मधुबनी : मैथिली गीति साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर हैं भावना झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 16 मार्च 2023

मधुबनी : मैथिली गीति साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर हैं भावना झा

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मधुबनी, जिले के झंझारपुर प्रखण्ड के सर्वसीमा गाँव के मोदनाथ ठाकुर की बड़ी बेटी भावना मैथिली गीति साहित्य के क्षेत्र में अब किसी परिचय का मोहताज नहीं रही। भावना का जन्म 24:10:1976 को हुआ। इनके पिता मोदनाथ ठाकुर चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय, दरभंगा में कार्यरत थे और बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न हैं। भावना 1992 ई. में उजान हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर अन्तरस्नातक एवं स्नातक "प्रतिष्ठा" (मैथिली) परीक्षा सीएम कॉलेज से एवं एम.ए. की परीक्षा पटना विश्वविद्यालय से पास की। भावना की शादी 1995 ई. में दरभंगा ज़िला के भटपुरा गाँव निवासी केशव कुमार झा से हुई, जो दवा कंपनी में काम करते हैं। भारत में जब कोरोना का प्रवेश हुआ तब पूरे देश में लॉक डाउन लगा। उस समय घरों में बन्द लोग डिप्रेशन का शिकार होने लगे। इसे देखकर भावना के मन में यह विचार आया कि क्यों न कुछ सकारात्मक काम किया जाए। यह सोचकर गीत और कविता रचना के क्षेत्र में काम करना शुरू की। चारों ओर उदासी भरे माहौल को हल्का करने के लिए भावना ने हास्यगीत की रचना की, साथ ही भक्तिगीत और विभिन्न अवसरों पर घर में गाए जानेवाले व्यवहार गीतों की भी लगातार रचना करती रही है। अब तक इसकी 25 रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं; जिनमें प्रमुख हैं - मैथिली में प्रकाशित शौर्यगाथा - मिथिला भूमि, हास्य रचना - गिरगिटिया रंग बदललकौ गै मखनी, अध्यात्म में - सृष्टि चक्र, भक्ति गीत - हे हर आब पधारू, धरापर आएल शिव भगवान, बाबा अहाँक पगड़ी, दुर्गा वन्दना, सरस्वती वन्दना, छठी मैया वंदना आदि, व्यवहार गीत - उचिती, सौजन, विवाह, मुंडन, होली गीत। मैथिली के अतिरिक्त हिन्दी में इनकी रचना प्रकाशित हैं - रश्मि अन्तन-1, रश्मि अन्तन-2, नीर निधि एवं जज्बातों का समंदर। भावना झा के गीतों को स्वर दिया है - आयुष्मान शेखर, पूजा मिश्रा, अनिल सिंह, प्रह्लाद झा, कल्पना मण्डल इत्यादि ने। श्रीमती भावना झा की दो संतान हैं - बड़ी बेटी - सलोनी (चंद्रगुप्त संस्थान,पटना से एमबीए) एवं छोटा बेटा - संकल्प (बीएससी में अध्ययनरत)। भावना कहती हैं कि कोरोना जैसे विपरीत परिस्थिति में हमने सकारात्मक ऊर्जा के बलपर जीना सीखा। अगर परिस्थिति विपरीत हो तो हम अपने सकारात्मक सोच के आधार पर जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। भावना को आगे बढ़ाने में उसके पिता एवं पति दोनों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। परिवार से मिले सहयोग के आधार पर ही भावना एक कुशल कवयित्री एवं गीतकार बन सकी।

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