बिहार : 25-26 मार्च को आयोजित होगा चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 26 फ़रवरी 2023

बिहार : 25-26 मार्च को आयोजित होगा चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव

  • तीन श्रेणियों में होगी निबंध लेखन प्रतियोगिता, मिलेंगे नकद पुरस्कार
  • चंद्रगुप्त साहित्य सम्मान से सम्मानित होंगे रचनाकार
  • विमर्श, संबोधन, परिचर्चा के माध्यम से पुस्तकों व साहित्यप्रेमियों का होगा समागम

Chandragupt-sahitya-mahotsav-patna
पटना : पटना में आगामी 25 व 26 मार्च को एक साहित्योत्सव “चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव पटना के स्काउट एंड गाइड परिसर में आयोजित किया जाएगा। “चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव” में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकर्मी, चिंतक एवं संस्कृतिकर्मी आएंगे। उक्त आशय की जानकारी विश्व संवाद केंद्र में रविवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में स्वागत समिति के अध्यक्ष प्रो. अमरनाथ सिन्हा ने दी। इस अवसर पर चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का लोगो भी जारी किया गया। पत्रकार वार्ता में उपस्थित चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के संयोजक प्रो. (डाॅ.) राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में मुख्य समारोह के अलावा छह समानांतर सत्र चलेंगे जिनमें राष्ट्र, संस्कृति, पर्यावरण, साहित्य, शिक्षा से संबंधित विषयों पर प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा संबोधन एवं विमर्श होगा। इस महोत्सव में इंटर, स्नातक, स्नातकोत्तर एवं शोध स्तर के तीन निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी, जिनमें प्रत्येक खंड से तीन-तीन विजेताओं को प्रमाण-पत्र एवं नकद राशि के साथ सम्मानित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले रचनाकारों को सम्मानित करने की भी योजना है। इन पुरस्कारोें में चंद्रगुप्त साहित्य सम्मान के अतिरिक्त समाजसेवा, राष्ट्र निर्माण एवं अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में कार्य करने वालोें को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। साहित्य महोत्सव कार्यक्रम के सह संयोजक मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि प्राचीन काल से ही बिहार शिक्षा, साहित्य और संस्कृति की उर्वर भूमि रही है। कभी यहां के उत्कृष्ट नालंदा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए दूसरे देशों के विद्यार्थी आतुर रहते थे। इस भूमि ने शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अनेक विभूतियों को जन्म दिया है। इसी भूमि पर धर्मशील चंद्रगुप्त मौर्य जैसे यशस्वी सम्राट और महर्षि चाणक्य जैसे महामनिषी हुए, जिन्होंने ज्ञान और संस्कृति की अजस्र धारा प्रवाहित की। यहीं गणितज्ञ एवं ज्योतिषविद् आर्यभट्ट हुए। इसी के मिथिला भू-भाग में मंडन मिश्र जैसे शास्त्रज्ञ, प्रसिद्ध उपन्यासकार बाणभट्ट एवं विद्यापति जैसे कालजयी कवि हुए थे। वैशाली में भगवान् महावीर ने उपदेश दिए थे और बोधगया में महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। कार्यक्रम के आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. अमरनाथ सिन्हा ने कहा कि बिहार के ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य और संस्कृति के गौरवमयी परंपरा और विरासत के अनुरूप चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के आयोजन का निर्णय लिया गया है। पत्रकार वार्ता के दौरान चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के सह संयोजक संजीव कुमार, डाॅ. गौरव रंजन, कोषाध्यक्ष स्नेह अंजन तिवारी इत्यादि उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं: