बैंगलोर, 12 मई (विजय सिंह) इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजद्रोह कानून निलंबित किये जाने का स्वागत किया है। इस सन्दर्भ में 'लाइव आर्यावर्त' को दिए गए अपनी साझा प्रतिक्रिया में आईजेयू के अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी और महासचिव बलविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि कई पत्रकार जो सत्तारूढ़ राजनीतिक व्यवस्था के आलोचक थे, उन्हें 1962 में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित सीमाओं के बावजूद , भारतीय दंड विधान की धारा 124 ए के तहत जेल में डाल दिया गया । लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपराध समझना असमर्थनीय है। तथ्य यह है कि लगभग 13000 लोग धारा 124 ए के तहत जेल में बंद हैं, जो ब्रिटिश युग के समय बने राजद्रोह कानून के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का जीता जागता सबूत है। भारतीय पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था आई.जे.यू. को उम्मीद है कि चूंकि सरकार ने अंग्रेजी हुकूमत काल के कानून पर पुनर्विचार की अपनी मंशा स्पष्ट की है, इसलिए ब्रिटिश शासन द्वारा संस्थापित राजद्रोह कानून शीघ्र ही इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा।
बैंगलोर, 12 मई (विजय सिंह) इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजद्रोह कानून निलंबित किये जाने का स्वागत किया है। इस सन्दर्भ में 'लाइव आर्यावर्त' को दिए गए अपनी साझा प्रतिक्रिया में आईजेयू के अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी और महासचिव बलविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि कई पत्रकार जो सत्तारूढ़ राजनीतिक व्यवस्था के आलोचक थे, उन्हें 1962 में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित सीमाओं के बावजूद , भारतीय दंड विधान की धारा 124 ए के तहत जेल में डाल दिया गया । लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपराध समझना असमर्थनीय है। तथ्य यह है कि लगभग 13000 लोग धारा 124 ए के तहत जेल में बंद हैं, जो ब्रिटिश युग के समय बने राजद्रोह कानून के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का जीता जागता सबूत है। भारतीय पत्रकारों की प्रतिनिधि संस्था आई.जे.यू. को उम्मीद है कि चूंकि सरकार ने अंग्रेजी हुकूमत काल के कानून पर पुनर्विचार की अपनी मंशा स्पष्ट की है, इसलिए ब्रिटिश शासन द्वारा संस्थापित राजद्रोह कानून शीघ्र ही इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा।
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