2018 में, स्थिति को दूर करने के लिए, वागधारा ने वाडी विकास परीयोजना के तहत मनीदेवी को 20 आम 20 अमरूद 5 कटहल और लिंबू के पौधै दीये और कृषि पद्धतियों में सुधार के लिए समुदाय के साथ सहयोग किया। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता में सुधार करके आदिवासी परिवारों की आय में वृद्धि करना था। समुदाय के सदस्यों को कृषि के व्यवस्थित तरीके और प्रत्येक फसल के लिए अभ्यासों के स्थायी टिकाऊ आजिविका से परिचित कराया गया। वागधारा ने सिंचाई प्रणाली में सुधार और बाजार लिंकेज विकसित करने के लिए मनीदेवी को सहयोग किया । इसके अलावा, ग्रामीणों महीला को एक दूसरे को बढ़ावा देने एवं ज्ञान का आदान प्रदान के लिए अन्य महिलाओं को सक्षम महीला समूह का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया गया। मंनीदेवी और उनके परिवार के पास सात बीघा जमीन है और वे अपनी आय के लिए कृषि पर निर्भर हैं। सिंचाई का कोई साधन नहीं होने के कारण, मनीदेवी कहती है की जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के बिना कृषि की कल्पना करना मुश्किल है। इसी को ध्यान में रखते हुए, वागधारा ने वाडी विकास परियोजना के तहत मुझे पानी की टंकी वितरित कीया यह टंकी बारिश के पानी को इकट्ठा करने में मदद करने के लिए यह पानी बाद में मेंरे के खेतों व कृषि कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
चार साल पहले, मैं इस तरह के बदलाव की कल्पना नहीं कर सकता थी ,” राजस्थान के बाँसवाडा में आनंदपुरी ब्लॉक के सेरानगला गांव के निवासी मनीदेवी मोहन डामोर कहती हैं। वह पारंपरिक फसलों की खेती से सब्जियों और फलों की फसलों की ओर बढ़ीं। वागधारा गठित सक्षम समूह की सदस्य बनने और वागधारा कि सहजकर्ता कांता देवी डामोर की सलाह से प्रेरित इस कदम ने मनीदेवी और उनके जैसे अन्य सीमांत किसानों के लिए समृद्धि लाई है। मंनीदेवी का गांव, सेरानगला और इसके आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से वंचित है और कृषि बुनियादी ढांचे का अभाव है। वर्षा आधारित कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ आजीविका के प्रमुख साधन थे। लगभग 20,000 रुपये की औसत वार्षिक आय के साथ, लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति गरीब से मामूली रही है। पर जब वह
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