ओला कैब की घटती सेवा से दूर होते ग्राहक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 3 मई 2022

ओला कैब की घटती सेवा से दूर होते ग्राहक

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विजय सिंह ,बैंगलोर,लाइव आर्यावर्त , 3 मई, वर्ष 2010 में  भाविश अग्रवाल और अंकित भाटी द्वारा शुरू किये गए एप्प आधारित मोटर वाहन समूहक नवाचार सेवा ( कैब एग्रीगेटर सर्विस स्टार्टअप ) व्यवसाय काफी लोकप्रिय हुआ और आवागमन की सुविधा प्रदान करने वाले इस नए व्यवसाय का आम और खास हर तरह के  ग्राहकों ने दिल खोल कर स्वागत किया एवं रोजमर्रा के जीवन में शामिल किया लेकिन बदलते वक्त के साथ अब ग्राहक ओला कैब की बदलती व्यावसायिक नीति के कारण ओला संचालित कैब सेवा से दूरी बनाने लगे हैं। एक प्रमुख मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा संचालित सामाजिक संस्था के वरीय अधिकारी  का मानना है कि जहाँ ओला की सेवाएं दयनीय स्थिति में हैं वहीं उनके वाहनों के रखरखाव में काफी कमी आई है। ओला के ड्राइवर नगद भुगतान पर जोर देते हैं ,दूसरी तरफ कार में एयर कंडीशनर स्वयं तो चालू करते नहीं अपितु अनुरोध करने पर काफी हुज्जत के बाद एसी चलाते हैं। उनका मानना है कि यदि ओला कंपनी का ग्राहकों के प्रति यही रवैया रहा तो जल्दी ही वह इतिहास बन जाएगी। वे इस बात पर भी आश्चर्य करते हैं कि "अभी तक ओला का व्यापार क्यों और कैसे चल रहा है ?" एक अन्य उपभोक्ता अमित वर्मा कहते हैं कि ड्राइवर के इच्छानुरूप गंतव्य नहीं होने पर वह जाने में आनाकानी करता है और ग्राहक पर ही परोक्ष रूप से रद्द करने का दबाव बनाता है। ग्राहक द्वारा सवारी रद्द करने पर निरस्तीकरण शुल्क भी चार्ज किया जाता है और इस तरह ग्राहक दोनों तरफ से नुकसान सहता है। सामाजिक विकास और जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले शामलाल तो अब भविष्य में ओला की सवारी से ही तौबा कर चुके हैं। वेंकट रमन , गौरव मित्तल , शांतामय चटर्जी ,गौतम ,मनीष  आदि भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि ओला कैब कंपनी अब ग्राहकों के प्रति पहले जैसी जागरूक नहीं है और उसकी सेवाओं में काफी कमी आई है। इससे इतर बालकृष्ण जैसे ग्राहक तेल की बढ़ती कीमतें ,महंगे रखरखाव और व्यस्त यातायात को इसकी वजह मानते हुए ड्राइवर के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करते हैं। ओला कैब कंपनी ने  उपभोक्ताओं से ऐसी किसी भी समस्या का सामना करने पर उपभोक्ता कार्य संपादन संख्या ( कस्टमर बुकिंग या ट्रांज़ैक्शन नंबर ) सहित सीधे ओला सहायता केंद्र से संपर्क करने की बात कही है।  ओला के बाद अस्तित्व  में आई दूसरी वैकल्पिक कंपनी उबर से भी ग्राहकों को कुछ ऐसी ही मिली जुली शिकायतों से दो चार होना पड़ रहा है।  

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