विशेष : जब एक पूर्व महिला विधायक की बेटी को उठा ले गया था मंत्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 मार्च 2021

विशेष : जब एक पूर्व महिला विधायक की बेटी को उठा ले गया था मंत्री

--- बिहारी राजनेताओं की रंगरेलियां 1 -------

वीरेंद्र यादव, स्‍वतंत्र पत्रकार

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बिहार विधान सभा और विधान परिषद के पूर्व सदस्‍य रही हैं रमणिका गुप्‍ता। उनका लंबा राजनीतिक जीवन रहा है। बिहार-झारखंड की राजनीति में उनकी सक्रियता मजदूर नेता और रंगकर्मी के रूप में हुई थी। राजनीति की जमीन पर पैर मजबूती से जमने के साथ ही राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा बढ़ती गयी। यह महत्‍वाकांक्षा इतनी तीव्र थी कि उन्‍होंने अपने समय के कई नेताओं को रौंद डाला। राजनीति की भागदौड़ में वह सैकड़ों बार ‘यौन आंनद’ की आग में झुलसती गयीं या झुलसाती गयीं। इसका पूरा खुलासा उन्‍होंने अपनी पुस्‍तक आपहुदरी (आत्‍मकथा) में किया है। जिन नेताओं के साथ उनका शारीरिक संबंध बना और जिन परिस्थितियों में बना, इसकी चर्चा भी उन्‍होंने नाम और जगह के साथ की है। ‘बिहारी राजनेताओं की रंगरेलियां’ नामक इस फेसबुक श्रृंखला में हम घटनाओं और जगहों का जिक्र करेंगे, लेकिन व्‍यक्ति विशेष की पहचान उजागर नहीं करेंगे। इसकी वजह है मर्यादाओं का सम्‍मान करना। हम भी पत्रकार के साथ एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, हमारी भी राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा है। हम राजनेताओं की मर्यादाओं को तार-तार करना उचित नहीं समझते हैं। लेखिका रमणिका गुप्‍ता की पुस्‍तक उनकी आत्‍मकथा है। इस कारण उनका हर बार जिक्र करना अनिवार्य हो जाता है। उन्‍होंने पूरे जीवन के यौन आनंद और उत्‍पीड़न का जिक्र इस पुस्‍तक में किया है। उसमें एक बड़ा हिस्‍सा बिहारी राजनेताओं के साथ यौन संबंधों का है। पुस्‍तक में जिन नेताओं की चर्चा की गयी है, उनमें से अब कोई जीवित नहीं हैं। खुद रमणिका गुप्‍ता भी स्‍वर्ग सिधार चुकी हैं। इस श्रृंखला के माध्‍यम से हम उनके अनुभवों के आलोक में बिहार की राजनीति से पाठकों को अवगत कराना चाहते हैं। इस पुस्‍तक में कोयांचल में राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहारों की लड़ाई, छात्र आंदोलन से लेकर कांग्रेस और सोशलिस्‍ट आंदोलन की अंतर्कथा मिल जायेगी। लेकिन हर जगह ‘देह का उन्‍माद’ मुख्‍य भूमिका में नजर आयेगा। इसे आप सत्‍ता के मैदान में ‘देह यात्रा’ भी कह सकते हैं। अपनी आत्‍मकथा आपहुदरी में रमणिका गुप्‍ता लिखती हैं कि तत्‍कालीन एक मंत्री ने उन्‍हें बताया कि तुम्‍हें केंद्र सरकार की एक कमेटी में सदस्‍य बना गया दिया है और कमेटी की बैठक दिल्‍ली में है। इसी बहाने मंत्री अपने स्‍वजातीय सहायक के साथ दिल्‍ली ले गये। रास्‍ते में ट्रेन में ही मंत्री ने शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। इस पर उन्‍होंने मंत्री के सहायक को हटाने के लिए कहा तो मंत्री ने कहा कि हम सब एक ही हैं। रास्‍ते में उन्‍हें बताया गया कि राजनीति में आयी हो तो यह सब चलता है। दिल्‍ली में बिहार भवन में तीन दिनों का प्रवास हुआ। वह बार-बार पूछतीं कि मिटींग कब है। हर बार झूठा आश्‍वासन मिलता रहा। तीसरे दिन जब दिल्‍ली से प्रस्‍थान करने लगे तो फिर पूछा कि मिटींग हुई ही नहीं, तो मंत्री ने कहा कि तीन दिन हम तीनों मिटींग ही कर रहे थे। र‍मणिका लिखती हैं कि केंद्रीय कमेटी में शामिल करने की बात झूठ थी और सिर्फ इसी बहाने दोनों ने उनका इस्‍तेमाल किया। हांलाकि कई जगहों पर रमणिका इन शारीरिक संबंधों को रक्षा कवच और सीढ़ी भी मानती मिल जायेंगी। उन्‍होंने एक जगह लिखा है कि एक बार उक्‍त मंत्री एक पूर्व महिला विधायक की बेटी को ट्रेन में जबरदस्‍ती चढ़ाकर दिल्‍ली तक भोगते ले गये थे। वे लिखती हैं कि वह लड़की उनको स्‍टेशन तक छोड़ने आयी थी और फिर वहीं से उठाकर ट्रेन में बैठा लिया था। ये घटनाएं 1962-64 के बीच की है।

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