बिहार : किसानों का आंदोलन स्वतंत्रता बचाने का आंदोलन है": प्रोफेसर डेजी नारायण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

बिहार : किसानों का आंदोलन स्वतंत्रता बचाने का आंदोलन है": प्रोफेसर डेजी नारायण

  • "किसानों के साथ हम पटना के लोग" नागरिक अभियान के पहले दिन बतौर मुख्य वक्ता बोलीं पटना यूनिवर्सिटी  इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष
  • मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हो रहे नागरिक, उठाई कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग, एआईपीएफ़ का आयोजन

farmer-protest-indipendense-fight
पटना (19 दिसंबर) मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ अब नागरिक समाज ने भी एकजुटता दिखानी शुरू कर दी है. मंगलवार को बिहार की राजधानी पटना के शहीद भगत सिंह चौक पर ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम "किसानों के साथ हम पटना के लोग" के तहत राजधानी के प्रबुद्ध जन जुटे और कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद की. कार्यक्रम की मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. डेज़ी नारायण ने कहा  कि सरकार द्वारा यह दुष्प्रचार चलाया जा रहा है कि  आंदोलन महज़ पंजाब-हरियाणा के किसानों का है और विपक्ष की साजिश है. जबकि यह आंदोलन न सिर्फ किसानों बल्कि देश की आम अवाम के हक़ की लड़ाई लड़ रहा है. यह देश की आज़ादी बचाने का आंदोलन है. इसलिए यह जरूरी है कि इस आंदोलन को देश की जनता का व्यापक समर्थन मिले. सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश ने कहा कि ये काले कृषि कानून न केवल सभी किसानों,कृषक मजदूरों के बीच भूखों मरने की नौबत पैदा करेंगे  बल्कि, पूरे देश की  अवाम को लातिनी अमरीकी देशों में फैले भुखमरी,बेकारी व बदहाली जैसे हालात के कगार पर पहुंचा देंगे. वरिष्ठ वामपंथी किसान नेता के.डी.यादव ने कहा कि अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद पिछले 70 सालों के कृषकों के प्रयास से हम भोजन के मामले में आत्मनिर्भर हुए हैं पर कॉरपोरेट लाभ के लिए असंवैधानिक तरीके से देश पर लादे गए कृषि कानूनों के माध्यम से हमारे भोजन का अधिकार खत्म किया जा रहा है.  युवा कवि उपांशु ने आंदोलन के समर्थन की अपील करते हुए सत्य का घोषणापत्र, नए मध्यवर्ग के लिए और आइना शीर्षक अपनी कविताओं का असरदार पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए एआइपीएफ से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब ने कहा कि  देश बचाने के लिए चल रहे इस आंदोलन से समाज के विभिन्न तबकों को जोड़ने के उद्देश्य से "किसानों के साथ हम पटना के लोग" नामक नागरिक अभियान की शुरुआत आज शहीद भगत सिंह चौराहा,गांधी मैदान, पटना पर हुई है. यह पटना के विभिन्न मुहल्लों,बाजारों,इलाकों में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी तक चलेगा. इसमें पटना के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि-साहित्यकार, प्राध्यापक-चिकित्सक, कवि,गायक,रंगकर्मी, युवा-मजदूर आदि समाज के सभी तबके भाग लेंगे. हर सभा में गीत, कविता,नुक्कड़ नाटक व वक्तव्यों से  किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया जाएगा.  आज के इस आयोजन में संस्कृतिकर्मी उदय व अनिल ने जनगीत का गायन किया.  उक्त वक्ताओं के साथ कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव, अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सह सचिव उमेश सिंह, ऐक्टू नेता जितेंद्र कुमार, इंकलाबी नौजवान सभा के सुधीर कुमार, विनय कुमार, पुनीत , मो. सोनू, ग़ालिब कलीम , कृष्ण कुमार सिन्हा समेत नागरिक समाज के दर्जनों लोग मौजूद थे.  आज से शुरू इस नागरिक अभियान के तहत कल चौक शिकारपुर , पटना सिटी में कार्यक्रम होगा.

कोई टिप्पणी नहीं: