नयी दिल्ली, 12 मई, उच्चतम न्यायालय ने धार्मिक कार्यक्रमों के बहाने उत्तराखंड में दी गई कथित नफरती भाषणों पर गुरुवार को नाराजगी व्यक्त की। शीर्ष अदालत ने साथ ही ऐसी हरकत को माहौल खराब करने वाला बताते हुए शांतिपूर्ण माहौल कायम रखने के लिए संवेदनशील होने पर जोर दिया। न्यायमूर्ति अजय रास्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने आरोपी जितेंद्र त्यागी (उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी) की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इन टिप्पणियों के साथ उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया। सर्वोच्च अदालत त्यागी की जमानत याचिका पर 17 मई को अगली सुनवाई करेगी। अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा, "वैसे धर्म संसद क्या है?" श्री लूथरा ने इसे एक कार्यक्रम में कुछ लोगों के एक साथ जमा होने और भाषण देना बताया। पीठ ने (आरोपियों की ओर इशारा कर) कहा, "ये संवेदनशील नहीं थे और माहौल खराब कर रहे हैं।" शीर्ष अदालत ने उन्हें ने कहा," एक साथ शांतिपूर्वक रहें और जीवन का आनंद लें।" वरिष्ठ वकील लूथरा ने पीठ से सहमति व्यक्त करते हुए कहा, "हमें लोगों, राष्ट्र और अपने नागरिकों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है।" उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में आयोजित एक कथित धर्म संसद में नफरती भाषण देने के आरोपी रिजवी की जमानत 08 मार्च को खारिज कर दी थी। आरोपी ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि आरोपी ऐसे मामले में लगभग चार महीने तक जेल में रहा है, जिसमें तीन साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है।
शुक्रवार, 13 मई 2022
धार्मिक कार्यक्रमों के बहाने नफरती भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
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