बिहार : खंडहर के पत्थरों व प्राचीन मंदिरों को पुनर्जीवित करने का तकनीक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

बिहार : खंडहर के पत्थरों व प्राचीन मंदिरों को पुनर्जीवित करने का तकनीक

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पटना : विश्व विख्यात पुरातत्वविद पद्मश्री डॉक्टर के के मुहम्मद ने कहा कि खंडहरों में बिखरे पत्थर भी महत्वपूर्ण होते हैं। उनके अंदर में हमारे अतीत को दृश्य मान करने की क्षमता होती है। उसे समझने और जानने वाले उनकी क्षमता को निखारते और मुखरित करते हैं। उक्त बातें कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड कॉमर्स के वाणिज्य सभागार में सोमवार को धरोहर संरक्षण में समाज की भूमिका विषय पर आयोजित परिसंवाद में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुरैना के बटेश्वर डाकू प्रभावित क्षेत्र में प्राचीन मंदिरों के खंडहर थे। यह क्षेत्र चंबल के बीहड़ के रूप में जाना जाता है। खंडहर के रूप में बिखरे हुए पत्थरों को एकत्रित कर उन्हें यथा स्थान व्यवस्थित किया गया तो प्राचीन भव्य मंदिर साकार हो उठा। एएसआई के पुरातत्वविद के रूप में यह असंभव कार्य को संभव कर दिखाया था। पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से उन्होंने यह बताया कि अति महत्वपूर्ण 80 प्राचीन मंदिरों को उन्होंने कैसे पुनर्जीवित कराया। इस अवसर पर कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड कॉमर्स के प्राचार्य डॉ शांडिल्य ने कहा कि पुरातत्व इतिहास को प्रामाणिक और सृजनशील बनाता है। उन्होंने कहा कि इतिहास के बिना कोई भी समाज या देश अपने अस्तित्व की रक्षा नहीं कर सकता, इतिहास बौद्ध और इतिहास का ज्ञान सबके लिए आवश्यक है। परिसंवाद का विषय प्रवेश कराते हुए इतिहास संकलन समिति के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन ने कहा कि बिहार के गांव गांव में भारत का इतिहास छिपा है, इसे संरक्षित करने में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है। चिति के प्रांत संयोजक कृष्णकांत ओझा ने कहा कि अधीक्षण पुरातत्वविद के रूप में केके मोहम्मद ने बिहार के गौरवशाली अतीत को लाने के लिए जो कार्य किए हैं वह अद्वितीय है। उन्होंने केसरिया स्तूप, राजगीर के इतिहास को सामने लाया। वरिष्ठ पत्रकार सुविज्ञ दुबे ने कहा कि के के मुहम्मद का पुरातत्व के क्षेत्र में योगदान विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कॉलेज ऑफ कॉमर्स के इतिहास विभाग के अध्यक्ष राजेश शुक्ला ने कहा कि समाज के सहयोग से के के मोहम्मद ने विरासत संरक्षण का जो रास्ता दिखाया है, वह अनुकरणीय है। कार्यक्रम का संचालन इतिहास संकलन समिति के अरुण कुमार ने किया। बता दें कि पटना के विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों के छात्रों, शिक्षकों व शोधार्थियों के बीच प्रज्ञा प्रवाह की प्रांतीय इकाई चिति, इतिहास संकलन समिति बिहार, एवं कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस के इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में यह समारोह आयोजित किया था। इसकी अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर तपन शांडिल्य ने की।

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