रांची, 23 मार्च, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन आज अपने समापन भाषण में कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर अभी राज्य में पूरी छूट नहीं दी गयी है। श्री सोरेन ने कहा कि राज्य में बड़ी सभाएं करने की अनुमति नहीं दी गयी हैं। आठवीं कक्षा से नीचे के सभी क्लास को बंद रखा गया है, सरकार पूरी तरह से सतर्कता से आगे बढ़ रही है। कुछ समय बीतने के बाद ही यह बताया जा सकता है कि राज्य को किस तरह से दिशा देनी है। उन्होंने कहा कि एक चुनौती का सामना कर निकल गये है, दूसरी चुनौती बड़ी होगी या छोटी, अभी कहना मुश्किल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जिसमें तरह-तरह के मजहब, भाषा, धर्म-समुदाय के लोग रहते है और इनकी अलग-अलग व्यवस्था और भिन्न-भिन्न पर्व त्योहार है। आने वाले समय में सरहुल, रामनवमी, दशहरा, दिवाली और ईद त्योहार आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यहां रामनवमी और सरहुल का भव्य जुलूस निकलता है, लेकिन अभी इससे बचे रहना ही उचित होगा, क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण एक वर्ष तक पूरी दुनिया ठहर गयी, कई देशों में अभी भी लॉकडाउन लागू है, भारत के भी कई हिस्सों में लॉकडाउन का सामना करना पड़ रहा है, भगवान ना करें, ऐसी स्थिति और संक्रमण का खतरा फिर से झारखंड को भी झेलना पड़ा।
श्री सोरेन ने बताया कि अभी राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों में लगभग 35 फीसदी पद रिक्त है, ऐसे में आगे कैसे बढ़ा जा सकता है। अब तक सिर्फ जुगाड़ के माध्यम से काम चलाने का हुआ है, हर तरफ अनुबंध और अस्थायी कर्मियों के माध्यम से काम निकालने की कोशिश की गयी, लेकिन अब राज्य सरकार दीर्घकालीन योजना के तहत आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इसमें सभी का सहयोग जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जहां अक्सर भूख से मौत की खबर आती थी, लेकिन संक्रमणकाल में एक व्यक्ति की भी मौत भूख से नहीं हुई। उन्होंने कहा कि बोकारो जिले में भूखल घासी की मौत की खबर जरूर गूंजती रही, लेकिन सरकारी माध्यम के अलावा गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से भी सच्चाई जानने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार पदाधिकारियों के हांकने से नहीं चलेगी, बल्कि जनहित के कार्यां को लेकर सरकार पदाधिकारियों को हांकने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि नये प्रखंड, अनुमंडल और जिला सृजन की मांग पर सरकार भौगोलिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अध्ययन कराने के बाद फैसला लेगी। श्री सोरेन ने कहा कि पिछली सरकार में लकीर जरूर खींची गयी, लेकिन लक्ष्य काफी धुंधला और टेढ़ा-मेढ़ा था, अब उस लकीर को सीधी खींचने की कोशिश की जा रही है और लक्ष्य के अनुरूप गाढ़ी लकीर खींची जा रही है। पिछली सरकार में विधानसभा के नये भवन निर्माण में हुए खर्च पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस दौर में राज्य में लगातार शिलान्यास और उदघाटन किये जा रहे थे, लेकिन गुणवत्ता समेत कई छोटी चीजों पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने घोषणा की कि आगामी पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर मनरेगा मजदूरी दर राज्य में 300 रुपये हो जाएगी। अभी इसे 195 रुपये बढ़ाकर 225 रुपये किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से सहयोग दिलाने में भाजपा सदस्यों से भी सहयोग का आग्रह किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अब 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वृद्धापेंशन मिलेगा, इसके लिए एपीएल-बीपीएल की बाध्यता खत्म होगी। इसके अलावा विधवा या परित्यक्ता महिला को भी सरकार पेंशन देगी। पिछली सरकार में राज्य के 11 लाख लोगों का राशन कार्ड निरस्त किया गया था, राज्य सरकार ने अब 15 लाख नये परिवारों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। श्री सोरेन ने भानु प्रताप शाही को कहा कि वह उनके सुझाव के साथ हैं। यदि जपला में कोई सीमेंट प्लांट स्थापित करना चाहता है तो वह व्यापारी को लेकर आएं उसे सरकार हर तरह का मदद देगी। उन्होंने कहा कि उनके समूह में व्यापारी साथियों की काफी कमी है, लेकिन बीजेपी का समूह व्यापारियों के जमात से भरा पड़ा है, कोई भी व्यवसायी सीमेंट फैक्ट्री लगाने में आगे आता है, तो सरकार उसका सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड में ऑनलाइन माध्यम से जरूरतमंदों के घर बालू पहुंचेगा। जब तक बालू घाटों के लिए टेंडर नहीं होता है, तब इसकी बिक्री के लिए सरकार ने रास्ता निकाल लिया गया है। इसके लिए पोर्टल तैयार कर लिया गया है, जिसके माध्यम से पैसा जमा करना होगा। करीब 785 रु प्रति 100 सीएफटी और परिवहन शुल्क के आधार पर सभी के घर बालू पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार बालू की चोरी और लूट की बातें सुनकर मानसिक रूप से परेशानी रही है। बार-बार सुनने को मिला कि पुलिस वाले ट्रैक्टर पकड़ लेते हैं, चोरी को रोकने के लिए ही ट्रैक्टर से बालू ढुलाई का निर्देश दिया गया था, लेकिन ट्रक वाले हवा देने लगे। अगर ट्रक से बालू ढुलाई की छूट नहीं दी जाती तो कोई ट्रैक्टर में बालू भर कर दूसरे राज्य में नहीं ले जा पाता। अब इस व्यवस्था का सरकार ने हल निकाल लिया है। अब ऑनलाइन माध्यम से लोगों के घर बालू पहुंचेगा। सरकार ने ऑनलाइन तरीके से बालू पहुंचाने का फैसला लिया है। परिवहन लागत को भी दूरी के आधार पर तय किया जाएगा। हेमंत सोरेन ने कहा कि बालू के अवैध कारोबार तथा कालाबाजारी की समस्या को दूर करने को लेकर सरकार ने होमियोपैथी वाला इलाज करने का निर्णय लिया है, अब यह समस्या जड़ से ही समाप्त हो जाएगी।
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