#बिहार, बिहार की जनता और बिधान सभा को शर्मशार करने वाले लोकतंत्र के हत्यारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार माफी मांगों ।
#देश व किसान बिरोधी तीनों कृषि कानून वापस लो ।
उपरोक्त तीनों सबालों को केंद्र कर महागठबंधन की ओर से आहूत बिहार बंद को सफल बनाने को लेकर भाकपा-माले, सीपीआई एवं राजद के कार्यकर्ताओं ने मधुबनी जिला मुख्यालय में-
- *मधुबनी रेलवे स्टेशन पर जयनगर-राजेन्दर नगर इंटरसिटी ट्रेन को रोका और प्रर्दशन किया।
- *मधुबनी रेलवे स्टेशन चौक को घंटों जाम कर प्रदर्शन किया।
मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता), उपरोक्त कार्यक्रम का नेतृत्व माले के जिला सचिव ध्रुब नारायण कर्ण, सीपीआई के जिला सचिव मिथिलेश झा एवं राजद के पूर्व विधायक सीताराम यादव ने किया। जबकि कार्यक्रम को संबोधित एवं भाग लेने में, माले के उत्तीम पासवान, अनिल कुमार सिंह, दानी लाल यादव,बिशंम्भर कामत, योगेन्द्र यादव, राजेंद्र यादव, योगेन्द्र महतो, मुरारी मिश्रा,योगी पासवान, राम नारायण ठाकुर, बैद्यनाथ यादव,चंदर यादव, गुणेश्वर यादव,कृपाल यादव,जैनूल खातून। वगैरह। सीपीआई के राज श्रीकीरण, मोतीलाल शर्मा,सत्य नारायण राय, लक्ष्मण चौधरी, मोहम्मद मुस्तफा, मोहम्मद कलाम, मोहम्मद,कासीम, मोहम्मद इस्माइल वगैरह थे। राजद के राजकुमार यादव, इंद्र जीत राय, चंद्र शेखर झा सुमन, अमरेंद्र चौरसिया, राम कुमार यादव,देव नारायण यादव, संजय यादव, इंद्र भूषण यादव,अबिनाश चौरसिया। वगैरह उक्त तीनों नेताओं सहित अन्य नेताओं ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 23 मार्च को विधानसभा में विपक्ष के माननीय विधायकों को पुलिस द्वारा घसीटते हुए बाहर निकालने और फिर लात-घूसों से उनकी बर्बर पिटाई ,बिहार में भी पुलिस गुण्डा राज कायम करने का प्रयोग भाजपा जदयू की सरकार ने शुरू किया। बक्ताओं ने इसे लोकतंत्र के इतिहास में एक काला दिन बताया है.। बक्ताओं ने आगे कहा कि भाजपा-जदयू लोकतंत्र की हत्या करके बिहार को फासीवादी शासन की ओर धकेलना चाहती है. इसके ख़िलाफ़ महागठबंधन आज पूरे बिहार में बिहार बंद को सफल बनाने का काम किया है।। बक्ताओं ने कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 में जो आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं, उसका नजारा 23मार्च को विधानसभा के अंदर ही देखने को मिल गया. जब जनता के चुने हुए प्रतिनधियों के साथ सरकार ऐसा व्यवहार कर सकती है तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा-जदयू बिहार को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।पुलिस ने महिला विधायकों तक को नहीं छोड़ा. पुलिस के अलावा सिविल ड्रेस में और भी दूसरे लोग थे जो विपक्ष के विधायकों पर जानलेवा हमले कर रहे थे.नेताओं ने सवाल उठाया कि पुलिस द्वारा विपक्ष के विधायकों को पिटवाकर विधेयक पास करवाना कौन सा लोकतंत्र है? बिहार की जनता सबकुछ देख रही है. इसके खिलाफ महागठबंधन की लड़ाई विधानसभा के अंदर व बाहर जारी रहेगी. महागठबंधन के नेताओं ने बिगत चार महिनों से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में भी आवाज बूलंद किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें