एयर इंडिया भले हमारे साथ ना हो पर इंडिया ज़रूर हमारे साथ है! शिवानी शाश्वत ने कहा कि मेरे पति ‘वंदे भारत मिशन’ के पायलट थे। उन्होंने विदेशों में फँसे भारतीयों को सुरक्षित अपने घर वापस पहुँचाया था। बदले में उन्हें उनकी नौकरी से निकाल दिया गया...
पटना। शिवानी शाश्वत ने कहा कि पीपीई किट और ग्लव्स पहनकर वो 15-15 घंटे प्लेन की छोटी से केबिन में रहते। घर आकर भी वो परिवार से मिलने से पहले 5 दिन क्वारंटीन में रहते और फिर दुबारा फ्लाइट के लिए तैयार हो जाते। मुझे अपने पति और उनके सहकर्मियों पर बहुत गर्व था कि कोरोना महामारी काल में माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर उन्होंने भारतीयों की जान बचाई। हमें नहीं पता था कि देश की सेवा करने का मेहनताना नौकरी छीनकर दिया जाएगा? उन्होंने कहा कि ना केवल मेरे पति बल्कि उनके साथी 56 पायलटों को आधी रात को नौकरी से निकाल दिया गया। मैं उनके सहकर्मियों और मेरे पति के साथ हुए अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठा रही हूँ। मैं अकेले ये लड़ाई नहीं लड़ सकती, क्या आप हमारा साथ देंगे? उन्होंने कहा कि सैलरी में कटौती के बाद भी मेरे पति ने अपनी ज़रूरतों को पीछे कर के देश और देशवासियों को आगे रखा। उन्होंने परिवार की चिंता किए बिना अपनी ड्यूटी निभाई। जब भी वो हमें छोड़कर जाते, मैं और वो, हम दोनों जानते थे कि अब कई दिनों तक वो हमसे दूर रहेंगे। वो क्वारंटीन सेंटरों में अपनी कोरोना जांच के लिए 2-3 दिन तक बिताते और फिर जब भी बुलावा आता, वापस चले जाते। स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों की तरह, मेरे पति भी भारत के कोरोना वॉरियर थे। वो चाहते तो इस ड्यूटी से अपना नाम कटवा सकते थे पर उन्होंने लोगों को सुरक्षित घर पहुँचाना अपना फर्ज़ समझा और निभाया। मेरे पति ने हमेशा यात्रियों को सुरक्षित उनके घर तक पहुँचाया है, लेकिन आज उन्हीं से उनके सिर की छत छीनी जा रही है। आपके साइन करने से मेरे पति और 56 अन्य पायलटों की नौकरी बच सकती है। मेरी पेटीशन साइन करें और जितना हो सके शेयर करें ताकि दुनिया भी देखे कि ‘वंदे भारत मिशन’ के पायलट अकेले नहीं, भारत उनके साथ खड़ा है।आशा करती हूँ मेरे पति जल्द ही दोबारा देश की सेवा कर पाएंगे।
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