- भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसे 'कंट्री श्रेणी' में यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है
- यह पुरस्कार आधुनिक गर्भनिरोधक तरीकों तक पहुंच को बेहतर बनाने तथा उन्हें अपनाने के कार्य को सुनिश्चित करने के साथ-साथ परिवार नियोजन की अपूर्ण आवश्यकता को महत्वपूर्ण रूप से पूरा करने में भारत की उपलब्धियों को मान्यता देता है और उनकी सराहना करता है
भारत में अभी हाल में 15-49 आयु वर्ग की वर्तमान में विवाहित महिलाओं में परिवार नियोजन के लिए कुल 'डिमांड सैटिस्फाइड' जो 2015-16 में 66 प्रतिशत थी, बढ़कर 2019-21 में 76 प्रतिशत हो गई। जिसने 2030 के लिए वैश्विक स्तर पर निर्धारित 75 के एसडीजी लक्ष्य को पहले ही पार कर लिया है। सरकार का आधुनिक गर्भ निरोधकों तक आसान और सस्ती पहुंच को बेहतर बनाने पर ध्यान देना इस तथ्य में परिलक्षित होता है कि एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार, 68 प्रतिशत आधुनिक गर्भनिरोधक तरीके अपनाने वाले ऐसे तरीके सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र से ही प्राप्त कर रहे हैं। परिवार नियोजन में अपूरित जरूरतों को कम करने के लिए सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक मिशन परिवार विकास भी इस समग्र सुधार में एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। परिवार नियोजन को बेहतर बनाने के लिए भारत के प्रयास महिलाओं और मातृ स्वास्थ्य पर एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में देश में हुई प्रगति को दर्शाते हैं। अंतरराष्ट्रीय परिवार नियोजन सम्मेलन (आईसीएफपी) ने वैश्विक प्रजनन स्वास्थ्य समुदाय के लिए एक रणनीतिक बिंदु के रूप में कार्य किया है, जो विश्वस्तर पर 120 से अधिक देशों, संगठनों और व्यक्तियों को वैश्विक मंच प्रदान करता है, ताकि परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य पर विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक सम्मेलन के रूप में महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं की जा सकें और उपलब्धियों का जश्न मनाया जा सके। इस आयोजन में 3500 से अधिक प्रतिनिधियों ने व्यक्तिगत रूप से और हजारों की संख्या में वर्चुअल रूप से भाग लिया।
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