गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद हैं संजीव श्याम सिंह 2011 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए थे। 2017 में राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (उपेंद्र कुशवाहा की तत्कालीन पार्टी) से निर्वाचित हुए थे। लेकिन 2019 में जदयू में शामिल हो गये थे। वे कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीति, कार्यक्रम और कार्यशैली में जनसरोकार सर्वोपरि रहा है। नीतीश कुमार में आस्था रही है और इसी कारण जदयू में शामिल हुए थे। उनका दूसरा कार्यकाल मई, 2023 में समाप्त हो रहा है। तीसरे चुनाव की तैयारी शुरू हो गयी है। इसी संदर्भ में हुई मुलाकात में उन्होंने अपनी विधायी अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि लोकशाही पर कभी-कभी नौकरशाही हावी हो जाती है। इससे जन अपेक्षा और जन सरोकार की अनदेखी होती है। उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया में सदन के माध्यम से कई मुद्दों को उठाते हैं और सवाल उठने के बाद समस्याओं का समाधान भी होता है। इसके माध्यम से कई जनसमस्याओं का समाधान भी करवाया। लेकिन कई बार कार्यपालिका सदन को गुमराह भी करती है। गलत जवाब भी दिया जाता है। लेकिन गलत जवाब भेजने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का कोई सिस्टम नहीं है। मुख्य सचिव से इस संबंध में शिकायत करने के बाद भी जिम्मेवार अधिकारी के खिलाफ कौन सी कार्रवाई की गयी, इससे सदन या सदस्य को अवगत नहीं कराया जाता है। संजीव श्याम सिंह ने कहा कि परिषद की समितियां के पास काफी विधायी शक्ति होती है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल नहीं हो पाता है। सदस्य भी समितियों की बैठक को गंभीरता से नहीं लेते हैं। विभागीय अधिकारी भी समितियां की गंभीरता को नहीं समझते हैं और बैठकों में शामिल होने से बचने की कोशिश करते हैं। वे कहते हैं कि जब वे आश्वासन समिति के अध्यक्ष थे तो अपनी रिपोर्ट की सदन में प्रस्तुत किया था। वे कहते हैं कि सदन की समिति और विभाग के बीच हुए पत्राचार के लिए कोई कोषांग नहीं होने के कारण फाइलों का लोकेशन लेना मुश्किल हो जाता है। जन अपेक्षाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनसे लोग स्कूल-कॉलेजों की आधारभूत सरंचनाओं से जुड़े सवाल की पूछते हैं। उनकी प्राथमिकता भी स्कूल-कॉलेजों में आधारभूत संरचनाओं यथा भवन, टेबुल-बेंच, पुस्तकालय, शौचालय निर्माण आदि से जुड़ी रही है। वे कहते हैं कि अपने क्षेत्र और लोगों के मुद्दों को लेकर सड़क से सदन तक लड़ते रहे हैं और इसे लोग स्वीकार भी करते हैं। अपने राजनीतिक कैरियर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 1987 में द्वारिकानाथ कॉलेज, मसौढ़ी में अध्यापक के रूप में काम शुरू किया। लेकिन कुछ साल बाद ही कॉलेज छोड़कर दूसरे कारोबार में जुड़ गये। इसके साथ समता पार्टी से जुड़े रहे और संगठन में कई जिम्मेवारियों का निर्वाह किया। 2005 में पहली बार गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन पराजित हो गये। 2011 में जदयू ने कांग्रेस उम्मीदवार अरुण कुमार का सपोर्ट कर दिया। इस कारण संजीव श्याम सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर परिषद में पहुंचे। वे कहते हैं कि चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और उनका आभार व्यक्त किया। संजीव श्याम सिंह कहते हैं कि 2005 में नीतीश कुमार ने ही टिकट देकर बीजारोपण किया था। चुनाव को समझने का मौका मिला था और उसी अनुभव के आधार पर 2011 में निर्वाचित हुए। इसका श्रेय नीतीश् कुमार को ही जाता है।
------ वीरेंद्र यादव न्यूज ----
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें