हरलाखी विधानसभा क्षेत्र से कुल 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. पिछले चुनाव में यह सीट रालोसपा उम्मीदवार वसंत कुमार ने जीती थी. लेकिन, विधायक के रुप में शपथ ग्रहण करने के पूर्व ही उनका निधन हो गया. जिस कारण इस क्षेत्र में उप-चुनाव कराना पड़ा. उप-चुनाव में भी रालोसपा ने दिवंगत वसंत कुमार के बेटे सुधांशु शेखर को उम्मीदवार बनाया. रालोसपा उम्मीदवार के रुप में सुधांशु शेखर विजयी होने में सफल रहे. हालांकि, बाद में सुधांशु शेखर जदयू में शामिल हो गए. इस बार सुधांशु शेखर जदयू उम्मीदवार के रुप में चुनाव मैदान में हैं. इनका मुकाबला महागठबंधन की ओर से भाकपा उम्मीदवार एवं पूर्व विधायक राम नरेश पांडेय से है.श्री पांडेय भाकपा के राज्य सचिव एवं दिग्गज नेता हैं.ऐसे में इस क्षेत्र का मुकाबला काफी रोचक हो गया है.इस क्षेत्र से लोजपा ने विकास कुमार मिश्र को चुनावी मैदान में उतारा है.रालोसपा से संतोष कुमार सिंह तो जाप से संतोष कुमार झा भी चुनाव मैदान में हैं. हालांकि, भाकपा एवं जदयू उम्मीदवार के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जाता है। लेकिन लोजपा, रालोसपा एवं जाप उम्मीदवार जीत-हार को प्रभावित कर सकते हैं. बता दें कि इस बार चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार को कई बार विरोध का सामना करना पड़ा है। कई रैलियों में नीतीश कुमार के सामने ही उनके खिलाफ नारेबाजी की गई है, जबकि खुद नीतीश ने भी नारेबाजी करने वाले लोगों को टोका है.इससे पहले भी सीएम नीतीश कुमार की सभा में व्यवधान डालने की कोशिश हो चुकी है.बिहार के मुखिया नीतीश कुमार पर लगातार प्रचार करने के दरम्यान सरकार विरोधी नाराबाजी का सामना करना पड़ा.मुजफ्फरपुर के कांटी में नीतीश कुमार की सभा हो रही थी. इस दौरान कुछ लोगों ने मुर्दाबाद के नारे लगाए तो मुख्यमंत्री नीतीश ने नारेबाजी कर रहे लोगों से कहा, 'क्यों मुर्दाबाद कह रहे हो, जिसको जिंदाबाद कह रहे हो उसको सुनने के लिए जाओ.' उन्होंने कहा कि हम समाज को एक करने में लगे हुए हैं और वो लोग लगे हुए कि समाज को फिर बांट दो. फिर झगड़ा का माहौल पैदा कर दो.
मुजफ्फरपुर के सकरा में एक चुनावी रैली के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हेलीकॉप्टर की तरफ किसी व्यक्ति ने चप्पल फेंक दी। हालांकि, चप्पल हेलीकॉप्टर तक नहीं पहुंची। पुलिस उपाधीक्षक (मुजफ्फरपुर पूर्वी) मनोज पांडेय ने बताया कि रैली के दौरान हेलीपैड पर खड़े मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर की तरफ चप्पल फेंकी गई। उस समय मुख्यमंत्री मंच पर थे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की रैली में व्यवधान पैदा करने के आरोप में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। चप्पल फेंकने की घटना के समय कुछ लोग नारेबाजी भी कर रहे थे. आज तो अति हो गया.फूलों के बदले पत्थर बरसाने लगे. खैरियत रहा कि चपलता से सुरक्षाकर्मी सीएम को घेर लिये.सीएम मधुबनी से हरलाखी विधानसभा क्षेत्र पहुंचे. सीएम जब मंच से संबोधित कर रहे थे तभी उनपर जानलेवा हमला किया गया. सीएम जब अपने सभा के दौरान लोगों को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान सीएम पर पत्थर फेंका गया. हालांकि इस घटना में नीतीश कुमार बाल-बाल बच गए. हरलाखी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारतीय राज्य बिहार के मधुबनी जिले का एक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र है. यह क्षेत्र मधुबनी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है. मधुबनी जिले का हरलाखी विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक गिरजास्थान के लिए जाना जाता है. भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित हरलाखी विधानसभा क्षेत्र में कल्याणेश्वर महादेव मंदिर, कलना एवं विशौल के विश्वामित्र आश्रम जैसे प्राचीन और दर्शनीय स्थल के दर्शन के लिए भी हर साल हजारों लोग आते हैं. लेकिन उनके ठहरने के लिए धर्मशाला या टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स नहीं है. इसके कारण बाहर से आनेवाले लोग सुविधा के अभाव में पूजा अर्चना कर तुरंत लौट जाते हैं. राज्य सरकार ने इन स्थलों को रामायण सर्किट से जोड़ने की योजना रहने के बाद भी कोई ठोस प्रयास नहीं किया है. अगर इलाके को पर्यटन उद्योग के रूप में विकसित किया जाता तो यहां के बेरोजगारों को रोजगार के लिये बाहर नहीं जाना पड़ता.
अबतक चुने गए विधायक-1990- वीणा वादिणी पांडेय (कांग्रेस),1995- रामनरेश पाण्डेय (सीपीआई),2000- सीताराम यादव (राजद),2005-(अक्टूबर) रामनरेश पाण्डेय (सीपीआई),2005-(फरवरी) रामनरेश पाण्डेय (सीपीआई), 2010- शालीग्राम यादव (जनता दल),2015- बसंत कुमार (आरएलएसपी) और 2016- सुधांशु शेखर(आरएलएसपी). यहां वर्ष 2015 में चुनाव के बाद तत्कालीन विधायक के निधन के बाद अगले साल (साल 2016) उपचुनाव भी कराना पड़ा था. पिछला चुनाव भी महागठबंधन बनाम NDA हुआ था और इस बार का चुनाव भी इन्हीं दो गठजोड़ के प्रत्याशियों के बीच होने की उम्मीद है. बस कुछ दलों के पाला बदलने से राजनीतिक समीकरण जरूर बदल गए हैं. बता दें कि हरलाख उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद सुधांशु शेखर ने JDU का दामन थाम लिया, जिसके कारण रालोसपा की झोली जीतकर भी खाली रह गई. बिहार की चुनावी राजनीति में मधुबनी जिले का महत्वपूर्ण स्थान है. मधुबनी संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 10 सीटें हैं, ऐसे में हर राजनीतिक दल की इस क्षेत्र पर नजर रहती है. इस बार के असेंबली इलेक्शन में भी सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों की इस संसदीय क्षेत्र पर नजर है. सभी राजनीतिक पार्टियां यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में रहती हैं, ताकि बिहार की राजनीति में अपना असर छोड़ सकें.
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