पटना : विधानमंडल के दोनों सदना में हुई लोकतंत्र की हत्या : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शनिवार, 27 जुलाई 2024

पटना : विधानमंडल के दोनों सदना में हुई लोकतंत्र की हत्या : माले

  • विधानसभा अध्यक्ष की मनमानी और सरकार की दिखी संवेदनहीनता

cpi-ml-kunal
पटना 27 जुुलाई, विधानमंडल के माॅनसून सत्र की समाप्ति के उपरांत माले विधायक दल का आज एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, विधान पार्षद शशि यादव, विधायक महानंद सिंह, अजीत कुमार सिंह और शिवप्रकाश रंजन उपस्थित थे. माले विधायक दल ने कहा कि माॅनसून सत्र में दोनों सदनों में लोकतंत्र की हत्या हुई. विधान परिषद् में जहां राजद एमएलसी सुनील सिंह की सदस्यता खारिज करके एक गलत परंपरा की शुरूआत की गई, वहीं विधानसभा में भाजपा कोटे के अध्यक्ष ने अपनी मनमानी चलाई और तानाशाही रवैये का परिचय दिया. विधानसभा के भीतर विपक्ष के किसी भी सवाल को सही तरीके से न तो पटल पर आने दिया गया और न ही सरकार ने उसके प्रति कोई संवेदनशीलता दिखलाई.


भाकपा-माले और महागठबंधन ने सत्र के दौरान बिहार के विशेष राज्य का दर्जा, राज्य में अपराध-सामंती हिंसा-बलात्कार-कानून व्यवस्था-पुलों के ढहने - भ्रष्टाचार सहित सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत 95 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रु. की सरकारी घोषणा को अमलीजामा पहनाने, कृषि के लिए 20 घंटे बिजली, भूमिहीनों को 5 डिसमिल जमीन, आशा-रसाइसयों-आंगनबाड़ी के लिए सम्मानजनक मानदेय की मांग आदि सवालों पर संयुक्त रूप से सरकार का घेराव किया, लेकिन सरकार बिहार और बिहार की जनता के जरूरी सवालों से मुंह चुराती नजर आई. विशेष राज्य के दर्जे पर चर्चा कराने से सरकार का भाग खड़ा होना यह दिखलाता है कि भाजपा ने बिहार के साथ घोर विश्वासघात किया है और जदयू ने उसके समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. जदयू दावा कर रही है कि केंद्रीय बजट में बिहार को जो कुछ दिया गया, उसका चैतरफा डंका बज रहा है. माले विधायक दल ने याद दिलाया कि 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने 1 लाख 25 हजार करोड़ रु. की विशेष पैकेज की बात कहीं थी, लेकिन बजट 2024 में कुछ लंबित प्रस्तावों को मिलाकर कुल 26 हजार करोड़ रु. का तथाकथित विशेष पैकेज मिला है. यह विशेष राज्य का विकल्प नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार विशेष राज्य के दर्जे पर चर्चा कराने से भाग ही खड़ी हो सकती थी. दलितों-अतिपिछिड़ों और पिछड़ों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल किए जाने के सवाल पर बिहार सरकार पूरी तरह बेनकाब हो गई. लेकिन उससे भी दुखद यह रहा कि इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने वोटिंग कराने से इंकार कर दिया और  सदन के अंदर विपक्ष की आवाज को दबा दी.

 

पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के सवाल पर सदन से प्रस्ताव लेने का गैरसरकारी संकल्प पर शिक्षा मंत्री के गोलमोल जवाब से भाजपा-जदयू का असली चेहरा खुलकर सामने आ गया कि वे पटना विवि को केंद्रीय विवि को दर्जा दिलाने के सवाल पर कहीं से भी गंभीर नहीं है. माले विधायक दल ने कहा कि जाति आधारित सर्वेक्षण के उपरांत राज्य के तकरीबन 95 लाख महागरीब परिवारों को लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रु. की सहायता राशि की सरकारी घोषणा की बात मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर तो कही, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो रहा है. इस राशि के लिए 72 हजार रु. से कम वार्षिक आमदनी के आय प्रमाण की शर्त लगा दी गई है जबकि प्रशासन 1 लाख रु. से नीचे का प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा है. जब सरकार के पास पहले से 95 लाख महागरीब परिवारों का डाटा उपलब्ध है तो फिर आय प्रमाण पत्र क्यों मांगा जा रहा है? सरकार की ओर से जारी लघु उद््यमों की सूची में पशुपालन जैसा महत्वपूर्ण क्रियाकलाप शामिल ही नहीं है, जो गरीबों के जीवन-जिंदगानी का सबसे बड़ा सहारा है. सरकार भाकपा-माले के इस प्रश्न पर कोई जवाब नहीं दिया. नहरों के अंतिम छोर तक पानी की पहुंच और खेती के लिए 20 घंटे की बिजली की मांग आदि पर भी सरकार का रूख बेरूखी का रहा.

कोई टिप्पणी नहीं: