- फादर का इतना दोष है कि पुलिस स्टेशन (नैनी, प्रयागराज) पैरवी करने गए थे
- गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 फादर बाबू के साथ अन्य पर लागू कर दिया गया
- इसे खाकी वर्दी का कहर ही कहा जा सकता है
इस धारा को समझे जो लगाया है एफआईआर में
धारा 295 ए
धारा 295ए भारतीय दण्ड संहिता की एक धारा है जिसमे जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान करती है, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है.यह भारत में नफरत फैलाने वाले भाषण कानूनों में से एक है.
धारा 147
भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के अनुसार, जो कोई भी उपद्रव करने का दोषी होगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.
धारा 307
धारा 307, "हत्या की कोशिश" के रूप में जानी जाती है और इसे गंभीर तथा संज्ञेय अपराध माना जाता है. इस धारा के तहत, यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की मृत्यु (हत्या) की कोशिश करता है, तो उसे धारा 307 के तहत दंडित किया जा सकता है. इसमें शारीरिक हमले के द्वारा किसी की जान को खतरा महसूस करने की आवश्यकता होती है.
धारा 504 क्यों लगाई जाती है?
"मात्र दुर्व्यवहार, असभ्यता, अशिष्टता या बदतमीजी, आईपीसी की धारा 504 के अर्थ में जानबूझकर अपमान का अपराध नहीं हो सकता है, यदि इसमें अपमानित व्यक्ति को शांति भंग करने के लिए उकसाने की संभावना का आवश्यक तत्व नहीं है और अभियुक्त का अन्य तत्व अपमानित व्यक्ति को शांति भंग करने के लिए उकसाने का इरादा रखता है या यह जानते हुए.
“धारा 506-
आपराधिक धमकी के लिए सजा - जो कोई भी आपराधिक धमकी का अपराध करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी.जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा; यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट आदि कारित करने के लिए हो - और यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए हो, या आग से ...
धारा 3,5(1)
(1) - जो कोई धारा 3, धारा 5 या धारा 5 के के उपबंधों का उल्लंघन करता है या उल्लंघन करने का प्रयास करता है या उल्लंघन करने के लिए दुष्प्रेरित करता है वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास, जो अन्यून तीन वर्ष होगी और जो दस वर्ष तक हो सकती है, से, और ऐसे जुर्माना, जो अन्यून तीन लाख रुपये होगा और जो पाँच लाख रुपये तक हो सकता है..

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