अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के द्वारा भारत बंद 25 सितम्बर को - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 19 सितंबर 2020

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के द्वारा भारत बंद 25 सितम्बर को

aikscc-protest-on-delhi
एआईकेएससीसी के द्वारा 25 सितम्बर को अखिल भारतीय बंद व प्रतिरोध का आह्वान
दिल्ली, 19सितम्बर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) की वर्किंग ग्रुप की बैठक कल देर रात सम्पन्न हुई। तय किया गया कि सरकार द्वारा 5 जून को लाए गये खेती के तीन अध्यादेश और इन पर आधारित नए कानून, जिन पर संसद में चर्चा हो रही है, का पुरजोर विरोध किया जाएगा।  एआईकेएससीसी इन नए कानूनों के खिलाफ एक व्यापक प्रतिरोध संगठित करेगी और 25 सितम्बर को अखिल भारतीय बंद व किसानों की प्रतिरोध सभाओं का आयोजन करेगी। साथ में शहीद-ए-आजम भगत सिंह के 114वें जन्मदिन के अवसर पर इन तीन कानूनों, नए बिजली बिल 2020 तथा डीजल व पेट्रोल के दाम में तेज वृद्धि के केन्द्र सरकार के कारपोरेट पक्षधर किसान विरोध कदमों का विरोध करेगी। ये तीन कानून पूरी तरह से फसलों की सरकारी खरीद पर रोक लगा देंगे, जिससे फसलों के दाम की सुरक्षा समाप्त हो जाएगी, क्योंकि निजी मंडियां बनाए जाने के बाद और आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से अनाज, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज हटाए जाने के बाद इन वस्तुओं के दाम व व्यापार पर सरकार नियामन समाप्त हो जाएगा। श्री नड्डा का यह आश्वासन कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगी, धोखाधड़ी और झूठ है, क्योंकि भाजपा सरकार द्वारा बनाए गये शान्ता कुमार आयोग ने साफ-साफ संस्तुति की थी कि केवल 6 फीसदी किसान एमएसपी का लाभ उठाते हैं, इसे समाप्त कर देना चाहिए। एफसीआई और नाफेड द्वारा खरीद बंद कर देना चाहिए और राशन में अनाज देना समाप्त कर देना चाहिए। 

दुनिया के सभी देशों में, कोई देश अपवाद नहीं है, किसानों की फसल के दाम की सुरक्षा केवल सरकारें देती हैं, कम्पनियां नहीं। कम्पनियां केवल सस्तें में खरीद कर मंहगा बेचती हैं और मुनाफा कमाती हैं। एक बार फसल पैदा हो जाती है तो उसे तुरंत बेचना आवश्यक होता है, वरना व नष्ट होगी और उसका मूल्य गिरेगा। भाजपा ने दावा किया है कि भारत में अनाज उत्पादन बढ़ गया है। ज्यादा अनाज के लिए ज्यादा सरकारी खरीद की जरूरत है, जिसके बिना उसके दाम और घट जाएंगे। भाजपा सरकार कारपोरेट मुनाफे के लिए कार्य कर रही है और सारी खाद्यान्न श्रृंखला को उसके बाजार के लिए खोल रही है। भाजपा शासन में किसानों की कर्जदारी बढ़ी है और लागत के दाम के बढ़ाए जाने से, जिसमें बिजली व डीजल के दाम सरकार बढ़ा रही है और बाकी सामान कम्पनियां बेच रही हैं, यह कर्जदारी और बढ़ रही है। अब ठेका खेती में किसानों की जमीन को शामिल करके कम्पनियां नए कानून के अनुसार उन्हें और मंहगे दाम पर खाद बीज खरीदने के लिए मजबूर करेंगी। भारत में किसान और भूमिहीन बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं, लगभग हर घंटे 2 किसान मर रहे हैं और सरकार नारा तो आत्मनिर्भरता का दे रही है, पर किसान के हितों को बड़ी कम्पनियों के हवाले कर रही है। एआईकेएससीसी ने सभी देशभक्त ताकतों से अपील की है कि वे इन नए कानूनों का विरोध करे और एआईकेएससीसी द्वारा प्रस्तावित “कर्जामुक्ति, पूरा दाम“ पर आधारित दोनो कानून पास कराने के लिए उसे मजबूर करें। 

कोई टिप्पणी नहीं: