कविता : ज़ुल्म का शिकार क्यों हैं लड़कियां? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

कविता : ज़ुल्म का शिकार क्यों हैं लड़कियां?

क्यों अपने सपनों को पूरा ना कर पाए लड़कियां?

क्यों मर्यादा की जंजीरों में बांध के रखी जाए लड़कियां?

क्यों अपनी उड़ानों को ना भर पाए लड़कियां?

क्यों घुट-घुट कर घर में रहती है लड़कियां?

क्यों चारदीवारी के भीतर दम तोड़ देती हैं लड़कियां?

क्यों अपनी मर्जी का कुछ ना कर पाए लड़कियां?

क्यों अपने ही घर में डर-डर के जियें लड़कियां?

क्यों घर में भी महफूज नहीं रहती लड़कियां?

क्यों बालपन में ही शादी का बोझ उठाए लड़कियां?

क्यों झूठे रस्मों के नीचे दब के रह जाए लड़कियां?

क्यों बचपन को भूल, चूल्हा चौका संभाले लड़कियां?

क्यों सुकून के दो पल ना बिताएं लड़कियां?

क्यों अपने ही घर में नजरअंदाज होती हैं लड़कियां?

क्यों घर में ही भेदभाव का शिकार होती हैं लड़कियां?

क्यों लड़की होने की कीमत चुकाये लड़कियां?

क्यों आजादी के बाद भी आजाद नहीं हैं लड़कियां?

आखिर वह भी तो इंसान है, जीने का उसे भी अधिकार है,

फिर क्यों गर्भ में ही मार दी जाती हैं लड़कियां?

आखिर क्यों हैं ज़ुल्म का शिकार लड़कियां?






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सिमरन कुमारी

मुजफ्फरपुर, बिहार

चरखा फीचर

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