बिहार : जेल में अनशन पर बैठे हैं आनंद मोहन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 2 नवंबर 2020

बिहार : जेल में अनशन पर बैठे हैं आनंद मोहन

लवली आनंद ने कहा कि 10 दिनों से प्रशासन परिजनों को आनंद मोहन से मिलने नहीं दे रहा है।लवली आनंद ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आनंद मोहन की हत्या करवाना चाहती है।लवली आनंद ने कहा कि अगर आनंद मोहन से जेल प्रशासन परिजनों को नहीं मिलने देगा तो समर्थक सड़क पर उतरेंगे....

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भागलपुर।
एक जमाने में उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र के बाहुबली कहलाया करते थे आनंद मोहन। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1990 में हुई थी। तब वे पहली बार सहरसा से विधायक बने थे। 1994 में उनकी पत्नी लवली आनंद वैशाली लोकसभा का उपचुनाव जीतकर संसद भवन पहुंची थीं। समता पार्टी के टिकट पर आनंद मोहन ने जेल से ही 1996 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वे दो बार सांसद रह चुके हैं। वहीं उनकी पत्नी एक बार सांसद चुनी गई हैं। वे गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में फिलहाल भागलपुर जेल में बंद हैं। बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सासंद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गई हैं।वर्तमान राज्य सरकार जुल्मी सरकार है। उन्होंने आनंद मोहन समेत सभी बड़े नेताओं को जेल भेजने का काम किया है। जेल में 10 दिनों से परिजनों से मिलने नहीं दे रहा है प्रशासन। लवली आनंद ने  हत्या की आशंका जताते हुए  कहा कि 'आनंद मोहन की हत्या करवाना चाहती है  लवली ने कहा कि 20 अक्टूबर की देर रात पूर्व सांसद आनंद मोहन को सहरसा जेल से भागलपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया था।जिसके बाद से ही लवली आनंद और चेतन आनंद सरकार पर हमलावर हैं। भागलपुर विशेष केंद्रीय कारा में बंद पूर्व सांसद व बाहुबली नेता आनंद आनंद मोहन ने अन्न छोड़ दिया है। सहरसा जेल से भागलपुर जेल लाये जाने से नाराज आनंद मोहन ने जेल आईजी को पत्र लिख कर कहा है कि उसे राजनीतिक द्वेष के कारण उन्हें यहां भेजा गया है। पूर्व सांसद ने सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि जबतक उन्हें वापस सहरसा नहीं भेजा जाता, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। वे सिर्फ नींबू-पानी ले रहे हैं। जेल प्रशासन ने जेल आईजी और भागलपुर डीएम को आनंद मोहन के अन्न छोड़ने की जानकारी दी है।


पत्नी चुनाव लड़ रही, इसलिए उन्हें यहां लाया गया

आईएएस जी कृष्णैय्या हत्याकांड मामले में जेल में बंद आनंद मोहन की पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद को राजद ने इस बार सहरसा से उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में सहरसा जेल में रहते हुए आनंद मोहन द्वारा चुनाव में गड़बड़ी फैलाने की आशंका को देखते हुए उन्हें 21अक्टूबर की सुबह भागलपुर स्थित विशेष केंद्रीय कारा लाया गया था। यहां उन्हें सबसे सुरक्षित तीसरे खंड में रखा गया है। आनंद मोहन को मनाने के लिए शुक्रवार को अफसर विशेष केन्द्रीय कारा गये। लेकिन आनंद मोहन अन्न ग्रहण करने को तैयार नहीं हुए। अधिकारियों ने जेल प्रशासन से उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली। जेल प्रशासन की रिपोर्ट पर डीएम ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह एडीएम और सिटी एसपी एसके सरोज को अनशन तोड़वाने के लिए पहल करने को भेजा था। बताया जा रहा है कि दोनों अफसरों ने आनंद मोहन से मिलकर अन्न ग्रहण करने को कहा।  बताया गया कि सरकार के निर्देश पर सहरसा से भागलपुर जेल लाया गया है। यहां जेल नियमों के अनुसार सुविधायें उपलब्ध करायी जाएंगी। करीब आधे घंटे तक अधिकारियों ने जेल में आनंद मोहन से बात की। लेकिन अन्न ग्रहण करने को वे तैयार नहीं हुए। अधिकारियों ने आनंद मोहन के स्वास्थ्य की जांच रिपोर्ट की भी जानकारी ली। जांच में स्वास्थ्य ठीक पाया गया है। पल्स का रेट कुछ कम हुआ है।


प्रशासनिक दृष्टिकोण से दो महीने के लिए लाया गया

पूर्व सांसद आनंद मोहन को चुनाव को देखते हुए प्रशासनिक दृष्टिकोण से जेल आईजी के आदेश पर सहरसा जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था। भागलपुर जेल लाये जाने के बाद आनंद मोहन ने शारीरिक परेशानी और बीमारी की भी बात कही है। कमर में दर्द की शिकायत भी वे कर चुके हैं। जेल अस्पताल के डॉक्टर उनपर नजर रख रहे हैं। विशेष केंद्रीय कारा लाये जाने के बाद से ही आनंद मोहन ने अन्न ग्रहण नहीं किया है। वे सिर्फ नींबू, पानी और चीनी ले रहे हैं। उन्होंने जेल आईजी को पत्र लिखकर सहरसा से भागलपुर लाये जाने को लेकर नाराजगी जताई है। उनके द्वारा अन्न ग्रहण नहीं करने की जानकारी जेल आईजी और डीएम को दे दी गयी है। बता दें कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के हत्या मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की लिखी कहानी 'पर्वत पुरुष दशरथ' काफी फेमस है।  - जेल में सजा काटने के दौरान आनंद ने दो पुस्तकें "कैद में आजाद कलम' और "स्वाधीन अभिव्यक्ति' लिखी, जो प्रकाशित हो चुकी हैं। "कैद में आजाद कलम' को संसद के ग्रंथालय में भी जगह दी गई है।  

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