विशेष : स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की एक और पहल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

विशेष : स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की एक और पहल

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लोकतंत्र में  सरकारों के कामकाज की आलोचना  आम बात है लेकिन आलोचना लोक समादर  की अधिकारिणी बनती है, जब वह विवेक सम्मत हो। गुण-दोष के आधार पर हो।निंदक नियर राखिए की अवधारणा इसलिए थी कि लोग निंदा में भी सुधार की गुंजाइश तलाशा करते थे। अब लोग आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते,असल समस्या यहां है। विरोधी से प्रशंसा की अपेक्षा  व्यर्थ है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में पूर्ण हो चुकी विकास  परियोजनाओं के लोकार्पण हो रहे हैं। नई विकास योजनाओं के शिलान्यास हो रहे हैं। यह और बात है कि  कुछ राजनीतिक दलों को इसमें भी राजनीति का गणित नजर आ रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव तो खुलकर कहने लगे हैं कि हार के डर से भाजपा  विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करा रही है। वैसे भी लोकतंत्र में राजनीतिक आलोचना पहली बार नहीं हो रही है।  सत्ता शीर्ष पर बैठे लगभग हर बड़े नेता को अपने दौर में विपक्ष के धारदार  आलोचना के तीर झेलने पड़े हैं। इंदिरा गांधी को लेकर तो नारे ही लगे थे। यह देखो इंदिरा का खेल। खा गई राशन पी गई तेल।  अटल बिहारी बाजपेयी को तो उनके अपने ही दल में मुख नहीं, मुखौटा कहा गया। जवाहर लाल नेहरू, डॉ.मनमोहन सिंह और राजीव गांधी तक की मुखर आलोचनाएं हुईं लेकिन यह भी सच है कि सरकारों के कामों को मान्यता ही तब मिलती है जब विपक्ष उसकी आलोचना करता है।  


इसमें संदेह नहीं कि  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कई क्षेत्रों में ऐतिहासिक काम हुए हैं, जिनकी आलोचनाएं तो की जा सकती हैं,लेकिन उन्हें पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।  चाहे वित्तीय समावेशन का मामला हो,स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा का मामला हो या  गरीबों को घर देने की बात हो,मोदी सरकार बेहतर कार्ययोजना और अमल सरोकारों के साथ आई है। नरेंद्र मोदी ने जो कुछ भी किया है।उसके लिए कुछ अलग सोच है। विकास की परंपरागत लीक से हटकर काम किया है। नवोन्मेषी सोच और दूरदृष्टि के साथ किया है।  स्वास्थ्य सेवा में विस्तार की  उनकी पहल का ही नतीजा है कि  आज देश में चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या  532  हो गई है।  एमबीबीएस की सीटें बढ़कर  77 हजार हो गई हैं। देश में 9 एम्स हैं। चिकित्सा क्षेत्र का इतना बड़ा बुनियादी ढांचा अकेले मोदी सरकार ने  खड़ा किया  हो, ऐसा भी नहीं है लेकिन  इसमें तकरीबन  33 फीसद का इजाफा तो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्वकाल में ही हुआ है। चिकित्सा सुविधाओं के विकास की दिशा में अनेक पहल मोदी सरकार ने की है। मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ाने, एमबीबीएस सीटें बढ़ाने, मेडिकल में स्नातकोत्तर में प्रवेश   के लिए सीटें बढ़ाने के साथ ही,राष्ट्रीय डायलिसिस मिशन, प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान, आयुष्मान भारत योजना शुरू की है।उसे अंजाम तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश की है।


हालात यह है कि अब देश में जो भी सरकार बनेगी,उसके लिए इन जनहितकारी योजनाओं से पीछे हट पाना बेहद मुश्किल होगा। कोरोना काल में जिस तेजी के साथ जांच सुविधाओं का विकास हुआ है,अस्पतालों की क्षमता बढ़ी है,उसे भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। अस्पतालों में आक्सीजन  संयंत्र लगे  एवं आईसीयू बेड  बढ़ाए गए। कोरोना काल में न केवल स्वदेशी वैक्सीन का  विकास  हुआ ,बल्कि देश में एक अरब लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य भी पूरा हुआ। जब कोरोना से सारी दुनिया निराश थी,तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें कोवैक्सिन और कोविशिल्ड की खेप दी। देखा जाए तो मोदी सरकार विकास के हर  मोर्चे पर निर्णायक कदम उठा रही है। उसके प्रयासों का ही प्रतिफल है कि  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव आया है। हालांकि इतने बड़े देश और तमाम आर्थिक,सामाजिक और व्यवहारिक विसंगतियों के बीच यह संभव नहीं है कि दो-चार साल में ही सब कुछ बदल जाए, लेकिन प्रगति की यही गति बरकरार रही ,उसमें किसी तरह का व्यवधान न आया तो निश्चित ही अगले एक-दो दशक में भारत स्वास्थ्य सेवा के मामले में पश्चिमी दुनिया की समकक्षता हासिल कर लेगा।


देश में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में जो तेज विकास हो रहा है, उसका लाभ अब उत्तर प्रदेश को भी  मिल रहा है। प्रदेश में संचारी रोगों की रोकथाम की दिशा में ठोस पहल की गयी है। हर जिले में मेडिकल कालेज खोजने की बात  कुछ साल पहले तक सपना या  जुमला प्रतीत होती थी,लेकिन अब उसे कोई भी उत्तरप्रदेश में आकार लेता देख सकता है। उत्तरप्रदेश में फिलवक्त 56 मेडिकल कालेज हैं इनमें 27 सरकारी और 30 प्राइवेट हैं। इनमें कुल मिलाकर 7500 एमबीबीएस की सीटें हैं। मेडिकल कालेजों के विस्तार को और गति देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनपद सिद्धार्थनगर में नौ जिलों में बनाये गये मेडिकल कालेजों का लोकार्पण किया। इन नौ  मेडिकल कालेजों पर 2329 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इनमें शत-प्रतिशत काम पूरा हो गया है। इसी साल इन सभी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की 100-100 सीटों पर दाखिले  होंगे। 14 अन्य मेडिकल कालेज  बन रहे हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनने से अब गरीबों के बच्चे भी डॉक्टर बन सकेंगे। यह सच है कि अगर विकास कार्य को अंजाम देने की राजनीतिक इच्छाशक्ति हो,नीति और नीयत में स्पष्टता हो तो असंभव कुछ भी नहीं होता। 64 हजार करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का आगाज यह बताने के लिए काफी है कि सबका स्वास्थ्य,सबका विकास और सबका विश्वास की भावना से अगर काम किया जाए तो मंज़िलों तक पहुंच आसान हो जाती है। हर भारतवासी को सुलभ,सहज,सस्ता और गुणवत्तापरक इलाज मिले, इस बहुआयामी चितन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य सेवाओं को न केवल उचाइयां दी है बल्कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को तकनीक से भी जोड़ने का काम किया है। देश में 29 हजार स्वास्थ्य केंद्रों का नेटवर्क,सभी जिलों में आईसीयू, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ 37 हजार बिस्तरों वाले विशेष क्रिटिकल अस्पताल ब्लॉक का निर्माण,जैव सुरक्षा स्टार की 15 प्रयोगशालाएं आदि चिकित्सा सुविधाएं यह बताने और जताने के सामर्थ्य रखती है कि स्वास्थ्य की दिशा में बहुत कुछ हुआ है और बहुत कुछ होना है।स्वास्थ्य को राजनीति से परे रखकर देश को स्वास्थ्यगत मजबूती दी जा सकती है।






सियाराम पांडेय 'शांत'

संपर्क: एल 3/480,विनीतखण्ड, लखनऊ, उत्तरप्रदेश।

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