कविता : वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 31 जुलाई 2022

कविता : वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब

वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब,


वक्त वो भी बदल गया था, वक्त ये भी बदल जाएगा ।


क्या हुआ जो आज टूटा है, कल फिर मुस्कुराएगा ।।


सब कुछ बदल जाता है आने वाले वक्त के साथ


कुछ सपने टूट जाते हैं, तो कुछ सपने रंग लाते हैं। 


वक्त यह भी बदल जाएगा जनाब....।


कल तु खुश था अपनों के साथ, आज तु उलझा है 


हर पल दुखी और परेशान है, क्यूं निराशा ने तुझे जकड़ा है


ये वक्त भी नहीं थम पाएगा


वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब...।


जिंदगी तेरी कल्पना से भी खूबसूरत है।


अभी तो सफ़र शुरू हुआ है, रंग सुहाने भी है।


कभी-कभी लगता है, सब देख लिया जिंदगी में अब 


लेकिन जिंदगी के सफर में कुछ देखा हुआ लौट कर नहीं आता।


फिर वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब...।


दिल में आशा हो तो धड़कन संगीत और ना हो तो शोर।


सब कुछ वैसा नहीं होता, जैसा दिखता है चारो ओर। 


तेरी नज़र में सब एक नहीं, तो  सबकी नजर में तू कैसे ?


अब बात अपने दिल की तू सबको नहीं समझा पाएगा।


तेरा ये वक्त भी बदल जाएगा...।


मत सोच कि जिंदगी में कितने दर्द उठाये हैं तूने


ये सोच वो दर्द ना होते तो कुछ अपने ना मिले होते


हर दर्द से तू खुद उभर कर आया है, तूने खुद को मजबूत बनाया है।


खड़ा हो आइने के सामने और कह दे ये वक्त भी बदल जाएगा जनाब...।



दिया आर्य


दिया आर्य

असों, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

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