विशेष : घर-आंगन में उतरेंगी छठी मईया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 9 नवंबर 2021

विशेष : घर-आंगन में उतरेंगी छठी मईया

  • खरना का अनुष्ठान संपंन होते ही 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत शुरु  अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ आज, कल कल उगते सूर्य को छठव्रती देंगे अर्घ 
  • छठ को लेकर फल दुकानों में उमड़ी भीड़ , अधिकांश व्रतियों ने गंगा सहित अन्य नदियों व तालाबों के किनारे के घाटों पर डाला डेरा 
  • छठी मईया से मांगा आशीष ,घाट सजधज कर तैयार व्रतिर्यो का इंतजार 

chhath-parv-starts
वाराणसी (सुरेश गांधी) कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय... मारबौ रे सुगवा धनुष से... छठ पर्व के इन्हीं सुमधुर गीतों के साथ धर्म एवं अस्था की नगरी कशी में छठ महापर्व की छटा बिखर रही है। चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन छठव्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही उनका 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया। महापर्व के तीसरे दिन बुधवार को छठव्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देंगे। फिर गुरुवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के बाद पारण कर अन्न-जल ग्रहण करेंगे। इसके साथ ही यह चार दिवसीय महापर्व संपन्न हो जायेगा। भक्तों के मन में भक्ति की तरंगें हिलोरें ले रही हैं। कहीं छठ घाट सजाये जा रहे हैं, तो कहीं घर पर भी आस्था का घाट सज रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी भक्ति में रम गये हैं। 


chhath-parv-starts
इधर, छठ पर्व को लेकर बाजार में पूजन सामग्री की खरीदारी को लेकर भी भीड़ बढ़ गयी है। सूप-दउरा से लेकर फल तक की खरीदारी हो रही है। लोग अभी से अपने परिचितों को छठ का प्रसाद खाने के लिए आमंत्रित कर रहे है। चौक- चौराहों में छठी मईया के गीत से वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रशासन ने घाट पर जाकर छठ पूजा करने के दौरान लोगों से कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर घाटों में 2 गज की सामाजिक दूरी, मास्क का इस्तेमाल करने तथा राज्य सरकार के अन्य निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की अपील की। छठ को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। सभी समुदाय के लोग आपसी प्रेम और सौहार्द के साथ छठ घाट और तालाब वाले रास्ते की साफ- सफाई की। अनुष्ठान के पहले दिन नहाय-खाय को छठव्रतियों ने कद्दू-भात का प्रसाद ग्रहण किया। छठ व्रतियों ने अपनी भक्ति उनके चरणों में समर्पित कर घर परिवार, बच्चे सबकी सलामती के लिए आशीष मांगा।  नेम से मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलायी गयी। आंच जलाने से पहले मां से आज्ञा मांगी गयी। कहीं कहीं गैस पर भी महाप्रसाद बनाया गया। मिट्टी के चूल्हे पर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी बनाकर भोग लगाया गया। भूल चूक की माफी मांगी कर व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। उसके बाद ही परिवार सगे संबंधी को महाप्रसाद खिलाया गया। इसको लेकर गंगा घाटों से लेकर घरों में खासी चहल-पहल देखी गयी। इसके लिए गंगा घाटों से जल लाकर प्रसाद बनाया गया। सुदूर ग्रामीण इलाकों से पहुंचे व्रतियों ने गंगा किनारे के घाटों पर भी डेरा जमा लिया है। कई व्रतियों ने घाट किनारे ही कद्दू-भात बनाकर व्रती सहित उनके परिजनों ने प्रसाद ग्रहण किया। महापर्व के इस अनुष्ठान में सुबह छठव्रती मां गंगा में स्नान करने के बाद गंगाजल लेकर अपने घर पहुंचे। देर शाम तक छठव्रती चावल, चना का दाल, चावल के आटे से पेठा, रोटी व खीर का खरना प्रसाद बनाने में जुटे रहे। इसके बाद छठव्रती अरवा चावल, गुड़ और गाय के दूध से छठी मइया का प्रसाद बनाकर खरना किया। 


घाटों पर तैयारी पूरी 

अर्घ को लेकर गंगा घाट से लेकर नदियों, पार्कों में बने तालाबों, अपार्टमेंट व घरों में भी तैयारी की गयी है। गंगा घाट दूर हो जाने की वजह से इस बार बड़ी संख्या में व्रती अपने घरों-अपार्टमेंटों में भी अनुष्ठान संपन्न करेंगे। 

chhath-parv-starts

सुरक्षा के विशेष इंतजाम 


अर्घ को लेकर सूबे के तमाम गंगा घाटों, नदियों, पोखरों व तालाबों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. निगरानी को लेकर सीसीटीवी से लेकर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों व प्रशासनिक पदाधिकारियों की तैनाती की गयी है. छठव्रती सांध्यकालीन अर्घ को लेकर तैयारियों में जुटे हुए हैं.  


चार दिनों का कठिन का तप 

chhath-parv-starts
छठ व्रत करना अर्थात चार दिनों का तप करना. बहुत ही कठिन नियम के साथ व्रत को  धारण कर संपन्न करना पड़ता है. और हमारी संस्कृति और संस्कार को बचाये रखने के लिए जीवन में कुछ आवश्यक तत्त्वों का निर्माण किया गया है. छठ पर्व  में उन्हीं तत्त्वों को सूर्य से धारण करवाया जाता है। जैसे - ‘‘आज छठी मैया गौने अइली सांझ भइल छठी रहब रउरा कहवां।’’, ‘‘रहे के रहबो नवीन बाबू के अंगना, गाय के गोबर नीपल, हई जहंमा, गाय के दूध स्नान भेल उहमां, गाय के घीव हवन, भेल उहमां, पीयर धोती पहिरन भेल उहमां’’। अर्थात  जो जीवन को स्वस्थ रखने के लिए उपाय हैं, जिनका सनातन काल से आज तक  ऋषि-मुनियों से लेकर हमारे सभी पंडितों और चिकित्सकों ने  प्रचार-प्रसार कर रखा है. ये सभी जीवन दायिनी हैं. सूर्य को भी यही सब  पसंद है. और सूर्य से ही इनका भी जीवन है. दोनों के बीच अटूट संबंध है. इसलिए  इन चीजों के महत्व  को भुलाया नहीं जाना चाहिए. समाज को स्मरण दिलाते  रहना है. इसलिए गाय, गोबर, गंगाजल, घी, दूध, इन सभी चीजों का स्मरण दिलाया  जाता है कि स्वस्थ जीवन जीना है तो जो सूर्य को पसंद है उसे धारण करके ही  जीवन जीया जा सकता है. भारतीय जीवन में अपनी संस्कृति को स्मरण करने  का भिन्न-भिन्न तरीका है. उसे धारण करने का भिन्न-भिन्न अवसर है. उसमें सूर्य की महत्वपूर्ण भागीदारी रहती है. एक विचित्र बात जो बचपन से  सुन रखी है. एक गीत के माध्यम से महिलाएं सूर्य की आराधना  करती हैं. सूर्य प्रसन्न होकर कहते हैं  - ‘‘मांगू, मांगू तिरिया, जेहो किछु मांगव, जे किछु हृदय में  समाय.’’ व्रती महिला मांग करती है ‘‘अगला हल दुनू बरदा मांगीले, पीछला  हल हलवाह, पैर धोबन के चेरी मांगीले, दूध पीअन धेनू गाय, सभा बैठन के बेटा मांगीले नूपुर शब्द पुतोह. बायना बांटेला बेटी मांगीले, पढ़ल पंडित दामाद. ’’ सूर्य  मानो बड़े ध्यान से सुनते हैं. स्त्री की मांगों की समीक्षा करते हैं. और  स्त्री जाति को व्रती महिला के माध्यम से प्रमाणपत्र देते हैं - ‘‘ऐहो  जे तिरिया, सभे गुण आगर, सब कुछ मांगे समतुल हे।’’


खरना प्रसाद को लेकर दिखा उत्साह 

chhath-parv-starts

महापर्व के दूसरे दिन मंगलवार को छठव्रतियों ने खरना प्रसाद ग्रहण किया. उनके परिवार के सदस्यों के साथ ही दूसरे लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया. प्रसाद ग्रहण को लेकर तमाम लोगों में काफी उत्साह देखा गया. गंगा किनारे के घाटों पर  भी बाहर से आये व्रतियों ने खरना प्रसाद तैयार कर ग्रहण किया. इधर, छठ पर्व को लेकर  बाजार भी गुलजार रहे. सूप-दउरा  से लेकर फल तक की खरीदारी हो रही है. बुधवार की सुबह से पूरी-पकवान बनाने का काम शुरू होगा, ताकि गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया जा सके। 


कोसी

chhath-parv-starts

छठ के अनुष्ठान के तीसरे दिवस की शाम को अर्थात अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने के पश्चात घर पर गन्ने के पांच पौधों को खड़ा करके एक छतरी जैसा आकार दिया जाता है। इसके अन्दर मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि गन्ने के वे पांच पौधे पंचतत्व (क्षिति, जल, पावक, गगन तथा समीर) जिनसे मानव शरीर का निर्माण हुआ है, उस के प्रतीक माने जाते हैं। कहते हैं कि कोसी का अनुष्ठान उन परिवारों में किया जाता है, जिनमें हाल में ही या तो कोई विवाह संस्कार संपन्न हुआ हो या फिर किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। यह अनुष्ठान अगले प्रातः उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने के पूर्व घाट पर भी किया जाता है। मिट्टी के दीप की रोशनी ऊर्जा की प्रतीक है और इसके द्वारा साधक अपने तथा अपने परिवार के जीवन में शक्ति, सौभाग्य एवं सामर्थ्य की कामना करते हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं: