- यहां पर केवल शुक्रवार को ही क्रूस रास्ता यानी चौदह मुकाम किया जाता है
- शाम को श्रद्धालुओं ने उपवास और परहेज तोड़ा.
आसनसोल. आसनसोल धर्मप्रांत में करीब सालभर से धर्माध्यक्ष नहीं हैं.महामहिम धर्माध्यक्ष मोनिस के रिटायर होने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में संत पापा ने अन्य धर्मप्रांत के रिटायर धर्माध्यक्ष साल्वाडोर लोबो को आध्यात्मिक प्रशासक नियुक्त कर दिये हैं.आध्यात्मिक प्रशासक के द्वारा ही धर्मप्रांत का सामाजिक एवं धार्मिक कार्य निपटारा किया जा रहा है. बताते चले कि आध्यात्मिक प्रशासक को संत जोंस चर्च,चेलिडंगा के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर डॉल्फि मैथियस का योगदान मिलता है.फादर डॉल्फि मैथियस के कुशल नेतृत्व में पल्ली यूथ के परिपक्व हो रहे है और उनका नेतृत्व में भी निखार आ रहा है. वहीं आसनसोल धर्मप्रांत के सबसे बड़ी पल्ली संत जोंस चर्च के सभी पल्लीवासियों के सहयोग से पवित्र राख बुधवार के धार्मिक कार्यक्रम को सफलतापूर्वक अंजाम देने में फादर डॉल्फि मैथियस सफल हो गये हैं. संत जोंस पल्ली के यूथ उत्प्रेरक थोमस पीटर ने कहा कि आज ईसाई समुदाय के लिए महत्वपूर्ण दिन रहा है.प्रभु येसु ख्रीस्त का दुखभोग समय आ गया.इसे बोलचाल में चालीसा कहा जाता है.पवित्र बुधवार से शुरू होता है.इस दिस दिन राख बुधवार कहा जाता है.आज से चालीस दिनों तक उपवास और परहेज रखा जाता है.जो गुड फ्राइडे तक जारी रहता है. उन्होंने कहा कि आसनसोल धर्मप्रांत के सबसे बड़ी पल्ली संत जोंस चर्च में राख बुधवार के अवसर पर तीन बार मिस्सा किया गया.ऐसा करके वैश्विक कोरोना से बचाव किया गया.भीड़ पर लगाम लगाना था. प्रथम मिस्सा सुबह 6:00 बजे फादर डॉल्फि मैथियस ने अर्पित किये.इस अवसर पर फादर डॉल्फि मैथियस मथियस ने कहा कि धर्मावलम्बियों को चालीसा की अवधि में अधिक समय प्रार्थना करने में बिताना चाहिए.जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए मुट्ठी को बंद नहीं करना बल्कि खुले हाथ दान करना चाहिए.अपने पापों की क्षमा के लिए पापस्वीकार करना चाहिए. फादर डॉल्फि ने श्रद्धालुओं के माथे पर पवित्र राख लगाकर कहा कि 'पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो'. दूसरा मिस्सा शाम 4:00 बजे इंग्लिश में फादर जेराल्ड मचाडो ने किया और तृतीय मिस्सा शाम 5:30 बजे फादर माइकल हांसदा ने किया.दोनों पुरोहितों ने भी श्रद्धालुओं के माथे पर पवित्र राख लगाकर कहा कि 'पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो'.बता दें कि यहां पर केवल शुक्रवार को ही क्रूस रास्ता यानी चौदह मुकाम किया जाता है.शाम को श्रद्धालुओं ने उपवास और परहेज तोड़ा.
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