बिहार : गंगा जल को नीतीश के गृह जिले नालंदा ले जाने नहीं देंगे? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 31 अगस्त 2020

बिहार : गंगा जल को नीतीश के गृह जिले नालंदा ले जाने नहीं देंगे?

  • गंगा जल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के गृह जिले नालंदा के बिहारशरीफ, नवादा और गया के अलावा इस रूट में पड़ने वाले छोटे-छोटे शहरों में ले जाने नहीं देंगे...
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मोकामा,31 अगस्त। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को हाथीदह (मोकामा) में गंगा वाटर लिफ्ट प्रोजक्ट (उद्‌वह योजना) के पहले फेज का स्थल निरीक्षण किया। इस योजना का मकसद गया, बोधगया, राजगीर एवं नवादा जिले को गंगा का पानी (पेयजल) उपलब्ध कराना है। मुख्यमंत्री ने इसके हर पहलू की जानकारी ली, इसकी समीक्षा की और इसे समय पर पूरा करने का निर्देश दिया।बहुमुखी औंटा द्वारा विरोध किया जा रहा है। इनके द्वारा प्रयास हो रहा है कि गंगा जल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के गृह जिले नालंदा के बिहारशरीफ, नवादा और गया के अलावा इस रूट में पड़ने वाले छोटे-छोटे शहरों में ले जाने नहीं देंगे। बताया जाता है कि गंगा जल ले जाने से नालंदा के बिहारशरीफ, नवादा और गया के अलावा इस रूट के क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई की समस्या दूर हो जाएगी। योजना को 2 साल के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बरसात में 3 महीने गंगा का पानी हाथीदह से मोटर पंप के जरिए निकाला जाएगा तथा बीच में कई जगहों पर रिवर वायर बनाए जाएंगे। जिसमें पानी स्टोर किया जाएगा, बाद में यही पानी सिंचाई और पेयजल के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। गंगा का पानी पेयजल और सिंचाई में इस्तेमाल करने के लिए राज्य सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना का शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोकामा में निरीक्षण किया। यह परियोजना बाढ़ अनुमंडल के हाथीदह मरांची से गया जिले के अबगिला पहाड़ी तक लगभग 200 किलोमीटर की है।  हाथीदह से पाइपलाइन के जरिए गंगा का पानी नालंदा, नवादा और गया शहरों के लिए पेयजल के रूप में सप्लाई की जाएगी जबकि दूसरे चरण में नदी का पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। परियोजना में दो अलग-अलग ढाई मीटर मोटी पाइपलाइन बिछायी जानी है। इसमें एक में पेयजल तथा दूसरे में सिंचाई के लिए पानी आपूर्ति की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि पाइपलाइन उन इलाकों से गुजरेगा जो सूखा क्षेत्र हैं।  गंगा का पानी बरसात के दिनों में अनावश्यक रूप से वह जाता था। इसीलिए उसे दूर करने के लिए इस परियोजना को बनाया गया है। वैसे तो मूल रूप से सिंचाई विभाग की परियोजना है लेकिन इसका प्रशासनिक खाका पटना, नालंदा, नवादा और गया जिला प्रशासन द्वारा तैयार किया गया है। डीएम कुमार रवि ने बताया कि परियोजना से संबंधित जो भी सिंचाई विभाग की आवश्यकता थी, उसे उपलब्ध करा दिया गया है। सिंचाई विभाग अब इस परियोजना से संबंधित अगले चरण का काम जल्द ही शुरू करेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को हाथीदह (मोकामा) में गंगा वाटर लिफ्ट प्रोजक्ट (उद्‌वह योजना) के पहले फेज का स्थल निरीक्षण किया। इस योजना का मकसद गया, बोधगया, राजगीर एवं नवादा जिले को गंगा का पानी (पेयजल) उपलब्ध कराना है। मुख्यमंत्री ने इसके हर पहलू की जानकारी ली, इसकी समीक्षा की और इसे समय पर पूरा करने का निर्देश दिया।



सरमेरा के पास तीन हिस्सों में बंटेगी पाइप लाइन
नालंदा जिले के सरमेरा के पास पानी और सिंचाई का पाइपलाइन तीन हिस्सों में बंटेगा। सरमेरा परियोजना का मुख्य प्वाइंट होगा। यहां से एक पाइपलाइन बिहारशरीफ, दूसरी पाइपलाइन नवादा तथा तीसरी पाइपलाइन गया जिले के लिए जाएगी। इसीलिए इस जगह को उसी के हिसाब से विकसित किया जाएगा ताकि एकत्रित किए गए पानी को यहां से तीन हिस्सों में आपूर्ति की जाए। गंगा पलायन विकास की आधारशिला रखी जा चुकी है। सीना गर्व से चौड़ा हो गया।राजनीतिक रूप से अपंग होने का उदाहरण मोकामा मे देखने को मिल रहा है,वो भी उस वक़्त जब कमर भर पानी में घुटना भर नेता है,कंठ भर दलाली है, मगर चुल्लू भर हिम्मत नहीं है। सामाजिक बदलाव एक निष्पक्ष आवाज ढूँढती है।आप स्वयं को वही आवाज समझकर अपनी बात रखें।हर संभव मदद करेंगे। Versial Aunta के द्वारा विरोध किया जा रहा है।  बाकी यहाँ नितीश कुमार की सरकार के ही आदमी है, इस वजह से अपनी ही सरकार के विरोध में कोई प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है। वहां पर सरकार और लोकल गुंडे पॉलिटिशियन के डर से कोई खुल के विरोध नही कर पाता,अन्यथा सब पर फर्जी केस करवा दिया जाता है।  गाँव मोकामा से 200 किलोमीटर पाइपलाइन के सहारे गंगा नदी का पानी मोकामा से नालंदा, गया, राजगीर लेकर जाया जा रहा है।प्रोजेक्ट की कीमत 3 हजार करोड़ रुपये है। जिसे रिवाइज़ कर 5 हजार करोड़ किया जायेगा।इस प्रोजेक्ट की घोषणा पिछले साल 2019 में अगस्त महीने हुई और साल भर के अंदर युद्ध गति से काम होने लगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इसकी देख रेख कर रहे हैं। 

इस प्रोजेक्ट से मोकामा के स्थानीय लोग भयभीत है।जिसके निम्न कारण हैं:-

-प्रोजेक्ट की "इंपैक्ट स्टडी" पब्लिक नहीं की गयी है। स्टडी हुई भी है या नहीं इसपे शंका है।प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट सामने नहीं आया है। 

-मोकामा गंगाजी के इलाकों में पूरे भारत में सबसे अधिक "गंगेटिक डोलफिंस्" हैं।स्ट्रीम डिस्टर्ब होने से "एक्वेटिक लाइफ" पे बुरा असर होगा। 

- मोकामा का ग्राउंड वॉटर लेवल गया,नवादा इत्यादि जिलों से काफी कम है।उसके बावजूद मोकामा में 120 मीटर बोर करके पानी ले जाये जाने से 'ग्राउंड वाटर' और 'कृषि कार्यों' पर नेगेटिव इंपैक्ट होगा।क्युकी मोकामा में गंगा के दक्षिण में एशिया का सबसे बड़ा फार्मलैंड टाल है। 

-सरकार कहती है बरसात के दिनों में जब पानी अधिक होगा तब लगातार 3 महीने पानी सप्लाई करेंगे। कुल 270 मिलियन क्यूबिक फिट के तीन डैम में पानी स्टोर होगा। जबकि नालन्दा जिला बरसात के दिनों में स्वयं डूबा रहता है। 2016 में आई बाढ़ देखें। साथ ही गंगा जी की स्थिति क्षणभंगुर है। 2 महीने पानी रहता है, उसके अगले महीने पानी सूख जाता है। 

-गंगा पलायन से नदी बेसिन में "सिल्टिंग और सेडिमेंटेशन्" होगा।जिसको साफ करवाने के लिये विशेष कवायद करनी होगी,अन्यथा मोकामा क्षेत्र में बाढ़ आने की सम्भावना बढ़ जाती है। क्षेत्रीय लोग परेशान है, क्युकी मोकामा टाल में भी सिल्टिंग से गाद जमा होने की समस्या से बुआई नही हो पाती है।(कलकता से वाराणसी 14 दिनों की गंगा ट्रिप से पर्यटन की सुविधा है, जिसको लेकर अडानी ग्रुप और भारत सरकार पिछले 2 सालों से 40*10 मीटर चैनल निर्माण कर रही है। सेडिमेंटेशन् की वजह से आये दिन रोज जहाज फंस जाता है।) 

-गया,नालन्दा,राजगीर में भी छोटी बड़ी 5 नदियाँ हैं।बरसात में वहाँ बाढ़ आता है।वाटर मैनेजमेंट, ग्राउंड वाटर रिचार्ज इत्यादि के लिए स्ट्रीम के विरुद्ध जाने के अलावे अन्य उपाय किये जा सकते थे। जैसा तमिलनाडु और अन्य दक्षिण के राज्यों में है। 

-इंपैक्ट स्टडी इस योजना के और भी कई कुप्रभाव बाहर लायेगी।यह एक छात्र का विश्लेषण है। "इंटरनेशनल वाटर ट्रिटी" के भी इंपैक्ट होने के चाँसेज हैं। 

मै मोकामा से हूँ। मोकामा में सारे उद्योग(सुता मिल,बाटा,सिंदूर फैक्ट्री, भारत वैगन,मैकडावल इत्यादि बंद है। कृषि ही एकमात्र साधन है,वो भी कई वर्षों से वाटर मिसमैनेजमेंट की मार झेल रहा है। पिछले वर्ष भी 70% टाल क्षेत्र में बुआई नही हुई, जिसका मुआवजा भी नहीं मिला और इस बीच इस योजना से भूजल प्रभावीत होने से लाखों लाख की आबादी बर्बाद हो जायेगी। 

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