- - आंगनबाड़ी केंद्र, आरबीएसके एवं ओपीडी में चिन्हित कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रही है चिकित्सकीय सुविधा
- - बच्चों के बेहतर पोषण, समुचित देखभाल के साथ केंद्र में उपलब्ध है सभी जरूरी सेवाएं
जिले में 10.9% बच्चों को ही मिलता है पोषण युक्त भोजन :
कुपोषण छोटे उम्र के बच्चों के मौत की बड़ी वजह है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़े बताते हैं कि जिले में 06 से 23 माह के महज 10.9 फीसदी बच्चों को ही उम्र के हिसाब से पर्याप्त पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो पाता है, जिसमें शहरी क्षेत्र के 9.2 तथा ग्रामीण क्षेत्र के 11.2 बच्चे है, जिसका सबसे बड़ा कारण कम उम्र में शादी, आज्ञनता, उच्च प्रजनन दर बच्चों के कुपोषित होने की बड़ी वजह है।
बच्चे को केंद्र में भर्ती करने से पहले रखा जाता है कई मानकों का ध्यान :
बच्चों को केंद्र में भर्ती करने से पहले कई मानकों का ध्यान रखा जाता है। केंद्र में पांच साल तक के बच्चों के बांह की मोटाई, स्वास्थ्य संबंधी जटिलता सहित कुछ गंभीर लक्षणों के आधार पर बच्चों को केंद्र में दाखिला लिया जाता है। लगातार डायरिया, बुखार व डिहाइड्रेशन जैसी समस्या की वजह से कमजोर बच्चों को केंद्र में भर्ती किया जाता है। उम्र के हिसाब से लंबाई, ऊंचाई व वजन नहीं होने पर भी बच्चे केंद्र में दाखिल किये जाते हैं।
सघन जांच के बाद होता है बच्चों के डाइट का निर्धारण :
केंद्र में दाखिल होन के बाद बच्चों के भूख का परीक्षण होता है। फिर इसके आधार पर बच्चों के डाइट का निर्धारण होता है। निर्धारित प्रक्रिया व तय मानकों के आधार पर बच्चों के लिये विशेष डाइट तैयार किया जाता है। जिसे एफ-75 व एफ-100 के नाम से जाना जाता है। वस्तुत: जो एक फार्मूला मिल्क होता है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व व निर्धारित मात्रा में कैलोरी मौजूद होता है। पर्याप्त पोषाहार, जरूरी मेडिकल सप्लीमेंट व उचित सलाह व परामर्श से बच्चों की सेहत में तेजी से सुधार परिलक्षित होने लगता है। गंभीर से गंभीर मामलों में भी कम से कम 14 व अधिक से अधिक 21 दिनों के अंदर बच्चों की सेहत में अप्रत्याशित रूप से बदलाव परलक्षित होने लगता है।
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