कश्मीर में मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रवासी मजदूरों की हत्या - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

कश्मीर में मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रवासी मजदूरों की हत्या

  • राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में विरोध दिवस मनाया गया, 20 लाख मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग.
  • प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, रोजगार व सम्मान के लिए केंद्रीय स्तर पर कानून बनाए सरकार: धीरेन्द्र झा

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पटना 20 अक्टूबर, जम्मू-कश्मीर में प्रवासी बिहारी मजदूरों की लगातार हो रही हत्याओं के खिलाफ आज भाकपा-माले, खेग्रामस व ऐक्टू के संयुक्त बैनर से पूरे राज्य में विरोध दिवस आयोजित किया गया. राजधानी पटना के कारगिल चौक पर इन संगठनों से जुड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर सभा की और केंद्र सरकार से अविलंब ऐसी हत्याओं पर रोक लगाने की मांग की. इस मौके पर खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐक्टू के बिहार महासचिव आरएन ठाकुर, किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, वरिष्ठ माले नेता केडी यादव, विधायक सुदामा प्रसाद, शशि यादव, अभ्युदय, दिलीप सिंह, कमलेश शर्मा, रामबलि प्रसाद, मुर्तजा अली, पन्नालाल आदि सहित सैंकड़ो लोग उपस्थित थे. कारगिल चौक पर सबसे पहले कश्मीर में आतंकी हमले और उत्तराखंड में भूस्वखलन से मारे गए मजदूरों की याद में दो मिनट का शोक रखा गया और फिर सभा आयोजित की गई. सभा का संचालन ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने किया. मौके पर धीरेन्द्र झा ने कहा कि बिहार के प्रवासी मजदूरों की हत्या के लिए सीधे तौर पर केंद्र व राज्य सरकार जिम्मेवार है. कश्मीर में केंद्र सरकार की नीति पूरी तरह असफल हुई है. धारा 370 खत्म करने से वहां अविश्वास का माहौल कायम हुआ है. धारा 370 हटाने के बाद भाजपा के नेता दावा कर रहे थे कि अब बिहार के लेागों को वहां रोजगार मिलेगा. लेकिन हो ठीक उलटा रहा है. बिहार के मजदूरों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ रहा है. अब तक कई प्रवासी मजदूरों की हत्या हो चुकी है. इसलिए इन मौतों के लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार जिम्मेवार है.


आगे कहा कि रविवार को आतंकी हमले में अररिया के राजा रीषिदेव व योगेन्द्र रीषिदेव की हत्या कर दी गई. उसके पहले भागलपुर के वीरेन्द्र पासवान व अरविंद कुमार साह भी आतंकी हमले के शिकार हुए. हालत यह है कि प्रवासी मजदूर खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं और वे लगातार पलायन कर रहे हैं. बिहार के गांवों में आज मातम पसरा हुआ है. इस स्थिति के लिए सरकार नहीं तो कौन जिम्मेवार है! ऐक्टू महासचिव आरएन ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार से पलायन बदस्तूर जारी है और नीतीश कुमार द्वारा पलायन रोक दिए जाने के दावे की पोल खुल चुकी है. बिहार के मजदूर कहीं हमले में मारे जा रहे हैं और कहीं भूस्वखलन में. प्रवासी मजदूरों की जिंदगी की तनिक भी चिंता सरकार को नहीं है. हम लंबे समय से मांग करते आए हैं कि प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा व रोजगार के सवाल पर एक राष्ट्रीय कानून बनाया जाए, लेकिन हमारी सरकारंे इसे लगातार अनसुनी कर रही हैं. जब तक यह नहीं होता है, प्रवासी मजदूरों की जिंदगी की रक्षा नहीं की जा सकती है. ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार ने सभा का संचालन करते हुए कहा कि नीतीश सरकार मृतक परिजनों को महज 2 लाख रु. की राशि दे रही है. यह बहुत कम है. हम मांग करते हैं कि मृतक परिजन को 20 लाख रु. का मुआवजा, उनके बच्चों की पढ़ाई व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की गारंटी की जाए. सभा के जरिए उतरांखड में भूस्वखलन के कारण मारे गए 4 मजदूरों के लिए भी 20-20 लाख रु. मजदूर की मांग की गई. राजधानी पटना के साथ-साथ बिहारशरीफ, बेगूसराय, अरवल, नवादा, रोहतास, डुमरांव, समस्तीपुर, भोजपुर, सिवान, दरभंगा आदि जिलों में भी विरोध मार्च निकाले गए.

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