हमारा देश जो लोकतंत्र की जननी और सबसे बड़ा लोकतंत्र है, यह 140 करोड़ भारतीयों का सदन है जो उनकी आशाओं, आकांक्षाओं, समस्याओं और चिंताओं का प्रतिनिधित्व करता है. लोकसभा हमारे जीवंत लोकतंत्र की आधारशिला है, जहां लोगों की आवाज उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है. विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की अपनी विविधता के साथ यह सदन राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर रचनात्मक बहस में शामिल होने के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं कि मणिपुर भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य है. मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत न केवल मणिपुर बल्कि सम्पूर्ण भारत की संस्कृति का ‘गहना’ है. गत छह सालों में मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के शासन में यह क्षेत्र शांति और विकास के नए युग का अनुभव कर रहा था. परन्तु कुछ अदालती निर्णयों और कुछ घटनाओं के कारण मई माह की शुरुआत में मणिपुर में हिंसा की घटनाएं घटी. कुछ शर्मनाक घटनाएं भी सामने आई जिसके बाद समग्र देश की जनता, उत्तरपूर्व की जनता और विशेषकर मणिपुर की जनता देश की संसद से अपेक्षा कर रही है कि इस कठिन समय में सभी पार्टियाँ दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मणिपुर की जनता के साथ खड़ी रहें. इस समय मणिपुर की जनता चाहती है कि हम सभी पार्टियों के संसद सदस्य उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि हम एक होकर मणिपुर की शांति के लिए संकल्पबद्ध हैं. पूर्व में हमारी महान संसद ने यह करके भी दिखाया है.
विपक्ष की मांग है कि सरकार द्वारा मणिपुर पर स्टेटमेंट हो, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि सरकार सिर्फ स्टेटमेंट ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण चर्चा के लिए तैयार है. लेकिन यह सिलसिला इसमें सभी दलों का साथ अपेक्षित है. मेरी आपके माध्यम से समग्र विपक्षी दलों से विनती है कि अच्छे वातावरण में चर्चा के लिए आप आगे आएं. मैं आपसे, सभी संसद सदस्यों से और राजनीतिक दलों से पार्टी लाइन से ऊपर उठकर, लोकसभा की पवित्रता बनाए रखने के लिए एकजुट होने और इसके निरंतर कामकाज में योगदान देने का आग्रहपूर्वक अनुरोध करता हूं. लोगों के जनादेश के प्रतिनिधि के रूप में, यह हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि हम अपने नागरिकों के हितों की सेवा करें और अपने महान राष्ट्र की बेहतरी के लिए सामूहिक रूप से काम करें. मैं एक मजबूत भारत के निर्माण की हमारी साझा प्रतिबद्धता में आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया और सहयोग की आशा करता हूं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दलों को मिलाकर ‘इंडिया‘नामक गठबंधन बनाने पर कटाक्ष किए हैं.‘’पीएम मोदी ने कहा कि इंडियन नेशनल दल कांग्रेस एक अंग्रेज ने बनाई थी. ईस्ट इंडिया कंपनी भी अंग्रेजों ने बनाई थी. आजकल लोग इंडियन मुजाहिदीन भी नाम रखते हैं. इंडियन पीपुल्स फ्रंट भी रखते हैं.’’ यहीं पर पीएम नरेंद्र मोदी नहीं रुके.उन्होंने विपक्ष को दिशाहीन करार दिया और कहा कि ऐसे लोग देश के नाम का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह नहीं कर सकते। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने कहा कि कौआ अपना नाम हंस रख ले तो भी मोती नहीं चुगेगा. अमावस्या की काली रात को पूर्णिमा का नाम देने से वह शीतल और प्रकाशवान नहीं हो जाएगी.नाम बदलने से इनका मूल स्वभाव नहीं बदल जाएगा.ऐसे ही I.N.D.I.A. नाम लगा लेने से आत्मा और संस्कार में रची-बसी विभाजनकारी सोच और भारत विरोधी दृष्टि समाप्त नहीं हो जाएगी.
राज्य सभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि तानाशाह "खफा" है... वो अपने दरबारियों से पूछ रहा है कि- हंगामा है क्यों बरपा ? वो 80 दिनों से हिंसा-बर्बरता-क्रूरता की आग में झुलसते मणिपुर पर, INDIA के सवालों से खफा है !वो महिलाओं और बच्चियों के साथ सरेआम हुई दरिंदगी और हैवानियत से खफा नहीं है..वो मणिपुर से उठती दर्द की चीखों से घायल, देश के दिल में भरे आक्रोश से खफा है !वो सूबे में बैठाए अपने "सूबेदार" के नकारेपन और निकम्मेपन से खफा नहीं है..वो देश के सामने उसकी, अनजाने में बयां की गई हालत के हकीकत से खफा है !वो अपने गवर्नर से खफा है, वो "राज्य-प्रायोजित हिंसा है.." कहने वाले अपने विधायक से खफा है !वो 9 साल से देश के लोकतंत्र, संविधान और संस्थानों को बंधक बनाए रखने के बाद भी..सच की उठती हर बेखौफ आवाज से खफा है ! वो अपनी "झूठी इमेज़" के पीछे छुपाई सारी सच्चाई के बाहर आते जाने से खफा है !और सुना है अब तो वो "INDIA That is Bharat.." के नाम से भी बेहद खफा है !वो अपने भीतर बैठे 'डर' से खफा है ! इसीलिए देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली संसद से भाग रहा है !
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