बिहार : लड़ने वाले किसान नहीं, आज़ादी के रक्षक हैं: सरोज चौबे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 21 जनवरी 2021

बिहार : लड़ने वाले किसान नहीं, आज़ादी के रक्षक हैं: सरोज चौबे

  • "देश की थाली से रोटी छीने जाने के खिलाफ है यह संघर्ष: रणजीव"
  • "किसानों के साथ हम पटना के लोग" नागरिक अभियान के तीसरे दिन पटना सिटी में जुटे सैकड़ों लोग
  • मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हो उठाई तत्काल रद्द करने की मांग
  • एआईपीएफ़ का आयोजन

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पटना ( 21 दिसंबर 2020) : तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ गुरुवार को पटना सिटी के गाय घाट स्थित डॉ. अम्बेडकर चौराहे के पास ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआइपीएफ) के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम "किसानों के साथ हम पटना के लोग" में राजधानी के नागरिक समाज के अनेक प्रबुद्ध जन जुटे और कृषि कानूनों के दुष्प्रभावों से लोगों को अवगत कराते हुए इनके खिलाफ आवाज़ उठाने का आह्वान किया. कार्यक्रम की मुख्य वक्ता वरिष्ठ वामपंथी महिला नेता सरोज चौबे ने कहा कि अपने सौ से ज़्यादा साथी खो चुके दिल्ली की सीमा पर डटे किसान केवल खेती नहीं बल्कि देश की आज़ादी बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. वे सच्चे देशभक्त हैं. देश उनका ऋणी रहेगा. मेहनतकाश जनता की कमाई से सेठों की थैली भरने वाली सरकार को इस आंदोलन के आगे झुकना ही होगा.   उन्होंने आगे कहा कि ऐसा दुष्प्रचार चलाया जा रहा है मानो यह महज पंजाब - हरियाणा के किसानों की ज़िद हो. दरअसल यह आंदोलन पूरे देश की खाद्य सुरक्षा की गारंटी के लिए लड़ा जा रहा. नई कंपनी राज के हाथों गुलामी के खिलाफ लड़ा जा रहा है. इसलिए यह हम सबका आंदोलन है. इसे मिलकर जीतना ही होगा. पर्यावरण और जल संरक्षण विशेषज्ञ , प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव ने कहा कि लोक कल्याणकारी  राज्य व्यवस्था में अब आम लोगों की थाली से रोटी छीनी जा रही है और चहेते पूंजीपतियों की तिजोरी भरी जा रही है. चोरी से ये कानून लाये गए हैं. खाद्यान की हमारी आत्मनिर्भरता खत्म की जा रही है. किसानों की जमीन पर सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों को कब्ज़ा दिलाया जा रहा है. पूरी खेती उनके अधीन की जा रही है. उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून भूख और बदहाली पैदा करेंगे इसलिए हम सबका दायित्व है कि इनके खिलाफ चल रही लड़ाई में एकजुट हो व्यापक समर्थन पैदा करें.  मौके पर मौजूद युवा कवि प्रशांत विप्लवी ने आंदोलनरत किसानों के साथ खड़ा होने की अपील करते हुए 'सर्वज्ञ की चिंता', 'जीभ', 'स्वाधीनता' और 'बहुत मुश्किल से आदमी बना हूं' शीर्षक अपनी कविताओं का असरदार पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए इस नागरिक अभियान के संयोजक एआइपीएफ से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब ने कहा कि इस आंदोलन से व्यापक समाज का जुड़ाव हो इसे संभव करना आज हम सबकी ऐतिहासिक जिम्मेदारी हो गयी है. यही इस अभियान का मकसद है."किसानों के साथ हम पटना के लोग" नामक इस नागरिक अभियान का यह तीसरा दिन था. पटना के विभिन्न मुहल्लों, बाजारों, इलाकों में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी तक यह चलेगा जिसमें सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि-साहित्यकार, प्राध्यापक-चिकित्सक, कवि,गायक,रंगकर्मी, युवा-मजदूर आदि समाज के सभी तबके भाग ले रहे हैं. गीत, कविता, नुक्कड़ नाटक व वक्तव्यों से किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया जा रहा है. उक्त वक्ताओं के साथ कार्यक्रम में अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सह सचिव उमेश सिंह, इंसाफ मंच के संयोजक नसीम अंसारी, आसमा खान, जन संस्कृति मंच के संयोजक राजेश कमल, अनय मेहता, राजेश कुशवाहा, ललन यादव, रामनारायण सिंह, चंद्रभूषण शर्मा, मो. सोनू समेत प्रबुद्ध नागरिक समाज के दर्जनों लोग मौजूद थे.  आज से शुरू इस नागरिक अभियान के तहत कल कंकड़बाग टेम्पो स्टैंड पर कार्यक्रम होगा.

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