस कंपनियों व प्राइवेट बैंकों द्वारा ग्रामीण महिलाओं को दिया जाने वाला कर्ज आज पूरी तरह उनके लिए गले का  फंदा बन गया है, जिसके चक्र से महिलायें बाहर ही नहीं निकल पा रही हैं. ब्याज की दर इतनी अधिक है कि कई जगह वह मूलधन के बराबर हो गई है. यह सूदखोरी का नया रूप है. यदि केंद्र की सरकार बड़े काॅरपोरेटों के अरबों का कर्ज माफ कर सकती है और बेल आउट पैकेज दे सकती है तो छोटे कर्जदारों के कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता है. उक्त बातें आज ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने छोटे कर्जदारों की कर्ज वसूली पर रोक लगाने की मांग को लेकर ऐपवा व ऐपवा से संबद्ध स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के आह्वान पर आज आयोजित कर्ज मुक्ति दिवस के असवर पर पटना में कहा. आज का कार्यक्रम  सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाने, स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज माफ करने,.एक लाख रुपये तक का निजी कर्ज चाहे वो सरकारी, माइक्रो फायनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों, का लॉकडाउन के दौर का सभी किस्त माफ करने, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित करने, एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाने, शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त करने, सामूहिक कर्ज  के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक ऑथोरिटी बनाने, स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर 0-4 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित करने, जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो उस कर्ज को समाप्त करने आदि मांगों के साथ आयोजित की गई. आज के कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ रसोइया, जीविका व अन्य स्वयं सहायता समूहों ने भी पुरजोर तरीके से हिस्सा लिया. राजधानी पटना के साथ आरा, बेगूसराय, अरवल, जहानाबाद, गया, पटना ग्रामीण के विभिन्न केंद्रों, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, गया, नालंदा, नवादा, औरंगाबाद, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, जमुई आदि सभी जिलों में आयोजित हुए. पटना में ऐपवा नेता सरोज चैब, शशि यादव, अनीता सिन्हा; गया में रीता वर्णवाल, नवादा में सावित्री देवी, सिवान में मातरी राम व सोहिला गुप्ता, आरा में इंदू सिंह व संगीता सिंह व शोभा मंडल, दरभंगा में शनीचरी देवी और मुजफ्फरपुर में मीरा ठाकुर ने आज के कार्यक्रम का नेतृत्व किया. पटना के चितकोहरा में महिलाओं के प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव ने कहा कि तीन महीने से ऐपवा लगातार इन मांगों को उठा रहा है. रिजर्व बैंक ने निर्देश जारी किया था कि 31 अगस्त तक कर्ज वसूली पर रोक रहेगी, लेकिन इस दौर में भी माइक्रो फायनांस संस्थान और प्राइवेट बैंक कर्ज के किस्त वसूल रहे हैं. हमारे आंदोलन के बाद कुछ जगहों पर ये पीछे हटे हैं. लेकिन, कई जगहों पर अभी भी महिलाओं को धमकाकर जबरन वसूली कर रहे हैं .एक जगह तो असमर्थता  जताने पर कहा गया कि शरीर बेच कर जमा करो! कहीं कोई महिला अगर किस्त जमा करने की स्थिति में नहीं है तो उसके घर का सामान उठा कर ले जा रहे हैं. लाॅकडाउन व कोरोना ने ऐसे ही लोगों की कमर तोड़ दी है, ऐसे में महिलायें कहां से किश्त जमा कर पायेंगी. चितकोहरा में उनके अलावा आबिदा खातून व अन्य महिलायें शामिल थीं. ऐपवा राज्य कार्यालय में आयोजित प्रतिवाद में ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे ने कहा  कि लॉकडाउन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. छोटे रोजगार, काम-धंधे बंद हैं. लॉकडाउन से पहले महिलाओं ने जो भी कर्ज लिए हैं वो शौक से नहीं मजबूरी में लिए हैं. आज जबकि भोजन का इंतजाम कठिन है तब लोन की किस्त कहां से जमा करें? इसलिए हमारी मांग है कि हम महिलाओं से कर्ज वसूली बंद की जाए. इसमें विभा गुप्ता भी शामिल हुईं. ऐपवा के आज के देशव्यापी कार्यक्रम के तहत पटना में ऐपवा नेता अनिता सिन्हा, अनुराधा सिंह, राखी मेहता, माले के वरिष्ठ नेता जितेन्द्र कुमार, पूनम देवी, सविता देवी, करूणा, रेणु, सुनीता, मंजू, रीना आदि नेताओं ने प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन किया और कर्ज माफी से संबंधित अपना आवेदन भी सौंपा.

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