कविता : दुनिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 नवंबर 2022

कविता : दुनिया


ये कैसी अजीब दुनिया है।


कहीं झूठे लोग हैं तो कहीं सच्चे।।


कहीं अपने हैं तो कहीं पराए।


कोई मेहनती है तो कोई आलसी।।


मनुष्य खाली हाथ आया है, खाली हाथ जाएगा।


दुःख सुख का आना जाना होता है।।


जो मेहनत करता है उसे फल भी मिलता है।


कभी कांटे बिछेंगे तो कभी फूलो की बरसात भी होगी।।


ये कैसी अजीब दुनिया है।


कहीं पानी तो कहीं रेत है।।


कहीं प्यार तो कहीं नफरत है।


कहीं हरियाली तो कहीं सूखा है।।


कहीं पेड़-पौधे तो कहीं पत्थर है।


ये कैसी अजीब दुनिया है।।


मगर जैसी है हमें प्यारी है।


ये दुनिया हमारी है।।



Dolly-gudiya

डॉली गड़िया

पोथिंग, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर

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