कविता : क्यों डरती थी वो बाहर जानें में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 14 जनवरी 2023

कविता : क्यों डरती थी वो बाहर जानें में

क्यों डरती थी वो बाहर जाने में,


ऐसा क्यों लगता हैं,


उसे कुछ हो ना जाए बाहर आने में,


क्यों उसने जमाने को देखा नहीं,


या फिर उसे जमाने को दिखने की इजाजत ही नहीं मिली।


क्यों जकड़ी गई पांव में जंजीरे उसके,


क्यों उनसे डरती रहती थी वो,


क्यों बन बैठे अपने ही बे रहम,


न देखा उसने बाहर का रहन-सहन,


क्यों रखा गया था उसे चारदिवारी में,


उसे क्यों न पता था कि संसार है कितना सुंदर,


ऐसा क्यों हुआ उसके साथ सोच कर ही लगता है डर लगता है।।







Sapna

सपना

सिमतोला, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर

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