पटना, बिहार के वरिष्ठ पत्रकार संजय वर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि बिहार विधान सभा और विधान परिषद की प्रेस सलाहकार समिति में 90 फीसदी से अधिक सवर्ण जातियों के सदस्य हैं। रिपोर्टिंग के लिए पास जारी करने में जातीय भेदभाव किया जाता है। इस कारण गैरसवर्ण विधायकों और विधान पार्षदों के साथ कार्यवाही की खबरों के संकलन में भेदभाव और दुराग्रहपूर्ण खबर लिखी जाती है। इन आरोपों और शिकायतों पर विधान परिषद में मुहर लग गयी है। राजद के विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी ने वीरेंद्र यादव न्यूज के साथ चर्चा में कहा कि विधान परिषद में बुधवार को उन्होंने अपने पूरे भाषण में कहीं भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया था, लेकिन अखबारों ने छाप दिया कि रामबली सिंह चंद्रवंशी ने प्रधानमंत्री की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े उनके वक्तव्य को संदर्भ से काटकर प्रकाशित किया गया। श्री चंद्रवंशी ने कहा कि इस प्रकार की आधारहीन और पीत पत्रकारिता की रिपोर्टिंग उचित नहीं है। दरअसल संजय वर्मा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यही आशंक जतायी थी कि सवर्ण पत्रकार गैरसवर्ण जनप्रतिनिधियों के साथ जातीय दुराग्रह से रिपोर्टिंग करते हैं। उनकी खबरों को गलत संदर्भ में प्रकाशित करते हैं। संजय वर्मा ने प्रेस सलाहकार समितियों में विधायकों के सामाजिक प्रतिनिधित्व के अनुपात में पत्रकारों को सामाजिक प्रतिनिधित्व देने की मांग की थी। संजय वर्मा में विधानमंडल की रिपोर्टिंग में जिस जाति के धुंए की आशंका जतायी थी, वह अब सुलगने लगी है। इस बीच गैरसवर्ण पत्रकार संघ ने कहा है कि राष्ट्रीय पिछड़ावर्ग आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र लिखकर संसद और विधानमंडलों की प्रेस सलाहकार समितियों में गैरसवर्ण पत्रकारों को अनुपातिक प्रतिनिधित्व देने की मांग करेगा।
साभार : वीरेंद्र यादव न्यूज
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