- “प्रत्येक गाँव जब अपनी आवश्यताओं की पूर्ती तथा सुरक्षा की दृष्टि से स्वावलंबी होगा तभी वास्तविक स्वराज आएगा ”
उन्होंने आगे कहा कि गाँधी का स्वराज राष्ट्र निर्माण में परस्पर सहयोग और मेल- मिलाप पर बल देता है . परंतु आज आधुनिकता और उपभोक्तावाद परक नीतियों के कारण कुछ ऐसे बदलाव हमारे जीवन में आये हैं जिसकी वजह से इंसान का प्रकृति तक के साथ भी संवाद ख़त्म हो गया है. इसी संवाद को एक दूसरे के बीच पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से महात्मा गाँधी और विनोबा जी के स्वराज के संदेशों को अपने अनुभवों के साथ जन जन तक पहुँचाने हेतु प्रकृति के संरक्षक समुदाय“ स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा” के माध्यम से प्रयास कर रहे हैं आज के ये स्वराज संवाद कार्यक्रम इसी कड़ी का हिस्सा हैं. कार्यक्रम में प्रकृति के महत्वपूर्ण घटकों - जल, जंगल, ज़मीन, पशु, बीज, खाद्य , शिक्षा, पोषण व संस्कृति के स्वराज जैसे अहम् विषयों पर गहन चर्चा हुई . इसी बीच स्वागत की कड़ी में जुनिया ग्राम पंचायत पर भी सरपंच श्री कृष्ण गोपाल सेन, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल श्रीधर जी चौधरी, सहित श्री राजेंद्र कुमार सेन (JSS अध्यक्ष ) तथा कमलेश कुमार जी द्वारा पदयात्रियों का स्वागत किया गया. इस अवसर पर बोलते हुए प्रिंसिपल श्रीधर जी चौधरी ने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी कामना है कि इस यात्रा का जो उद्देश्य है वह मूर्त रूप ले और हम इसमें सफल हों. उन्होंने कहा कि किसी भी चीज़ की अति बुरी होती है – इसलिए ये आवश्यक है कि हम अपने खेतों में एक ही प्रकार की फसलों को न उगाते हुए मिश्रित खेती अपनाएं . गेहूं के अतिरिक्त ज्वार , बाजरा, मक्का जैसे अन्य अनाज भी उगायें और खाएं. उन्होंने आगे कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने पर सरकार को सोचना चाहिए. खेती हेतु किसानों को ग्राम स्तर पर ही मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जानी चाहिए . इससे पूर्व वाग्धरा संस्था के श्री मानसिंह निनामा ने यात्रा का उद्देश्य बताते हुए अपने कृषक जीवन में परंपरागत खेती से प्राप्त की आत्मनिर्भरता का ज़िक्र करते हुए उसके लाभ को सभी के साथ साझा किया . स्वागत कार्यक्रम में यात्रा का नेतृत्व कर रहे वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने गाँधी और विनोबा जी के स्वराज सिद्धांतों का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज बढ़ते वैमनस्य के इस दौर में पुनः खुशहाली प्राप्त करने के लिए हमें इन युग पुरुषों के स्वराज विचारों को अपनाना ही होगा . जोशी ने कहा कि आज की बदली हुई जीवनशैली में प्रसन्नता और समरसता के जीवन का उपाय स्वराज की जीवनशैली है और इसे पुनः स्थापित कर दुनिया को एक सन्देश देना होगा। इसी आग्रह के साथ हम इस यात्रा को जयपुर तक ले जा रहे हैं। वाग्धारा की ओर से रा.उ माँ वि के प्रिंसिपल श्रीधर जी को “गाँधी जी की आत्मकथा “ पुस्तक भेंट कर निवेदन किया कि गाँधी जी के विचारों से प्रतिदिन छात्रों को अवगत करवाया जाये जिसे श्रीधर जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें