बिहार : राजेंद्र आर्लेकर बिहार के नए राज्यपाल, अन्य 12 राज्यों के राज्यपाल भी बदले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 12 फ़रवरी 2023

बिहार : राजेंद्र आर्लेकर बिहार के नए राज्यपाल, अन्य 12 राज्यों के राज्यपाल भी बदले

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पटना: बिहार के नए राज्यपाल के रूप में राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की नियुक्ति हुई है, वहीं बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को अब मेघालय की जिम्मेदारी मिली है। आर्लेकर इससे पूर्व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे। रविवार को राष्ट्रपति भवन से प्रेस रिलीज जारी हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 राज्यों के राज्यपालों को नियुक्त किया है। बिहार के अलावा झारखंड के राज्यपाल भी बदल दिए गए हैं। झारखंड के राज्यपाल रहे रमेश बैस को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल बनाया गया है, वहीं सीपी राधाकृष्णन अब झारखंड के नए राज्यपाल होंगे। राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मूल रूप से गोवा के रहने वाले हैं। उन्होंने एमईएस कॉलेज से पढ़ाई की है और शुरू से ही आरएसएस से जुड़े रहे। 1989 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। गोवा में विधायक और मंत्री भी रहे। आर्लेकर पूर्व रक्षामंत्री और गोवा के चर्चित मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के करीबी माने जाते हैं। गोवा विधानसभा का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने गोवा विधान सभा को कागज मुक्त बनाने का क्रांतिकारी कार्य किया था। जानकारों के मानना है कि आर्लेकर को सरकार के साथ-साथ संगठन चलाने का भी अनुभव है। केंद्र में दो बार पूर्ण बहुमत में आने के बाद भी बिहार में भाजपा बैकफुट पर ही है। ऐसे में आर्लेकर की नियुक्ति अकारण नहीं है! बता दें कि फागू चौहान को 29 जुलाई 2019 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उस समय तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन को हटाकर फागू चौहान की नियुक्ति हुई थी। नियुक्ति के बाद से ही जिस प्रकार चौहान ने बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में ताबड़तोड़ कुलपतियों की नियुक्ति की, उससे हंगामा मच गया था। उसमें भी एक ही व्यक्ति को कई विश्वविद्यालयों के कुलपति या कुलसचिव का प्रभार दे दिया, इस कारण भी उच्च शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़े होने लगे। ऐसे ही एक मामला मगध विवि के विवादित कुलपति का था। मगध विवि के कुलपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद डेढ़ साल से जांच एजेंसी की गिरफ्त से बाहर रहे। मगध विवि के कुलपति रहते उन पर नियुक्ति घोटाला, आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे। पुलिस के लाख प्रयास के बावजूद वे पकड़ में नहीं आए। कहा जाता है कि कुलपति को ‘ऊपर’ से शय मिला हुआ था।

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