18, 19 की रात को आॅक्सीजन की कमी से हुई पच्चीस मौतें उच्च स्तरीय जाॅच के लिए कांग्रेस ने सौंपा ज्ञापन
भ्रामक सूचनाओं पर सख्त कार्यवाही- कलेक्टर डॉ जैन
कलेक्टर डॉ पंकज जैन ने बताया कि कोरोना महामारी संकटकाल के दौरान किसी भी प्रकार की भ्रामक अथवा अफवाह फैलाने का कार्य यदि किसी के द्वारा किया जाता है तो उस पर आपदा प्रबंधन नियमों का उल्लंघन के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी और प्रशासन द्वारा अफवाहो का पूर्णरूपेण खंडन किया जाएगा। कलेक्टर डॉ जैन ने बताया कि विदिशा शहर के निजी चिकित्सको से गत दिवस संवाद कर उनकी समस्याओं से अवगत होने के उपरांत निराकरण की पहल की गई है। सभी प्रायवेट चिकित्सकों के द्वारा महामारी के इस संकटकाल के दौरान अपनी सेवाएं अविलम्ब जारी रखने का आश्वासन दिया गया है। किसी भी लैब को प्रशासन द्वारा बंद नहीं कराया गया है। कलेक्टर डॉ जैन ने बताया कि एक अखबार में प्रकाशित खबर पूर्णता निराधार असत्य है जिसका जिला प्रशासन के द्वारा पूर्णरूपेण खंडन किया गया है। कलेक्टर डॉ जैन के द्वारा जिले के सभी मीडियाबंधुओं से ततसंबंध में आग्रह किया गया है कि महामारी के इस संकटकाल में अफवाहो पर ध्यान ना दें और यदि उन्हें कोई भी अफवाह या भ्रामक जानकारी संज्ञान में आती है तो उसे प्रशासन से कंफर्म कर लें। भ्रामक जानकारियों एवं अफवाहो से इस क्राइसेस के समय माहौल खराब ना हो। अतः प्रशासन को इस हेतु हमारे मीडियाकर्मियों से यह विनम्र अनुरोध है।
’जिला कोविड कमांड केंद्र चौबीस घंटे सातो दिन कार्यरत रखने के निर्देश’
- ’सभी सेंटर पर आपात व्यवस्था के लिए एक एंबुलेंस रखी जायेगी’, ’राज्य शासन ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए’
प्रदेश में सभी संक्रमित जिलों में कार्यरत जिला कमांड कंट्रोल सेंटर पर बेहतर प्रबंधन और लगातार कार्य करते रहने के लिए राज्य शासन ने नए दिशा निर्देश जारी किए है। जिससे कोरोना संक्रमित मरीजों को उनकी आवश्यकता के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं समय पर उपलब्ध कराई जा सके , इसके लिए लगातार बेहतर प्रयास करने के लिए कमांड सेंटर में कार्यरत कर्मचारियों का रोटेशन और मनोबल बनाए रखने के लिए भी विशेष दिशा निर्देश दिए गए है। स्वास्थ्य आयुक्त मध्यप्रदेश श्री आकाश त्रिपाठी ने प्रदेश के समस्त कलेक्टर , समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी , समस्त सिविल सर्जन को जिला कोविड कमांड सेन्टर के संबंध में एकीकृत दिशा - निर्देश जारी किए हैं । माननीय मुख्यमंत्री जी के यह निर्देश हैं कि कोविड पॉजिटिव ऐसे मरीज जिनमें गंभीर लक्षण नहीं हैं , उन्हें होम आइसोलेशन में अच्छी देखभाल के जरिए ठीक करने का प्रयास किया जाय जिससे अस्पतालों पर अधिक बोझ न पड़े और अस्पतालों में बेड गंभीर मरीजों के लिए उपलब्ध रहें । इस हेतु प्रत्येक जिले में जिला कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर ( डीसीसीसी ) की स्थापना की गई है । जिला कमांड कंट्रोल सेंटरकी कार्यप्रणाली के संबंध में निम्नानुसार एकीकृत दिशा - निर्देश जारी किए जा रहे हैं रू जिला कमांड कंट्रोल सेंटर के मुख्य कार्य होम आइशोलेशन में रहने वाले प्रत्येक मरीज से दिन में दो बार संपर्क करना और उनकी कुशलक्षेम पूछना । कुशलक्षेम पूछने पर किसी मरीज की स्थिति गंभीर पाए जाने पर अस्पताल में दाखिल करने की कार्यवाही करना। यह सुनिश्चित करना कि होम आइशोलेशन के मरीज को दवाओं की किट उपलब्ध हो जाए । जिले में किसी समय अस्पतालों में उपलब्ध खाली बेड की जानकारी संधारित करना जिससे मरीजों को सही जानकारी मिल सके । होम आइशोलेशन में रह रहे मरीजों की शंकाओं का समाधान करना । जिला स्तरीय कॉल सेन्टर ( 1075 ) का संचालन जिससे कोविड संबंधी जानकारियां नागरिकों को मिल सकें । कॉल सेन्टर ( 1075 ) की पर्याप्त संख्या में लाईनों को क्रियाशील रखना आवश्यक है । प्रत्येक जिले को राज्य स्तर से 30 लाईनें स्वीकृत की गई हैं । बड़े शहर वाले जिले , जहां इसे बढ़ाने की आवश्यकता हो वे कलेक्टर के अनुमोदन से इसे बढ़ा सकेंगे तथा मुख्यालय को सूचित करेंगे । सामान्यत रू जितने कॉलर हों , उतनी लाईनें क्रियाशील होनी चाहिए और उतने टेलीफोन रहने चाहिए । जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में पर्याप्त संख्या में चिकित्सक और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना आवश्यक है । सामान्य तौर पर एक व्यक्ति दिनभर में 50 मरीजों से बात कर सकता है अत रू जिले में डीसीसीसी की कार्यप्रणाली - उपरोक्त कर्तव्यों को अच्छे ढंग से निभाने के लिए निम्नानुसार कार्यप्रणाली अपनाया जाना आवश्यक होगा -होम आइशोलेशन में रहने वाले प्रति 50 मरीजों पर एक कॉल करने वाले व्यक्ति की ड्यूटी लगानी चाहिए । मरीजों से डीसीसीसी का संपर्क संवेदनापूर्ण हो । इस हेतु आवश्यक है कि एक मरीज को एक ही कॉलर हर दिन संपर्क करेगा । अत रू यह व्यवस्था बनाई जाए कि प्रत्येक कॉलर को मरीज आवंटित कर दिया जाए । सभी कॉल करने वालों को यह प्रशिक्षण दिया जाए कि वे मरीजों की कुशलक्षेम पूछते समय यांत्रिक तरीके से न कर संवेदनापूर्ण तरीके से करें । महामारी के इस दौर में तनाव से मुक्ति प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अत रू जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में कार्यरत सभी अधिकारी ध् कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाए कि वे मरीज से बात करते समय उसकी हिम्मत बनाए रखें और बीमारी के संबंध में सही जानकारी दें। यह आदर्श स्थिति होगी कि प्रत्येक कॉल करने वाले को एक कम्प्यूटर टर्मिनल उपलब्ध कराया जाए जिस पर वह कॉल करने के साथ - साथ प्रविष्टियां भी करता चले । किन्हीं कारणों से यदि ऐसा करने में कठिनाई हो तो पर्याप्त संख्या में डाटा एन्ट्री ऑपरेटर भी लगाए जाएं जिससे सार्थक पोर्टल पर कॉल के साथ - साथ डाटा की प्रविष्टि तत्काल हो सके । जिला कमांड कंट्रोल सेंटर 24 घंटे संचालित होना चाहिए जिसमें मरीजों को कॉल करने का कार्य दिन में 9.00 बजे से लेकर शाम 6.00 बजे तक समस्त स्टाफ के साथ और बाकी समय मरीजों की तरफ से आने वाले कॉल के जवाब के लिए एक न्यूनतम व्यवस्था एक चिकित्सक ़ एक पैरा मेडिकल स्टाफ की हो । पूर्व में यह निर्देश दिए गए थे कि जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में एक एम्बूलेंस सदैव तैनात रहे । यदि किन्हीं कारणवश ऐसा करना संभव न हो तो एक एम्बूलेंस कॉल पर उपलब्ध रहनी चाहिए ताकि किसी मरीज की स्थिति बिगड़ने पर तत्काल एम्बूलेंस भेजकर उसे भर्ती कराया जा सके । प्रतिदिन होम आइशोलेशन में जाने वाले नए मरीजों को दवाई की एक किट उपलब्ध कराना है जो स्थानीय नगर निगम, नगर पालिका के सहयोग से की जाना होगी । डीसीसीसी से कॉल करते समय इस बात की अवश्य पुष्टि की जाए कि मरीज के पास दवाई की किट उपलब्ध है अथवा नहीं । डीसीसीसी में जिले के शासकीय एवं निजी अस्पतालों में उपलब्ध रिक्त बिस्तरों की संख्या की अद्यतन जानकारी रखी जाए और उसे एक निश्चित समयावधि में लगातार अपडेट किया जाए । जिससे 1075 कॉल करने वाले लोगों को सही स्थिति बताई जा सके । डीसीसीसी में चिकित्सकों की ड्यूटी इस प्रकार लगाई जाए जिससे हर समय कम से कम एक चिकित्सक बात करने के लिए उपलब्ध रहे । जिन मरीजों के पास स्मार्ट फोन है , वे ई - संजीवनी ओ.पी.डी का लाभ ले सकते है । उन्हें ई - संजीवनी ओ.पी.डी. एप डाउनलोड करने का परामर्श दिया जाये । यह आवश्यक है कि ई - संजीवनी ओ.पी.डी. पर सदैव चिकित्सकीय परामर्श की सुविधा मिले । इसके लिए यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं जिनमें राज्य के समस्त जिला चिकित्सालयों में एन.सी.डी नोडल अधिकारी एवं अन्य चिकित्सकों का चयन किया गया है जिनके द्वारा ई - संजीवनी ओ.पी.डी. के माध्यम से चिकित्सा सुविधा नागरिकों को दी जा रही है । इन चयनित चिकित्सकों का प्रशिक्षण और ई - संजीवनी ओ.पी.डी. पर रजिस्ट्रेशन का कार्य राज्य द्वारा पूर्ण कर दिया गया है । समस्त सिविल सर्जन यह सुनिश्चित करें कि जिला चिकित्सालय पर उपलब्ध हब पर चिकित्सकों की उपलब्धता चौबीस घंटे सातो दिन हो ( प्रति 8 घंटे में एक चिकित्सक ) जिस हेतु चिकित्सकों का निर्धारित रोस्टर तैयार कर राज्य स्तर पर साझा किया जाये । जिला चिकित्सालय पर तैयार किये गये हब हेतु नोडल अधिकारी को निर्धारित किया जाये और चिकित्सक जिनकी ड्यूटी हब में लगाई गई है , का प्रशिक्षण तथा ई - संजीवनी ओ.पी.डी. में रजिस्ट्रेशन का कार्य जिला एम.एण्ड.ई. अधिकारी ध् आई.डी.एस.पी . डाटा मैनेजर द्वारा सुनिश्चित कराया जाये । ई - संजीवनी ऐप को डाउनलोड करने की विधि एवं किये जाने वाले टेलीकन्सलटेशन हेतु आई.ई.सी. तैयार की गयी है, जिसकी जानकारी होम आईसोलेशन के मरीजों को दिया जाना सुनिश्चित करना शामिल है।
’राष्ट्रीय मीन्स-कम-मेरिट छात्रवृत्ति चयन परीक्षा (NMMSS) स्थगित’, ’अब 15 मई तक कर सकेंगे आवेदन’
राष्ट्रीय मीन्स-कम-मेरिट छात्रवृत्ति (NMMSS) के लिए 2 मई 2021 को आयोजित होने वाली चयन परीक्षाष् को कोविड 19 की वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। परीक्षा की नवीन तिथि पृथक से घोषित की जाएगी। राज्य शिक्षा केंद्र के अपर संचालक श्री ओ. एल. मंडलोई ने बताया कि छडडै परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि पूर्व में 15 अप्रैल थी, जिसे 15 मई 2021 तक बढ़ाया गया है। इच्छुक छात्र एमपी-ऑनलाइन के माध्यम से परीक्षा के लिए आवेदन कर सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय मीन्स-कम-मेरिट छात्रवृत्ति योजना वर्ष 2008 में प्रारंभ की है। चयनित विद्यार्थियों को कक्षा नौवीं से बारहवीं तक प्रतिवर्ष 12 हजार रुपये के मान से छात्रवृत्ति दी जाती है। कक्षा आठवीं में अध्यनरत नियमित छात्र, जिन्होंने कक्षा सातवीं में कम से कम ष्सीष् ग्रेड प्राप्त किया है और जिनके अभिभावकों की सकल वार्षिक आय एक लाख पचास हजार रूपए से अधिक नहीं है, इस छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह छात्रवृत्ति केवल शासकीय, शासकीय अनुदान प्राप्त एवं स्थानीय निकायों के विद्यालयों में अध्ययनरत नियमित विद्यार्थियों के लिए है।
’सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, भूख न लगना जैसे लक्षण होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचे’
ऐसे व्यक्ति जो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज किड़नी, अस्थमा, केंसर आदि बीमारियों से पीडि़त है। वे अपने आप में कोरोना से बचाव के लिये पूरी तरह सावधानियां बरतें। ऐसे लोग हमेशा मास्क लगाये रखें। भीड़-भाड़ में न जायें, आपस में दो गज की दूरी बनाकर रखें। हाथों को सैनेटाइज करते रहना अथवा हाथों को साबुन से धोते रहना है। यही सावधानियां है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सलाह दी है कि किसी भी व्यक्ति को सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, भूख न लगना, दस्त लगना आदि के लक्षण होने पर वे घर पर ही पारंपरिक उपचार लेते रहते है। ठीक होने की उम्मीद में 5 से 7 दिन गुजार देते है, जिन्हे स्वास्थ्य लाभ होने के बजाय उनकी बीमारी और बढ़कर जटिल हो जाती है। ऐसे लोंगो को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में कोविड-19 की जांच पॉजीटिव आती है तो उपचार और जटिल हो जाता है। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट या आईसीयू में भर्ती कर उपचार करना पड़ता है। ऐसी बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों को सलाह दी है कि उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, हाथ-पैरों में दर्द, शरीर में ऐठन, भूख न लगना खाने व सूघंने में स्वाद का पता न लगना आदि लक्षणों में आते ही वे तुरंत चिकित्सक से परामर्श ले। अथवा कोविड-19 की जांच करवाकर समय रहते पूर्व उपचार लेकर स्वास्थ्य हो। जिससे वे अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।
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