पुस्तक प्रकाशन जगत के लिए बजट में हो प्रावधान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

पुस्तक प्रकाशन जगत के लिए बजट में हो प्रावधान

  • ·         कोरोना काल में घोषित सरकारी राहत पैकेजों में पुस्तक व्यवसाय के लिए कुछ नहीं था
  • ·         शिक्षा और ज्ञान को जन जन तक पहुँचाने के लिए पुस्तक व्यवसाय को मदद करना जरूरी

ashok-maheshwari
नई दिल्ली: शिक्षा और ज्ञान के प्रचार प्रसार में पुस्तकों की अहम भूमिका को देखते हुए पुस्तक प्रकाशन उद्योग के लिए सरकार बजट में प्रावधान करे । कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था के सामने आई चुनौतियों के बीच अनेक उद्योगों-व्यवसायों के लिए जिन राहत पैकेज की घोषणा की गई, उनमें पुस्तक प्रकाशन उद्योग के लिए कुछ नहीं था. यह कहा है राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने । उन्होंने कहा, मौजूदा समय तमाम अन्य व्यवसायों की तरह पुस्तक व्यवसाय से जुड़े लाखों परिवारों के लिए भी संकट का समय है. पुस्तक व्यवसाय देश में बहुत छोटा है । पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकें ज्यादातर आबादी की जरूरी चीजों की सूची में नहीं आतीं. उनकी क्रयशक्ति भी सीमित है । अशोक ने कहा, पुस्तक व्यवसाय देश में आर्थिक दृष्टि से बड़ा नहीं है. इसके बावजूद देश को शैक्षिक-बौद्धिक रूप से उन्नत बनाने में पुस्तकों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता ।  लेकिन समाज के लिए जरूरी इस व्यवसाय को राहत की जरूरत है, जिसके बारे में सरकार को कदम उठाना चाहिए । उन्होंने कहा कि सभी समझते हैं कि पुस्तकों पर जीएसटी नहीं है. बेशक पुस्तकों पर टैक्स नहीं लगता पर इससे जुड़े रायल्टी, अनुवाद, संपादन, छपाई, बाइंडिंग, कूरियर आदि तमाम कामों पर जीएसटी लगती है । ई बुक और ऑडियो बुक की बिक्री पर भी जीएसटी लगती है. अशोक ने कहा, पुस्तकों को सर्व सुलभ कराने और शिक्षा के मौलिक अधिकार को जनता तक पहुँचाने के लिए इससे जुड़े कामों को जीएसटी मुक्त कर देना चाहिए ।  अशोक ने कहा कि सरकार पुस्तक व्यवसाय से जुड़े सॉफ्टवेयर को सस्ते में उपलब्ध कराने का इंतजाम कर भी उसकी मदद कर सकती है । उसे जाली पुस्तकों का प्रकाशन रोकने के लिए सख्त कानून लाना चाहिए । उन्होंने कहा कि पुस्तकों की सरकारी खरीद में कोटेशन और टेंडर-वेंडर सिस्टम को खत्म करने, पुस्तकों के लिए डाक दर व रेल दर को सस्ता करने से भी पुस्तक व्यवसाय को काफी मदद मिलेगी ।

कोई टिप्पणी नहीं: