पटना 22 जनवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार सरकार की ओर से मीडिया/इंटरनेट के माध्यम से सरकार, मंत्रीगण, सांसद, विधायक एवं सरकारी पदाधिकारियों के संबंध में आपत्तिजनक/अभद्र एवं भ्रांतिपूर्ण टिप्पणियों पर रोक लगाने के लिए लाया गया नया आदेश दरअसल सोशल मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म कर देने की साजिश है. आगे कहा कि आज बिहार में अपराध व अन्याय एक बार फिर से बढ़ रहा है. भाजपा-जदयू की सरकार द्वारा चुनाव में जो 19 लाख रोजगार के वादे किए गए थे, उसे युवाओं को प्रदान करने की बजाए सरकार अभ्यर्थियों-बेरोजगारों पर लाठियां चला रही है. बिहार की जनता न्यायपसंद व जिम्मेवार शासन की उम्मीद कर रही है, लेकिन भाजपा-जदयू की सरकार उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार का यह आदेश जगन्नाथ मिश्रा के दौर के कुख्यात 1982 के प्रेस बिल की याद दिला रहा है. जिसके खिलाफ न केवल पत्रकार समुदाय बल्कि बिहार के ग्रामीणा गरीबों के साथ-साथ जनवादी-लोकतांत्रिक जमात के बड़े हिस्से ने ऐतिहासिक प्रतिवाद दर्ज किया था और सरकार को काला कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था. नीतीश कुमार का यह नया आदेश उसी तरह का आदेश है. हमारी मांग है कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हन बंद करे, आदेश को तत्काल वापस ले और सोशल मीडिया की स्वतंत्रता बहाल करे.
शुक्रवार, 22 जनवरी 2021
बिहार : सोशल मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करना बंद करे नीतीश सरकार: माले
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