भाकपा-माले की स्थापना की 53 वीं वर्षगांठ और बोलशेविक क्रांति के नेता काॅ. लेनिन की 152 वीं जयंती आज पूरे राज्य में मनाई गई. विदित हो कि लेनिन के जन्म दिन पर ही भाकपा-माले की स्थापना हुई थी. राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा कार्यालयों, गांवों व अन्य स्थानों पर पार्टी का झंडोत्तोलन किया गया तथा केंद्रीय कमिटी की ओर से जारी 22 अप्रैल के संकल्प का पाठ किया गया. राजधानी पटना में राज्य कार्यालय, दीघा, विधायक आवास 11 नंबर, चितकोहरा, भोला पासवान शास्त्री नगर, कंकड़बाग आदि स्थानों पर पार्टी स्थापना दिवस मनाया गया. राज्य कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में माले राज्य सचिव कुणाल, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, राजाराम, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. भारती एस. कुमार, संतोष सहर, विधायक सुदामा प्रसाद, कमलेश शर्मा, उमेश सिंह, समता राय, विभा गुप्ता, सहित कई पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए. चितकोहरा में फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, माले नेता मुर्तजा अली आदि के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ. वहीं दीघा में केंद्रीय कमिटी की सदस्य शशि यादव कार्यक्रम में शामिल हुईं. राज्य कार्यालय में सबसे पहले पार्टी झंडोत्तोलन किया गया. यह झंडोत्तोलन पार्टी राज्य सचिव कुणाल ने की. उसके बाद काॅमरेड लेनिन को पुष्पांजलि दी गई. 22 अप्रैल के संकल्प का पाठ किया गया. इस मौके पर माले राज्य सचिव ने कहा कि हम आज के दिन सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए लोकतंत्र और आम लोगों के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के पार्टी के संकल्प लेते हैं. पिछले दो साल कोविड-19 महामारी और इससे निपटने के नाम पर राज्य द्वारा लागू किए गए निर्मम लॉकडाउन के साए में रहे. इसके बावजूद, भारत की आम जनता और हमारी पार्टी ने कई बुनियादी मांगों और अधिकारों के लिए सफलतापूर्वक संघर्ष किये हैं. ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को कॉरपोरेट-हितों को साधने के लिए लाए गए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर किया है. बटाईदारों सहित सभी वर्गों के किसानों के लिए सभी फसलों पर उचित एमएसपी, मेहनतकश जनता पर लादे गए सभी कर्जों को समाप्त करने के लिए, मजदूर वर्ग और नौकरी खोजने वालों के लिए सुरक्षित नौकरी और उचित मजदूरी और सार्वजनिक संपत्ति को बेचने व मुट्ठी भर कॉर्पोरेटों को सौंप देने पर रोक लगाने के लिए लड़ाई अभी भी जारी है.
- फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध में भाकपा-माले को एक जीवंत, प्रतिबद्ध और शक्तिशाली ताकत के रूप में स्थापित करने का लिया संकल्प
हर चुनावी जीत भाजपा और संघ ब्रिगेड को अपने फासीवादी हमले को तेज करने के लिए बढ़ावा देती है. 2019 की जीत के बाद, मोदी सरकार ने तुरंत ही अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया और नागरिकता अधिनियम में संशोधन किया. इस बार, यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी की जीत के बाद, वे गैर-बीजेपी सरकारों को अस्थिर करने और बिहार जैसे राज्यों में अपना नियंत्रण दृढ़ करने की कोशिश कर रही है जहां बीजेपी लंबे समय से नीतीश कुमार को अपने चेहरे या मुखौटे के रूप में इस्तेमाल कर रही है. सरकार ने एक तरफ तो ईंधन, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार भारी बढ़ोतरी करके आम लोगों पर आर्थिक युद्ध तेज कर दिया है, साथ ही नफरत और भय का माहौल बनाकर और हिंसा भड़काकर लोगों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी कर रही है. वक्ताओं ने कहा कि जैसे-जैसे संकट गहराता जा रहा है, लोगों को हतोत्साहित किया जा रहा है और भाजपा शासन और आरएसएस की विचारधारा को भारत के लिए अपरिहार्य नियति के रूप में स्वीकार करने के लिए धमकाया जा रहा है. लेकिन भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ हमें हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की शक्तिशाली क्रांतिकारी विरासत और भगत सिंह, अम्बेडकर और पेरियार और उनसे पहले के उपनिवेशवाद विरोधी-जाति विरोधी समाज सुधारकों द्वारा प्रज्वलित एक स्वतंत्र, प्रगतिशील और समतामूलक भारत बनाने के महान सपनों की याद दिला रही है. स्वतंत्रता, न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई को तेज करके उस विरासत को आगे बढ़ाने और भारत को फासीवादी चंगुल से मुक्त कराने की जिम्मेदारी अब हम पर है. इसके लिए सभी वामपंथी, प्रगतिशील और लड़ने वाली ताकतों की हमें एक मजबूत एकता बनाने और आम लोगों के एजेंडे और संघर्षों को चुनावी क्षेत्र में एक शक्तिशाली दावेदारी की ओर की जरूरत है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने आज के दिन भाकपा-माले को भारत में फासीवाद-विरोधी प्रतिरोध की एक जीवंत, प्रतिबद्ध और शक्तिशाली ताकत के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया. प्रो. संतोष कुमार ने अपने वक्तव्य में नौजवान तबके को ज्यादा से ज्यादा संगठन से जोड़ने पर जोर दिया, वहीं प्रो. भारती एस कुमार ने महिला कार्यकर्ताओं को सामने लाने पर जोर दिया.
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